स्ट्रेस/तनाव सभी में होता है| यह एक सामान्य बात है| स्कूल, कॉलेज या घर में काम के दबाव के कारण स्ट्रेस हो सकता है जैसे किसी परीक्षा के समय तनाव, नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के समय तनाव आदि|
व्यस्त जिंदगी, गलत खान-पान, पूरे दिन भागदौड़, आज यही सफलता की पहचान बन गई है| लेकिन इस जीवन-शैली से अनेक नये-नये रोगों का जन्म हो रहा है और युवाओं में इन का प्रतिशत ओर भी ज्यादा बढ़ रहा है| वजन बढ़ना, मधुमय, बी.पी., थायराइड, आदि रोग इस आयु के सामान्य रोग हो गए हैं| इस समय एक ओर रोग युवाओं में अपने पांव जमाता नजर आ रहा है वह है तनाव|
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किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव के कारण (Causes of stress in teenage)

समय-समय पर हर कोई तनाव महसूस करता है| स्ट्रेस/तनाव हर आयु के व्यक्ति में अलग-अलग प्रकार का होता है| किशोर बच्चों में भी तनाव होता है| परन्तु तनाव के कारण अलग-अलग हो सकते हैं|
एक उदाहरण से समझें- एक अत्यधिक पढ़ने वाले बच्चे के किसी competition में 0.25 नम्बर से qualify होने पर वह स्ट्रेस में आ गया, जबकि कम पढ़ने वाले बच्चे का पेपर क्लियर नहीं होने पर भी उसे कोई असर नहीं पड़ा| एक बच्चा जिसने केवल guess करके उत्तर दिए थे तथा उस के नम्बर इन दोनों प्रकार के बच्चों के बीच के आये थे,जबकि उस का पेपर भी qualify नहीं हुआ था, फिर भी वह बहुत खुश था|
इस आयु के युवक-युवतियों में शारीरिक परिवर्तन भी स्ट्रेस का एक कारण हो सकता है| इस आयु में उन की सोच के विपरीत जो शारीरिक परिवर्तन आते हैं और उन को इस का ज्ञान नहीं होता तो उन को तनाव हो सकता है|
किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव के प्रकार (Types of stress in teenage)
स्ट्रेस के प्रकार भिन्न-भिन्न होते हैं| अचानक किसी प्रकार की परिस्थति में परिवर्तन होने पर भी स्ट्रेस हो सकता है| जैसे बीमारी होने पर, तथा किसी घटना, दुर्घटना या किसी प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाला स्ट्रेस जैसे बाढ़, सुखा, या कोई महामारी आने पर| Stress दो प्रकार के हो सकते हैं|
Acute stress यह स्ट्रेस कम समय के लिए होता है| यह किसी परिस्थति को मैनेज करने में मदद करता है| यह सामान्य है| यह तभी होता है जब हम कुछ नया करते हैं| किशोरावस्था में बच्चे young और healthy होते हैं इसलिए वे इस प्रकार के stress से अपने आप को जल्दी recover कर लेते हैं| सभी लोग कभी न कभी स्ट्रेस का अनुभव करते हैं| इसे धनात्मक (positive) स्ट्रेस भी कहते हैं|
Chronic stress यह स्ट्रेस लम्बे समय तक रहता है| यह एक सप्ताह, एक महीना, या इससे भी अधिक समय तक रह सकता है| कई बार हम इस स्ट्रेस के इतने आदि हो जाते हैं कि हम इसको पहचान भी नहीं पाते| अगर स्ट्रेस अधिक समय तक रहने लगे तो यह समस्या का रूप ले सकता है| अगर हम स्ट्रेस को मैनेज करने के तरीके नहीं अपनाते तो हमें शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है| इसे नकारात्मक (negative) स्ट्रेस कहते हैं|
एक Stress एक बार भी हो सकता है या ये थोड़े समय के लिए हो सकता है या कई बार यह एक समय के बाद दोबारा आ सकता है| कुछ व्यक्ति स्ट्रेस में जल्दी तथा प्रभावशाली तरीके से improve कर लेते हैं| जबकि कुछ लोगों को इससे उभरने में समय लगता हैं|
किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव के लक्ष्ण (Symptoms of stress in teenage)
अगर किसी युवक-युवती के साथ किसी प्रकार की कोई घटना या दुर्घटना हो जाती है तो वह लम्बे समय तक उभर नही पाता है तथा उसे शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है| स्ट्रेस के निम्नलिखित लक्ष्ण हो सकते हैं|
- काम में मन न लगना
- हर समय थका हुआ महसूस करना
- दिमाग में कोई न कोई विचार चलते रहना
- बात-बात पर गुस्सा आना
- चिडचिडापन व झुंझलाहट होना
- पाचन शक्ति खराब होना,
- सिरदर्द,
- नींद की कमी,
- उदासी,
- एक काम को छोड़ कर दूसरे को शुरू कर लेना
- युवावस्था में शारीरिक परिवर्तन से तनाव
- बी.पी., ह्रदय आघात, मधुमय, या मेंटल डिसऑर्डर हो सकता है|
किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव को दूर करने के तरीके
काम के दबाव का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है जिससे स्ट्रेस होता है| अगर मेंटल हेल्थ ठीक न हो तो उस का प्रभाव काम पर पड़ता है जिससे स्ट्रेस ओर अधिक बढ़ जाता है| स्ट्रेस बढ़ने पर घर का काम हो या कॉलेज का हम कहीं भी अपने आप को ठीक से present नहीं कर पाते | इससे घबराने की आवश्यकता नही है| जरूरत है सतर्क रहने की| सोच समझ कर निर्णय लेने की| इसलिए स्ट्रेस देने वाले कारणों को पहचाने, तथा उस को दूर करने के उपाय तलाशें |
किशोरावस्था के बच्चों में creativity ज्यादा होती है इसलिए वे नये तरीके से सोचें| नये उपाय से अपने स्ट्रेस को दूर करें| हमें अपने स्ट्रेस को मैनेज करना होगा और उसको मैनेज करने के तरीकों को अपनाना होगा जोकि निम्न प्रकार से हो सकते हैं|
- परिवर्तन से तनाव महसूस न करें जब बच्चे युवावस्था की ओर बढ़ते हैं तो उनमें शारिरिक परिवर्तन आता है| जैसे आवाज में बदलाव आना या अन्य शारीरिक परिवर्तन | कई बार वे इस बदलाव से परेशान होकर तनाव में आ जाते हैं| इस स्थिति में बच्चों को ॐ का जाप करना चाहिए| ॐ के जाप से स्वर नलिका से जो ध्वनि निकलती है, उससे श्वास नलिका के उपचार में लाभ होता है| ॐ की ध्वनि से एकाग्रता भी बढ़ती है|
- प्रतिस्पर्धा (competition) तथा तुलना न करें हम सब में अपने अपने अलग गुण तथा प्रतिभा होती है| परन्तु फिर भी हम व्यर्थ की प्रतिस्पर्धा और अनावश्यक तुलना व दूसरों से प्रतियोगिता करने में लगे रहते हैं इससे तनाव पैदा हो सकता है| इसलिए आपस में नकारात्मक प्रतिस्पर्धा करने से बचें व तनाव से दूर रहें |
- भरपूर नींद लें समय-पर सोना तथा समय पर उठाना, हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है| किशोरावस्था में 6-7 घंटे की नींद बहुत जरूरी है| पूरी नींद लें लेकिन जरूरत से ज्यादा न सोएं| पूरी नींद लेकर ही हम पूरा काम कर सकते हैं तथा स्ट्रेस से दूर रह सकते हैं|
- पौष्टिक आहार लें पौष्टिक व संतुलित भोजन खाएं| तनाव की स्थिति में जंक फ़ूड तथा तला हुआ भोजन बिलकुल न खाएं| फैक्ट्री में बनने वाले भोजन ज्यादा मात्रा में न खाएं जैसे बिस्कुट,नमकीन,कुरकुरे,चिप्स आदि| फास्टफूड, कोल्डड्रिंक, पिज़्ज़ा, बर्गर की बजाये ग्रीन फ़ूड व मौसमी सब्जियां खाएं| अंकुरित दालें, ब्रोकली, ब्लूबेरी, व सीजनल फल व सब्जियों का सेवन करें| प्राकृतिक पेय जैसे स्वच्छ जल, नारियल पानी, नींबू पानी व लस्सी लें |

- संगीत(music) सुनें Music सुनने से भी स्ट्रेस दूर होता है| स्ट्रेस कम करने के साथ-साथ music मेमोरी को भी improve करता है तथा एकाग्रता को बढ़ता है| हम कोई गाना याद करें, उसे गुनगुना कर देखें| उससे भी मन को शांति मिलती है तथा स्ट्रेस दूर होता है|
- लिखने की आदत लिखने की आदत बनाएं| अपनी feelings को लिखें| अपनी दिन की बातों का विश्लेषण करें | उन बुरी आदतों को सोचकर लिखें जो हमें या दूसरों को कष्ट देती हैं| लिखने के बाद कोई negative बात दिमाग पर हावी नहीं रहती| मन को शांति मिलती है तथा स्ट्रेस कम होता है|
- किताब पढ़ें अपनी रूचि की किताब पढ़ें | धीरे धीरे किताबों को बढ़ाएं| इस प्रकार किताबें पढ़ने से स्ट्रेस कम होता है|
- अनुशासन में रहें हमें एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए| हमें अपना हर काम कल पर न टालकर सही समय पर तथा सही तरीके से करना चाहिए | इससे काम सही समय पर होगा तथा हम तनाव में नहीं आएगें |
- हंसी योग करें हंसी आसन करें | हंसने से हम अपने दिल तथा दिमाग के बोझ को तो कम कर ही लेते हैं, साथ ही इस से हमारे अंदर सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है| हंसने से हम रिलेक्स रहते हैं तथा स्वस्थ रहेते हैं तथा स्ट्रेस भी नहीं होता|

- जीवन की वास्तविकताओं का सामना करें जीवन की वास्तविकताओं व सच्चाईयों से भागें नहीं | उन का सामना करें| व्यर्थ की बातें व नकारात्मक कल्पनाएँ न करें | मन पर बोझ बना कर न रखें|
- नियमित योगाभ्यास और ध्यान सेहतमंद रहने के लिए व्यायाम करना बहुत जरूरी है| 30 से 45 मिनट तक चलना, दौड़ना, एक्सरसाइज, या योग जरुर करें| इस से स्ट्रेस से मुक्ति मिलती है तथा शरीर भी स्वस्थ रहता है| मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नियमित आसन, प्राणायाम तथा ध्यान करना आवश्यक है| इससे हमारा शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है|

- गहरे लम्बे श्वास गहरे लम्बे श्वास लेने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का level बढ़ता है| lungs में ऑक्सीजन पहुँचने के कारण वे फूलते हैं तथा मजबूत बनते हैं| गहरे श्वास लेने से सिर में हल्कापन महसूस होता है तथा स्ट्रेस दूर होता है|
- प्रसन्नचित्त रहें तथा सकारात्मक विचार रखें हमेशा खुश रहें| चेहरा खिला रहे| भावनाओं को दबाएँ नहीं, उन्हें प्रकट होने दें| नकारात्मक न सोचें| अपने विचारों में संतुलन रखने का प्रयास करें|
- परिवारिक सम्पर्क व संवाद प्राय: देखा गया है कि अकेलेपन के कारण यह रोग होने की संभावना अधिक होती है| यदि हम परिवार के साथ मिलजुल कर रहते हैं| मित्रों से अपने तनाव के बारे में बात करते हैं, तो बहुत सी मानसिक समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है और तनाव नहीं बढ़ता|
- ॐ का उच्चारण करे कम से कम तीन बार ॐ का उच्चारण करें| ॐ मंत्र का जाप करने से आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है तथा मन में सकारात्मकता आती है जिससे तनाव दूर होता है|