मोटे अनाज क्या है व मोटे अनाज के फायदे (Mote Anaj kya hai, Mote Anaj ke Fayde in Hindi)

इस blog में मोटे अनाज क्या हैं (Mote anaj kya hai), मोटे अनाज के नाम व पौषक तत्व (Mote anaj ke naam v poshak tatav), मोटे अनाज से क्या-क्या बनता है (Mote anaj se kya kya banta hai) और मोटे अनाज के फायदे (Mote anaj ke fayde), के बारे में जानेगे|

प्राचीन काल से ही मोटे अनाज या मिलेट्स हमारे खानपान का हिस्सा रहे हैं, परन्तु आधुनिकता के कारण हमने इन्हें लगभग भुला दिया| गरीबों का खाना कहे जाने वाले इस मोटे अनाज को अब लोग इनके गुणों के कारण फिर से अपनाने लगे हैं| छोटे आकार के दानों के रूप में मिलने वाले अनाज को हम मिलेट्स या मोटे अनाज के रूप में जानते हैं| हम इन अनाजों को अच्छी तरह जानते व पहचानते हैं जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, जौं, कुट्टू, कोदो, कांगनी आदि| भारत में मोटे अनाज की पैदावार यूपी, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा आदि में की जाती है| इन मोटे अनाजों में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, आयरन, एमिनो-एसिड्स आदि पौषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं| इनमें गेंहू की तरह ग्लूटेन नहीं होता|

भारत में वर्ष 2018 को राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया गया| सरकार ने इन मिलेट्स को पौषक अनाज या न्यूट्री-सिरियल्स घोषित किया था| भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए और इनके महत्व को देखते हुए संयुक्तराष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को international year of millets घोषित किया है| इसे मनाने की सहमती 72 देशों ने दी है| इस वर्ष भारतीय संसद की कैंटीन में भी मिलेट्स से निर्मित व्यंजन परोसे जाने लगे हैं जैसे भाकरी (एक तरह की रोटी), बाजरा-खिचड़ी, ज्वार उपमा आदि| उम्मीद करती हूँ कि ये जल्द ही दुनिया भर के भोजन में अपना स्थान बना लेंगे|

मोटे अनाज क्या हैं (Mote anaj kya hai)

छोटे-छोटे दानों के रूप में मिलने वाले अनाज को मोटे अनाज या मिलेट्स (millets) कहा जाता है| आजकल मिलेट्स को मोटे अनाज के रूप में जाना जाता है| खाद्य एवम कृषि संस्थान के अनुसार, “मिलेट्स छोटे बीज वाले अनाज होते हैं जिनको फसल के रूप में उगाया जा सकता है|” अर्थात छोटे आकार के दानों के रूप में मिलने वाले अनाज को मिलेट्स या मोटे अनाज कहा जाता है|

ये मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, जौं, मक्का आदि उन जगहों पर भी उगाये जा सकते हैं जहाँ बारिश कम होती है या मिटटी की गुणवत्ता अच्छी नहीं है| इन अनाजों की पैदावार के लिए कम पानी व कम खाद की जरूरत पडती है| इसलिए इनकी पैदावार पर खर्च कम होता है लेकिन आमदनी अधिक होती है|
हम भारतीय लोग शुरू से ही मोटे अनाज खाते रहे हैं| गेंहू के महीन आटे का चलन तो बाद में शुरू हुआ| गेंहू से मिलने वाला ग्लूटेन इन मोटे अनाजों में नहीं होता| ग्लूटेन युक्त महीन अनाज खाने से कब्ज व पेट फूलने जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है|

ज्वार, बाजरा, रागी, जौं, मक्का, सवां, कुट्टू, कंगनी, कोदो आदि मोटे अनाज की श्रेणी में आते हैं| पौषक तत्वों की विशेषता के कारण यह अनाज अदभुत अनाज भी कहलाता है| इनमें फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है| यह मोटे अनाज का सबसे बड़ा गुण है| फाइबर युक्त होने के कारण यह पाचन व निष्कासन में सहायक हैं| इन्हें खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती | मोटे अनाज खाने के बाद प्यास भी बहुत लगती है| इसलिये हम बार-बार पानी पीते हैं और खूब पानी पीना पाचन तंत्र के लिए भी लाभदायक है|

मोटे अनाज/मिलेट्स जरूरी क्यों हैं? (Mote Anaj/Millets Jaruri kyon Hai)

हममें से हर किसी को fit रहने की जरूरत है| इसलिए मोटे अनाज को अपने भोजन का हिस्सा बनाना सब के लिए जरूरी है| आजकल लोगों में आयरन, विटामिन B-complex, विटामिन-D आदि की कमी देखने को मिल रही है| इसलिए अगर millets को अपने भोजन का हिस्सा बना लें तो बहुत सी ऐसी समस्याएं कम हो सकती हैं| क्योंकि ग्लूटेन फ्री इस मोटे अनाज में बहुत पौषक तत्व पाए जाते हैं जैसे प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फाइबर, फास्फोरस, नायसिन, जिंक, फोलिक-एसिड और विटामिन जैसे विटामिन-B, विटामिन-D, विटामिन-E आदि|

Mote anaj kya hai

मोटे अनाज के नाम व इनके पौषक तत्व (Mote Anaj ke Naam v Poshak Tatva)

ज्वार, बाजरा, रागी, जौं, मक्का, सवां, कुट्टू, कंगनी, कोदो आदि मोटे अनाज हैं|

बाजरा (Bajra): बाजरे में आयरन, विटामिन, जिंक, मैग्नीशियम, पौटाशियम आदि पाए जाते हैं| बाजरे में ग्लूटेन नहीं होता| इसमें आयरन भरपूर मात्रा में होता है, इसलिए यह शरीर में खून की कमी नहीं होने देता तथा अनीमिया से बचाता है| बाजरा की तासीर अंदर से गर्म होती है| शरीर में इस गर्माहट को balance करने के लिए दही, छास या लस्सी का प्रयोग बाजरे के साथ किया जाता है| बाजरे से रोटी, खिचड़ी, biscuits, सुहाली (ऐसी रोटी जो छोटी-छोटी, थोड़ी मोटी मगर मीठी होती हैं) आदि बनाई जाती हैं|

रागी (Ragi): रागी में विटामिन, आयरन, कैल्शियम, फाइबर, फास्फोरस और प्रोटीन भरपूर होता है| दूध के समान रागी भी शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं होने देती| इसके आटे से रोटी बनाई जा सकती है| इसका आटा देखने में थोड़ा कालेपन में होता है| इसे अन्य आटे के साथ मिलाकर भी use किया जा सकता है| यह diabetes व ब्लडप्रेशर को control करने में सहायक है|

ज्वार (Jawar): ज्वार फाइबर युक्त है| इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, फोलिक-एसिड आदि पौषक तत्व मिलते हैं| ज्वार हड्डियों को मजबूत बनाता है तथा खून की मात्रा को बढ़ाता है| ज्वार के आटे से रोटी बनाई जाती है| इसे roast करके भी प्रयोग किया जाता है|

जौं (Jau): इसे barley भी कहते हैं| इसकी तासीर ठंडी होती है| इसलिए इसका प्रयोग गर्मियों में किया जाता है| इसमें बहुत सारे पौषक तत्व होते हैं| यह शरीर की सफाई करने के लिए उत्तम है| इसमें मैगनीज व सेलेनियम पाया जाता है जोकि skin को स्वस्थ रखने में सहायक है| इसमें anti-oxidents (एंटी-ऑक्सीडेंटस) के गुण होते हैं| यह पाचन में सहायक है| यह blood-sugar को control करने में सहायक है| इसके अतिरिक्त इसमें क्रोमियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, विटामिन-B1 (थायमिन) व नायसिन भी काफी मात्रा में मिलते हैं| जौं के आटे की रोटी, जौं का सत्तू, biscuits आदि बनाए जा सकते हैं|

कंगनी (Kangni): इसे फॉक्सटेल (foxtail) के नाम से भी जाना जाता है| इसका रंग पीला होता है| यह positive अनाज की श्रेणी में आता है| इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन, विटामिन-B3 (नियासिन), थायमिन, मैग्नीशियम आदि पौषक तत्व पाए जाते है| कंगनी के दानों को 4-5 घंटे भिगो कर use किया जाए तो ओर भी लाभदायक है| इससे दलिया, लड्डू, पुलाव आदि खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं|

समां या सांवा (Sama): इसे सांवा के चावल, सामक, झंकोरा या barnyard millet भी कहा जाता है| इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन- B12 पाया जाता है और ग्लूटेन नहीं होता| इसे खाने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती| इसे छोटे बच्चों को भी खिला सकते हैं| इससे खीर, खिचड़ी, उपमा, पुलाव भी बनाए जाते हैं| लोग व्रत के दिनों में भी इसका सेवन करते हैं|

कुट्टू (Kuttu): इसे अन्न की श्रेणी में नहीं रखा जाता| यह एक प्रकार की घास है| इसमें काफी मात्रा में पौषक तत्व होते हैं जैसे विटामिन, प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस आदि| यह ग्लूटेन फ्री है| इसका आटा काले रंग का होता है| इसे व्रत में प्रयोग किया जाता है| इसके आटे से रोटी, पकोड़े आदि बनाए जाते हैं|

मक्की (Makki): मक्का का प्रयोग सर्दियों में किया जाता है| इसका रंग पीला होता है| इसमें विटामिन-A व आयरन बहुत पाया जाता है| यह skin व आँखों के लिए बहुत लाभदायक है| यह इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बहुत उत्तम है| मक्का की छल्ली व उबले हुए दाने खूब खाए जाते हैं| इनकी फुल्लियाँ (Popcorn) भी बनाई जाती हैं| इसके आटे से रोटी व अन्य चीजें बनती हैं| सर्दियों में खाया जाने वाला मुख्य: भोजन है| हरियाणा, पंजाब में ‘मक्की की रोटी और सरसों का साग’ बहुत प्रसिद्ध है|

Mota Anaj

मोटे अनाजों से कौन सी चीजें बनती हैं (Mote Anaj se kya kya banta hai)

छोटे-छोटे दानों के रूप में मिलने वाले इन मोटे अनाजों को कई प्रकार से प्रयोग में लाया जा सकता है|

मोटे अनाजों से बनने वाली नमकीन चीजें (Mote anaj se banne wali namkeen chijen):

  • इनके आटे से रोटी बनाई जाती है, जो करारी व कुरकुरी होती है और खाने में स्वादिष्ट होती है|
  • दानों के रूप में सीधा ही भिगोकर फिर पकाकर प्रयोग किया जा सकता है|
  • इनसे चिल्ला बन सकता है|
  • सूप बनाया जा सकता है|
  • खिचड़ी के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है|
  • इन्हें roast करके भी खाया जाता है|
  • इनसे नमकीन भी बनती है| अलग-अलग roast करके या भूनकर फिर मिलाकर नमक, काली-मिर्च, खटाई और मीठा मिलाकर नमकीन बनाई जाती है जो बहुत पौष्टिक व स्वादिष्ट होती है|
  • दलिया भी बनता है|
  • डोसा भी बनाते हैं|

मोटे अनाजों से बनने वाली मीठी चीजें (Mote Anaj se Banne Wali Meethi Chij):

  • गुलगुले (ये देखने में पकौड़े जैसे होते हैं लेकिन मीठे होते हैं)
  • चूरमा
  • राब
  • खीर
  • हलवा
  • लड्डू
  • मालपुआ
  • बालूशाही
  • शक्करपारा
  • मीठा पूड़ा आदि|
  • Biscuit, cake, bread, cookies आदि भी बनाए जा सकते हैं|

Read Also: पौष्टिक आहार

मोटे अनाज के फायदे (Mote Anaj ke Fayde)

“देखने में हैं छोटे-छोटे, पर नाम है मोटे

इनको खाने में शामिल करो, इनसे फायदे बहुत हैं होते”

मोटे अनाज को अपने आहार का हिस्सा बनाए क्योंकि इसको खाने के अनेक फायदे हैं|

ऊर्जा का स्तर बढ़ाने वाला: मोटे अनाज में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस आदि काफी मात्रा में पाया जाता है इसलिए मोटे अनाज ऊर्जा बढ़ाने का महत्वपूर्ण स्त्रोत है|

वजन कम करने में सहायक: मोटे अनाजों में फाइबर काफी मात्रा में पाए जाते हैं और यह मोटे अनाज का सबसे बड़ा गुण है| फाइबर युक्त होने से कब्ज की समस्या नहीं होती और इनको खाने से भूख भी कम लगती है| कम खाने से वजन कम हो जाता है|

मधुमेह रोग में लाभदायक: अधिकतर मोटे अनाजों में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं और ये फाइबर युक्त भी होते हैं, जो blood sugar के level को बढ़ने से रोकते हैं| मोटे अनाजों में ग्लूटोन नहीं पाया जाता, इसलिए मोटे अनाज का सेवन diabetes के रोगी के लिए लाभदायक है| इनके खाने से भूख जल्दी नहीं लगती और डायबिटीज के रोगी को बार-बार कुछ खाने की जरूरत नहीं पड़ती, इसलिए भी यह फायदेमंद है|

रक्तचाप का नियन्त्रण होता है: मोटे अनाज में कार्बोहाइड्रेट कम होने के कारण High B.P. होने का खतरा कम रहता है| मोटे अनाजों का सेवन रक्तचाप को नियंत्रित करने में लाभदायक है|

हृदय को पुष्ट बनाता है: मोटे अनाजों में कार्बोहाइड्रेट व वसा बहुत कम मात्रा में होती है, जिससे heart सम्बंधी समस्याएं control में रहती हैं|

हड्डियों की मजबूती: मोटे अनाजों में कैल्शियम, मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में मिलता है| इसलिए इनको खाने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं तथा आर्थराइटिस की समस्या नहीं होती|
मानसिक स्वास्थ्य:- मोटे अनाजों में एमिनो एसिड पाया जाता है| इनका सेवन करने से हमारा मूड ठीक रहता है और मानसिक स्वास्थ्य पर positive प्रभाव पड़ता है| तनाव, चिंता को कम करने में मोटे अनाज लाभदायक हैं|

कब्ज के लिए: मोटे अनाजों में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन तंत्र को मजबूत करता हैं| इनको खाने से पाचन ठीक रहता है और कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है| इन्हें खाने से गैस व एसिडिटी से राहत मिलती है|

मोटापा कम करने के लिए: मोटे अनाज फाइबर युक्त होते हैं, जो पाचन व निष्कासन को ठीक कर कब्ज से राहत दिलाते हैं| इनका सेवन करने से वजन कम होता है, जो मोटापा कम करने में लाभकारी है|

त्वचा व बालों के लिए उत्तम: मोटे अनाजों में फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन व मिनरल्स भरपूर मात्रा में मिलते हैं| ये पौषक तत्व शरीर की कोशिकाओं द्वारा अवशोषित कर उपयोग किए जाते हैं| इसलिए इनका सेवन त्वचा व बालों के लिए बहुत लाभदायक है| इन्हें खाने से त्वचा में चमक आती है तथा बालों की समस्याएं नहीं होती जैसे बाल झड़ना, सिकरी, असमय सफेद होना आदि|

अनीमिया रोग के लिए: मोटे अनाज आयरन और प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत हैं| इन्हें खाने से हीमोग्लोबिन ठीक रहता है तथा खून की कमी नहीं होती और anemia रोग दूर होता है|

कॉलेस्ट्रोल नियन्त्रण में लाभकारी: मोटे अनाज खाने से कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है| इनके सेवन से good colestrol बढ़ाने में मदद मिलती है और bad colestrol, जो हृदय रोग को बढ़ा सकता है, उसे मोटे अनाज नियंत्रित करते है| मोटे अनाज का नियमित सेवन करने से यह blood में कॉलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है|

कैंसर के लिए: कई मोटे अनाजों में एंटी-कैंसर के गुण पाए जाते हैं, जिससे इन्हें खाने से कैंसर होने की संभावना ही नहीं होती| ब्रैस्ट कैंसर, colon cancer के मरीजों के लिए भी बहुत उपयोगी है|

नींद अच्छी आती है: इन मोटे अनाजों का सेवन करने से नींद भी अच्छी आती है|

Read Also: कमर दर्द

FAQ’s: मोटे अनाज से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to Mote Anaj/Millets)

मोटे अनाज से क्या अभिप्राय है (What is meant by mote anaj)?

मोटे अनाज ऐसा अनाज है जो छोटे दानों के रूप में मिलता है| इसे Millets और Coarse grains भी कहते हैं| यह शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है|

मोटे अनाज की सूची क्या है (What are the millets)?

मोटे अनाजों में बाजरा, रागी, जौं, ज्वार, सवां, कुट्टू, कंगनी, कोदो आदि| मक्का भी इनसे मिलते जुलते गुणों के कारण मोटे अनाज की सूची में ही आता है| इसके अतिरिक्त चीना, कुटकी, महुआ भी मोटे अनाज ही हैं|

मोटे अनाज खाने के क्या फायदे हैं (Is eating millet good for health)?

मोटे अनाज या मिलेट्स में पाए जाने वाले अत्यधिक पौषक तत्वों के कारण ये हमारे लिए बहुत फायदेमंद हैं| इनको खाने में प्रयोग करने से वजन व मोटापा कम होता है| ये diabetes के रोगी के लिए लाभदायक हैं| रक्तचाप नियंत्रित रहता है| हड्डियाँ मजबूत बनती हैं| पाचन व निष्कासन ठीक रहता है| इनमें एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं| इन्हें खाने से खून की कमी दूर होती है|

मोटे अनाज का प्रयोग किस प्रकार करना चाहिए? (Mote anaj ka use kaise kare?)

मोटे अनाजों में बहुत अधिक मात्रा में पौषक तत्व पाए जाते हैं| अगर हम मोटे अनाज को खाने में शामिल करें तो बहुत से रोगों से बचा जा सकता है| लेकिन फिर भी इन अनाजों का सेवन उचित मात्रा में करना लाभदायक रहता है|

– इन्हें बदल-बदल कर प्रयोग करना उत्तम है| 
– कई अनाज ऐसे हैं जिनका आटा ज्यादा समय तक रखने पर खराब हो सकता है| इसलिए इनके आटे को एक महीने से ज्यादा समय तक न रखें| 
– अगर आप साबुत अनाज का प्रयोग कर रहे हैं तो उसे 3-4 घंटे भिगोकर रखें, फिर प्रयोग में लाएं|
– इनके आटे को दूसरे आटे के साथ मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है|
– मोटे अनाज में कुछ की तासीर गरम होती है और कुछ की ठंडी| इसलिए इन अनाजों को तासीर व मौसम के अनुसार प्रयोग करना उचित रहता है|

सबसे मोटा अनाज कौन सा है?

ज्वार सबसे मोटे अनाज की श्रेणी में आता है|

मोटे अनाज का दूसरा नाम क्या है?

मोटे अनाज का दूसरा नाम बाजरा है| यह आकार में ज्वार से छोटा है, लेकिन यह लघु अनाज की श्रेणी में नहीं आता|

इस blog में मोटे अनाज क्या हैं (Mote anaj kya hai), मोटे अनाज के नाम व उनमें पाए जाने वाले पौषक तत्व (Mote anaj ke naam v poshak tatav), मोटे अनाज से क्या-क्या बनता है (Mote anaj se kya kya banta hai) और मोटे अनाज के फायदे (Mote anaj ke fayde), के बारे में जाना|

मोटे अनाज से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

Leave a Comment