स्ट्रेस/तनाव किशोरावस्था – लक्षण व उपचार (Stress Management in teenage in Hindi)

स्ट्रेस/तनाव सभी में होता है| यह एक सामान्य बात है| स्कूल, कॉलेज या घर में काम के दबाव के कारण स्ट्रेस हो सकता है जैसे किसी परीक्षा के समय तनाव, नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के समय तनाव आदि|

व्यस्त जिंदगी, गलत खान-पान, पूरे दिन भागदौड़, आज यही सफलता की पहचान बन गई है| लेकिन इस जीवन-शैली से अनेक नये-नये रोगों का जन्म हो रहा है और युवाओं व किशोरों में इन का प्रतिशत ओर भी ज्यादा बढ़ रहा है| वजन बढ़ना, मोटापा, मधुमेह, बी.पी., थायराइड, आदि रोग इस आयु के सामान्य रोग हो गए हैं| इस समय एक ओर समस्या युवाओं में अपने पांव जमाती नजर आ रहा है वह है तनाव|  

 बढ़ते हुए किशोर बच्चे उम्र के एक ऐसे पड़ाव पर होते हैं जहाँ वे न तो बड़ों के बीच में बैठकर अपनी बात कह पाते हैं और ना ही बच्चों के साथ खेलने में आनंद ले पाते हैं| इस समय कुछ शारीरिक परिवर्तन शरीर में हो रहे होते हैं तो कुछ हार्मोन्स में परिवर्तन हो रहे होते हैं| उनकी मानसिक स्थिति इस प्रकार की हो जाती है कि वे चुप रहना, अकेले रहना, आदि ज्यादा पसंद करने लगते हैं|

अगर किशोर होता लड़का या लडकी अपने काम पर ध्यान न दे पाए, अकेला रहना पसंद करने लगे, चुपचुप रहने लगे या अचानक अधिक गुस्से में आ जाये या irritate होकर बात करे तो समझ लेना चाहिए कि वो किसी तनाव में है| किशोर होते बच्चे तनाव की किसी गंभीर स्थिति तक ना पहुंचे, इसके लिए जरूरी है तनाव के लक्षण व कारणों की पहचान करना|

आइए जाने कि क्यों होता है किशोरावस्था में tension/तनाव ? (What is stress in teenage)? और किशोरावस्था क्या है, किशोरावस्था में तनाव के क्या लक्षण हैं (Symptoms of stress in teenage), टीनएज में तनाव के क्या कारण हैं? (causes of stress in teenage), और कैसे किशोरावस्था के तनाव को दूर किया जाए? (kishoravstha me tanav kaise dur kare)|

किशोरावस्था की उम्र क्या है? (Teenager ki age kya hai)

किशोर होते बच्चों को teenagers कहा जाता है| Teenage इंग्लिश के दो शब्दों से मिलकर बना है teen+age| इसलिए ऐसा माना जाता है कि teenager की आयु teen से शुरू होती है जैसे thirteen, fourteen ….. nineteen, इसलिए teenager/Adolescent की age 13 से 18-19 वर्ष तक मानी जाती है| इसलिए कहा जा सकता है कि जिनकी आयु 13 से 19 साल के बीच है, वे किशोर हैं|

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार किशोर की आयु सीमा 10 वर्ष से 19 वर्ष है|

किशोरावस्था में तनाव क्या है (Teenage me tanav kya hai)

किशोरावस्था/टीनएज में शारीरिक व मानसिक विकास तीव्र गति से होता है| हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण बच्चों में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं| साथ ही भावनात्मक स्थिति भी पल-पल बदलती है| कभी वह खुश दिखाई देता है तो अगले ही पल उदास हो जाता है| कभी वह सारी बातें मानते हुए समझदार लगता है तो अगले ही पल नाराज हो जाता है| कभी वह खेलते हुए दिखाई देता है तो कभी अपने आपको एक एकांत जगह या कमरे में बंद कर लेता है| ऐसी स्थिति में बच्चा दबा हुआ महसूस करता है| वह अपने मन की बात किसी को नहीं बता पाता (या नहीं बताना चाहता), तो वह तनाव में रहने लगता है| यही तनाव अधिक बढ़ने पर मानसिक विकार का रूप ले सकता है|

बच्चे के ऊपर कई बार peer-group का pressure होता है तो कई बार study का| parents की बच्चे से अपनी अलग उम्मीद होती है| इन सबके चलते भी किशोर बच्चा तनाव/stress में आ सकता है|

What is Stress management in teenage in Hindi


किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव के प्रकार (Types of stress in teenage)

स्ट्रेस के प्रकार भिन्न-भिन्न होते हैं| अचानक किसी प्रकार की परिस्थति में परिवर्तन होने पर भी स्ट्रेस हो सकता है| जैसे बीमारी होने पर, तथा  किसी घटना, दुर्घटना या किसी प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाला स्ट्रेस जैसे बाढ़, सुखा, या कोई महामारी आने पर|  Stress दो प्रकार के हो सकते  हैं|

Acute stress   यह स्ट्रेस कम समय के लिए होता है| यह किसी परिस्थति को मैनेज करने में मदद करता है| यह सामान्य है| यह तभी होता है जब हम कुछ नया करते हैं| किशोरावस्था में बच्चे young और healthy होते हैं इसलिए वे इस प्रकार के stress से अपने आप को जल्दी recover कर लेते हैं| सभी लोग कभी न कभी स्ट्रेस का अनुभव करते हैं| इसे धनात्मक (positive) स्ट्रेस भी कहते हैं|

Chronic stress   यह स्ट्रेस लम्बे समय तक रहता है| यह एक सप्ताह, एक महीना, या इससे भी अधिक समय तक रह सकता है| कई बार हम इस स्ट्रेस के इतने आदि हो जाते हैं कि हम इसको पहचान भी नहीं पाते| अगर स्ट्रेस अधिक समय तक रहने लगे तो यह समस्या का रूप ले सकता है| अगर हम स्ट्रेस को मैनेज करने के तरीके नहीं अपनाते तो हमें शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है| इसे नकारात्मक (negative) स्ट्रेस कहते हैं|

 एक Stress एक बार भी हो सकता है या ये थोड़े समय के लिए हो सकता है या कई बार यह एक समय के बाद दोबारा आ सकता है| कुछ व्यक्ति स्ट्रेस में जल्दी तथा प्रभावशाली तरीके से improve कर लेते हैं| जबकि कुछ लोगों को इससे उभरने में समय लगता हैं|  

किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव के लक्षण (Symptoms of stress in teenage)

तनाव किसी को भी हो सकता है| कई बार बच्चे अपनी समस्या किसी से share नहीं कर पाते ओर इससे उनका तनाव ओर अधिक बढ़ जाता है| इसलिए parents को चाहिए कि वे किशोर होते बच्चे में तनाव को उनके लक्षणों से और अपनी observation से पहचाने व तनाव से बाहर निकलने में उनकी मदद करें|

अगर किशोरावस्था में किसी प्रकार की कोई घटना या दुर्घटना हो जाती है तो वह (किशोर) लम्बे समय तक उभर नहीं पाता है तथा उसे शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है| इस आयु में स्ट्रेस के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं| 

  • काम में मन न लगना 
  • हर समय थका हुआ महसूस करना
  • बहुत भूख लगना या बिल्कुल ही कम खाना
  • दिमाग में कोई न कोई विचार चलते रहना 
  • बात-बात पर गुस्सा आना
  • चिडचिडापन व  झुंझलाहट होना 
  • पाचन शक्ति खराब होना, कब्ज होना
  • सिरदर्द, 
  • नींद की कमी,  
  • उदासी, 
  • एक काम को छोड़ कर दूसरे को शुरू कर लेना 
  • युवावस्था में शारीरिक परिवर्तन से तनाव 
  • बी.पी., ह्रदय आघात, मधुमेह, या मेंटल डिसऑर्डर हो सकता है| 

किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव के कारण (Causes of stress in teenage)

समय-समय पर हर कोई तनाव महसूस करता है| स्ट्रेस/तनाव हर आयु के व्यक्ति में अलग-अलग प्रकार का होता है| किशोर बच्चों में भी तनाव होता है| परन्तु तनाव के कारण अलग-अलग हो सकते हैं| 

एक उदाहरण से समझें- एक अत्यधिक पढ़ने वाले बच्चे के किसी competition में 0.25 नम्बर से qualify होने पर वह स्ट्रेस में आ गया, जबकि कम पढ़ने वाले बच्चे का पेपर क्लियर नहीं होने पर भी उसे कोई असर नहीं पड़ा| एक बच्चा जिसने केवल guess करके उत्तर दिए थे तथा उस के नम्बर इन दोनों प्रकार के बच्चों के बीच के आये थे, जबकि उस का पेपर भी qualify नहीं हुआ था, फिर भी वह बहुत खुश था|

इस आयु के युवक-युवतियों में शारीरिक परिवर्तन भी स्ट्रेस का एक कारण हो सकता है| इस आयु में उन की सोच के विपरीत जो शारीरिक परिवर्तन आते हैं और बच्चों को इस का ज्ञान नहीं होता तो उनको तनाव हो सकता है|

किशोरावस्था में स्ट्रेस/तनाव को दूर करने के तरीके (Release of stress in teenage)

काम के दबाव का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है जिससे स्ट्रेस होता है| अगर मेंटल हेल्थ ठीक न हो तो उस का प्रभाव काम पर पड़ता है जिससे स्ट्रेस ओर अधिक बढ़ जाता है| स्ट्रेस बढ़ने पर घर का काम हो या कॉलेज का हम कहीं भी अपने आप को ठीक से present नहीं कर पाते | इससे घबराने की आवश्यकता नही है| जरूरत है सतर्क रहने की| सोच समझ कर निर्णय लेने की| इसलिए स्ट्रेस देने वाले कारणों को पहचाने, तथा उस को दूर करने के उपाय तलाशें | 

किशोरावस्था के बच्चों में creativity ज्यादा होती है इसलिए वे नये तरीके से सोचें| नये उपाय से अपने स्ट्रेस को दूर करें| हमें अपने स्ट्रेस को मैनेज करना होगा और उसको मैनेज करने के तरीकों को अपनाना होगा जोकि निम्न प्रकार से हो सकते हैं|

  • परिवर्तन से तनाव महसूस न करें:   जब बच्चे किशोरावस्था की ओर बढ़ते हैं तो उनमें शारिरिक परिवर्तन आता है| जैसे आवाज में बदलाव आना, गुप्तांगों के आस-पास बाल उगना, लडकियों में सीने पर उभार, periods की शुरुआत, शुरू में अनियमित पीरियड्स के कारण व अन्य शारीरिक परिवर्तनों के कारण बच्चे तनाव महसूस करते हैं| कई बार वे इस बदलाव से परेशान होकर अधिक तनाव में आ जाते हैं| इस स्थिति में बच्चों को ॐ का उच्चारण करना चाहिए| ॐ का उच्चारण या ॐ के जाप करने से स्वर नलिका से जो ध्वनि निकलती है, उससे श्वास नलिका के उपचार में लाभ होता है| मस्तिष्क में कम्पन होने से दिमाग शांत होता है और एकाग्रता भी बढ़ती है| मन शांत होता है तथा तनाव दूर होता है|
  • प्रतिस्पर्धा (competition) तथा तुलना न करें:  हम सब में अपने अपने अलग गुण तथा प्रतिभा होती है| परन्तु फिर भी हम व्यर्थ की प्रतिस्पर्धा और अनावश्यक तुलना व दूसरों से प्रतियोगिता करने में लगे रहते हैं इससे तनाव पैदा हो सकता है| इसलिए आपस में नकारात्मक प्रतिस्पर्धा करने से बचें व तनाव से दूर रहें | 
  • भरपूर नींद लें: समय-पर सोना तथा समय पर उठाना, हमें स्वस्थ रखने में मदद करता है| किशोरावस्था में 6-7 घंटे की नींद बहुत जरूरी है| पूरी नींद लें लेकिन जरूरत से ज्यादा न सोएं| पूरी नींद लेकर ही हम पूरा काम कर सकते हैं तथा स्ट्रेस से दूर रह सकते हैं|
  • पौष्टिक आहार लें: पौष्टिक व संतुलित भोजन खाएं| तनाव की स्थिति में जंक फ़ूड तथा तला हुआ भोजन बिलकुल न खाएं| मोटे अनाज व अंकुरित अनाज का सेवन भी फायदेमंद है| फैक्ट्री में बनने वाले भोजन ज्यादा मात्रा में न खाएं जैसे बिस्कुट,नमकीन,कुरकुरे,चिप्स आदि| फास्टफूड, कोल्डड्रिंक, पिज़्ज़ा, बर्गर की बजाये ग्रीन फ़ूड व मौसमी सब्जियां खाएं| अंकुरित दालें, ब्रोकली, ब्लूबेरी, व सीजनल फल व सब्जियों का सेवन करें| प्राकृतिक पेय जैसे स्वच्छ जल, नारियल पानी, नींबू पानी व लस्सी लें |
Seasonal fruit
  • संगीत(music) सुनें  Music सुनने से भी स्ट्रेस दूर होता है| स्ट्रेस कम करने के साथ-साथ music मेमोरी को भी improve करता है तथा एकाग्रता को बढ़ता है| हम कोई गाना याद करें, उसे गुनगुना कर देखें| उससे भी मन को शांति मिलती है तथा स्ट्रेस दूर होता है|
  • लिखने की आदत:  लिखने की आदत बनाएं| लिखना एक कला है| अपनी feelings को लिखें| लिखने से रचनात्मकता आती है और विचारों को आकार भी मिलता है| लिखने की आदत के ओर भी फायदे हैं जैसे इससे मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, ज्यादा समय तक याद रहता है, memory sharp होती है और लिखावट में सुधार आता है| अपनी दिन की बातों का विश्लेषण करें | उन बुरी आदतों को सोचकर लिखें जो हमें या दूसरों को कष्ट देती हैं|  लिखने के बाद कोई negative बात दिमाग पर हावी नहीं रहती| मन को शांति मिलती है तथा स्ट्रेस कम होता है|
  • किताब पढ़ें: अपनी रूचि की किताब पढ़ें | धीरे धीरे किताबों को बढ़ाएं| इस प्रकार किताबें पढ़ने से स्ट्रेस कम होता है| 
  • अनुशासन में रहें: हमें एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करना चाहिए| रात को देर से सोने और सुबह देर से उठने की आदत को बदलें| शुरू में जल्दी नहीं उठ सकते तो अपने उठने के समय में आधा घंटा कम करते हुए इसमें बदलाव करें और धीरे-धीरे जल्दी उठने की आदत बनाएं| एक अनुशासित दिनचर्या से शरीर स्वस्थ रहता है, सभी काम समय पर हो पाते हैं और तनाव नहीं होता|
  • काम को कल पर न टालें: कई बार हम काम को गम्भीरता से नहीं लेते और कल पर टाल देते हैं| जब उस काम को करने का समय नजदीक आता है तो तनाव होने लगता है| इसलिए हमें अपना हर काम कल पर न टालकर सही समय पर तथा सही तरीके से करना चाहिए | इससे काम सही समय पर होगा तथा हम तनाव में नहीं आएगें |
  • हंसी योग करें: हंसी आसन करें | हंसने से हम अपने दिल तथा दिमाग के बोझ को तो कम कर ही लेते हैं, साथ ही इस से हमारे अंदर सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है| हंसने से हम रिलेक्स रहते हैं तथा स्वस्थ रहते हैं तथा स्ट्रेस भी दूर होता है|   
Do laughter yoga
  • जीवन की वास्तविकताओं का सामना करें जीवन की वास्तविकताओं व सच्चाईयों से भागें नहीं | उन का सामना करें| व्यर्थ की बातें व नकारात्मक कल्पनाएँ न करें | मन पर बोझ  बना कर न रखें| 
  • नियमित योगाभ्यास और ध्यान  सेहतमंद रहने के लिए व्यायाम या योग करना बहुत जरूरी है| 30 से 45 मिनट तक चलना, दौड़ना, एक्सरसाइज, या योग जरुर करें| इस से स्ट्रेस से मुक्ति मिलती है तथा शरीर भी स्वस्थ रहता है| मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नियमित आसन, प्राणायाम तथा ध्यान करें| इससे हमारा शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है| करें योग रहें निरोग|
stress Management in teenage in Hindi
  • गहरे लम्बे श्वास: गहरे लम्बे श्वास लेने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन का level बढ़ता है| lungs में ऑक्सीजन पहुँचने के कारण वे फूलते हैं तथा मजबूत बनते हैं| गहरे श्वास लेने से सिर में हल्कापन महसूस होता है तथा स्ट्रेस दूर होता है| 
  • प्रसन्नचित्त रहें तथा सकारात्मक विचार रखें: हमेशा stress-free रहने के लिए आपको positive सोच बनानी होगी| आपको हर पहलू पर negative की बजाय positive भाव रखने होंगे| तभी आप stress से दूर रह सकते हैं| इसलिए हमेशा खुश रहें| चेहरा खिला रहे| भावनाओं को दबाएँ नहीं, उन्हें प्रकट होने दें| नकारात्मक न सोचें| अपने विचारों में संतुलन रखने का प्रयास करें|
  • परिवारिक सम्पर्क व संवाद: प्राय: देखा गया है कि अकेलेपन के कारण तनाव होने की संभावना अधिक होती है| यदि हम परिवार के साथ मिलजुल कर रहते हैं, उनसे अपने मन की बात करते हैं, मित्रों से अपने तनाव के बारे में बात करते हैं, तो बहुत सी मानसिक समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है और तनाव भी नहीं बढ़ता|
  • ॐ का उच्चारण करे: कम से कम तीन बार ॐ का उच्चारण जरुर करें| ॐ मंत्र का उच्चारण करने से आस-पास का वातावरण शुद्ध होता है तथा मन में सकारात्मकता आती है जिससे तनाव दूर होता है|
  • भ्रामरी प्राणायाम करें: भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करने से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, मन शांत होता है, नींद अच्छी आती है तथा तनाव दूर करने में मदद मिलती है|
Read: Stress Management in Hindi

FAQ’s : किशोरावस्था में तनाव के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (Questions Related to Stress management in teenage)|

स्ट्रेस/टेंशन क्या है (What is Stress/tension)?

जब हम छोटी छोटी बातों के बारे में बहुत ज्यादा सोचते हैं व हमारा दिमाग दबाव या pressure महसूस करने लगता है तो यह स्ट्रेस/टेंशन (tension) है| स्ट्रेस positive भी हो सकता है और negative भी| बार-बार होने वाला negative स्ट्रेस tension का कारण बनता है|

किशोरावस्था में tension/तनाव को कैसे दूर करें (How to release stress in teenage)?

किशोरावस्था में होने वाले तनाव को दूर करने के निम्न उपाय किए जा सकते हैं| जैसे सकारात्मक (positive) सोचें| अपनों के सम्पर्क में रहें| पौष्टिक व संतुलित आहार लें| पूरी नींद लें| खाली न रहें, अपने आपको किसी न किसी काम में व्यस्त रखें| अपनी रूचि के काम करें| अपना मन पसंद संगीत सुने| नशीले पदार्थो से बचें| आसन प्राणायाम व ध्यान तनाव को दूर करने में मदद करते हैं|

इस विषय से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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