योगासनों का नियमित अभ्यास शरीर को स्वस्थ व मन को शांत रखने में महत्वपूर्ण है| योगासनों द्वारा शरीर लचीला बनता है, मांसपेशियां व हड्डियाँ मजबूत होती हैं, आलस्य दूर होता है तथा मानसिक स्वास्थ्य ठीक होता है|
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पादोत्तानासन क्या है (what is Padottanasana)?
पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में पादोत्तानासन एक बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है| इसे कायाकल्प आसन भी कहते हैं| इस आसन के करने से नाभि, लीवर (liver), अमाश्य, छोटी आंत, बड़ी आंत, भुजाएं, पैर आदि सभी प्रभाव में आने से ये शरीर के लिए बहुत लाभदायक है| यह शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण आसन है|
पादोत्तानासन करने का तरीका (Procedure of Padottanasana in Hindi)
Step 1: पीठ के बल लेटें| एड़ी-पंजे मिलाएं| पंजें बाहर की ओर तानें|
Step 2: दोनों हाथ सिर से पीछे सीधे रखें| हथेलियों का रुख आकाश की ओर हो|
Step 3: पूरे आसन के दौरान एडियां हवा में रहेंगी, आसन से 2-3 इंच ऊपर|
Step 4: श्वास भरते हुए दायां पैर व बायां हाथ आकाश की ओर 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं| बायां पैर आसन के नजदीक हवा में रहे और दायां हाथ आसन से लगा रहे|
Step 5: यह पूर्णता की स्थिति है| अब कुछ क्षण रुकें व सामान्य श्वास लेते रहें|
Step 6: श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापिस आयें| दोनों पैर हवा में ही रहेंगे|
Step 7: अब यही क्रिया दूसरी तरफ से करेंगे| श्वास भरते हुए बायां पैर व दायां हाथ आकाश की ओर 90 डिग्री पर ऊपर उठाएं| दायां पैर हवा में रहेगा|
Step 8: सामर्थ्य अनुसार कुछ क्षण रुकें व सामान्य श्वास लेते रहें|
Step 9: श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापिस आयें| दोनों पैर हवा में रहेंगे|
Step 10: अब श्वास भरते हुए दोनों पैरों व दोनों हाथों को आकाश की ओर ऊपर उठाएं|
Step 11: कुछ क्षण इस स्थिति में रुकें व सामान्य श्वास लेते रहें|
Step 12: अब श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापिस आयें| पैरों को आसन पर पटकना नहीं है धीरे-धीरे रखना है| दोनों हाथ शरीर के दाएं-बाएं रखें|
Step 13: अब शवासन में विश्राम करें|
पादोत्तानासन (Padottanasana) करने की सही विधि व इसकी पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
पादोत्तानासन के फायदे (Padottanasana benefits in Hindi)
धरण के दोष दूर: पादोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने से धरण के दोष दूर होते हैं| जिन की नाभि बार-बार डिगती है तो पादोत्तानासन के नियमित अभ्यास से नाभि अपने स्थान पर रहती है|
चर्बी कम होती है: पादोत्तानासन का अभ्यास करने से पेट की चर्बी घटती है तथा मांसपेशियां मजबूत बनती हैं|
हर्निया व साइटिका के दोष दूर: पादोत्तानासन करने से हर्निया व साइटिका के दोष दूर होते हैं|
पाचन अंग सक्रिय: पेट के अवयव (components) सक्रिय होने से पाचन व निष्कासन प्रणालियाँ सुदृढ़ बनती हैं| जठर अग्नि तेज होती है, पाचन ठीक होता है, अपच, दस्त व कब्ज की समस्या से राहत मिलती है|
Gas की समस्या दूर: पादोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने से पेट-दर्द, गैस व बदहजमी की समस्या ठीक होती है|
महिलाओं के लिए लाभदायक: स्त्रियों के लिए यह आसन बहुत अच्छा है इसका नियमित अभ्यास करने से मासिक-धर्म में भी नियमितता आती है|
तनाव दूर होता है: पादोत्तानासन का नियमित अभ्यास तनाव को कम करता है इसलिए तनावग्रस्त व्यक्ति के लिए यह आसन बहुत लाभदायक है|
Diabetes व piles में आराम: इस आसन के अभ्यास से diabetes व piles की समस्या से राहत मिलती है|
शरीर मजबूत बनता है: टखने, घुटने, पिंडलियां, thighs, hips, कमर के निचले भाग, कंधे व हाथों की मांसपेशियों में खिंचाव आने से ये strong बनती हैं|
पादोत्तानासन किन-किन के लिए वर्जित है (For whom Padottanasana is prohibited)?
- जिन्हें कमर में अधिक दर्द हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें पेट में जख्म हों या सर्जरी हुई हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
- हर्निया का दर्द अधिक हो तो उस समय यह आसन नहीं करना चाहिए|