इस blog में शीतकारी प्राणायाम क्या है? (Sheetkari pranayama meaning in hindi), शीतकारी प्राणायाम के लाभ (Sheetkari pranayama benefits), शीतकारी प्राणायाम करने की विधि (Sheetkari pranayama steps) तथा किसको शीतकारी प्राणायाम नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानेगे|
गर्मियों में किया जाने वाला यह प्राणायाम बहुत लाभकारी प्राणायाम है| यह मस्तिष्क की गर्मी को कम करने, पित सम्बंधी रोग ठीक करने, मुंह व गले के रोग आदि ठीक करने के लिए उपयोगी है|
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शीतकारी प्राणायाम क्या है? (Sheetkari pranayama in hindi)
शीतकारी प्राणायाम में शीतकारी शब्द दो शब्दों के मेल से बना है शीत+कारी | शीत का अर्थ है ठंडा और कारी का अर्थ है करना| शीतकारी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से तन व मन को शीतलता मिलती है, इसलिए इस प्राणायाम को गर्मियों में किया जाता है| इस प्राणायाम को Hissing breath भी कहते हैं|
शीतकारी प्राणायाम की विधि (Seetkari Pranayama Karne Ki Vidhi)
शीतकारी प्राणायाम करने का सही तरीका इस प्रकार है:
Step 1: किसी भी एक आसन में बैठें पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन
Step 2: कमर-गर्दन सीधी व आँखें कोमलता से बंद रखें|
Step 3: दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें|
Step 4: जीभ को मोड़कर तालू से लगाएं| ऊपर व नीचे के दांतों को मिलाएं और होंठों को खोलकर रखें|
Step 5: अब धीरे-धीरे गहरा सांस अंदर भरें| पूरा श्वास भर जाने पर होंठों को बंद कर लें|
Step 6: कुछ क्षण सांस को अंदर रोककर रखें| जब सांस रोकना संभव ना हो तो धीरे-धीरे नाक से श्वास को बाहर निकालें| अब बाहर भी कुछ क्षण सांस को रोककर रखें|
Step 7: यह एक आवृति हुई| अपनी क्षमता के अनुसार 8-10 आवृतियाँ करें|
शीतकारी प्राणायाम के बारे में पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
शीतकारी प्राणायाम के लाभ (Seetkari Pranayama Ke Labh)
रक्त की शुद्धी: शीतकारी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से ऑक्सीजन शरीर में प्रवेश करती है जिससे रक्त शुद्ध होता है|
भूख व प्यास शांत: शीतकारी प्राणायाम करने से ठंडी वायु शरीर में प्रवेश करती है जिससे प्यास शांत होती है और इसके साथ-साथ भूख से भी राहत मिलती है|
फेफड़े स्वस्थ बनते हैं: शीतकारी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से फेफड़े active होते हैं| ऑक्सीजन का level उचित मात्रा में बना रहता है|
High B.P. में फायदेमंद: High B.P. के रोगियों के लिए शीतकारी प्राणायाम बहुत लाभकारी है, इसका नियमित अभ्यास करने से High B.P. control में आ जाता है|
Temperature control: शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर का तापमान ठीक रहता है| अतिरिक्त गर्मी शांत होती है|
पित्त के दोष दूर: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से पित सम्बंधी रोग, अपच, ज्वर, टी.बी., गले के रोग, मुंह के छाले, त्वचा रोग आदि ठीक होते हैं|
आलस्य व निद्रा दूर: इस प्राणायाम का अभ्यास, आलस्य व निद्रा पर control करने में लाभकारी है|
तनाव व चिंता दूर: यह प्राणायाम तनाव, चिंता जैसी मानसिक उतेजनाओं को कम करने में लाभकारी है|
शीतकारी प्राणायाम किस-किस को नहीं करना चाहिए (Who Should not do Seetkari Pranayama)
– जिन्हें low B.P. की शिकायत हो उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
– सर्दियों में इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए|
शीतकारी प्राणायाम करने में क्या सावधानी बरते (Seetkari Pranayama me Kya Savdhani Barte)
– जिन्हें हृदय सम्बंधी रोग हो वे इस प्राणायाम को सावधानी से करें|
– अस्थमा के रोगी को भी यह प्राणायाम धीरे-धीरे व सावधानी से करना चाहिए|
FAQ’s: शीतकारी प्राणायाम के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (General Questions related to Sheetkari Pranayama)|
शीतकारी प्राणायाम कैसे करते हैं (How to do Seetkari Pranayama?)
शीतकारी प्राणायाम करने के लिए जीभ को मोड़कर तालू से लगाया जाता है| दांतों को मिलाकर व होंठों को खोलकर मुंह से सांस भरा जाता है| पूरी सांस भरने के बाद कुछ देर रुकते हैं फिर नाक से धीरे-धीरे सांस बाहर निकलते हैं| इस तरह करने से ठंडी सांस दांतों को छूते हुए पहले दांत, फिर मुंह को ठंडा करती है और फिर पेट तक जाती है| इससे शरीर को ठंडक मिलती है|
शीतकारी प्राणायाम करने से क्या फायदा होता है (What are the benefits of Seetkari Pranayama?)
शीतकारी प्राणायाम के बहुत फायदे हैं|
– इसे करने से उच्च रक्तचाप के रोगी को लाभ मिलता है| शरीर व मन को ठंडक मिलती है| प्यास व भूख शांत होती है| पित्त के दोष दूर होते हैं| रक्त शुद्ध होता है| फेफड़ों में ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ती है| तनाव दूर होता है आदि|
– इस आसन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|