वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव – कारण व उपचार (Stress Management in old age in Hindi)

इस blog में वृद्धावस्था में होने वाला तनाव (What is stress in old age)?, वृद्धावस्था में तनाव के कारण (Vridhavastha me tanav ke kaaran), वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव के लक्षण (Symptoms of stress) तथा वृद्धावस्था में तनाव को दूर करने के उपायों (How to release stress in old age) के बारे में जानेगे|

वृद्धावस्था में व्यक्ति  को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके कारण उसे स्ट्रेस होता है| पारिवारिक समस्याओं के अलावा बी.पी., हार्ट व lungs की समस्या, शूगर की समस्या, बालों का झड़ना, दांतों की समस्या आदि के कारण व्यक्ति  परेशान रहने लगता है और स्ट्रेस को हेंडल करने में कठिनाई महसूस करता है|

हम सब को कभी न कभी स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है जब हम जवान होते हैं तो स्ट्रेस का सामना आसानी से कर लेते हैं परन्तु वृद्धावस्था में ये उतना आसान नहीं होता| शरीर तथा मन स्ट्रेस को मैनेज करने में हेल्प करता हैं, लेकिन इस अवस्था में मन तथा शरीर दोनों ही स्ट्रेस को मैनेज करने में हमारा साथ नहीं देते|

जीवन में स्ट्रेस या तनाव होना एक सामान्य बात है| यह कोई चिंता का विषय नहीं है| फिर भी किसी प्रकार का स्ट्रेस या तनाव होने पर वृद्ध व्यक्ति को शांत मन से अपने अनुभव का लाभ उठाना चाहिए| पहले उन्हें अपनी असफलताओं व स्ट्रेस के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए| जैसे ही अपनी कमजोरियों का पता चले तो उन्हें मनोवैज्ञानिक ढंग से अपनी परेशानीयों को दूर करके मजबूत बनना चाहिए|

Stress management old age in Hindi

वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव के कारण  (Causes of stress in old age)

वृद्धावस्था में व्यक्ति ज्यादा स्ट्रेस महसूस करता है तथा स्ट्रेस से निकलने में अपनेआप को असमर्थ पाता है| स्ट्रेस/तनाव होने के अनेक कारण  हो सकते हैं|

  • वृद्धावस्था में शारिरिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं|
  • थकान होने लगती है|
  • आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है| 
  • दूसरों पर आश्रितता महसूस होती है|
  • व्यक्ति को हाई बी.पी., मोटापा, मधुमेह, हार्ट प्रॉब्लम आदि होने की आशंका होती है|
  • दांतों की समस्या, बालों का झाड़ना व सफेद होना आदि समस्यों का सामना करना पड़ता है|
  • भोजन चबाने व पचाने में समस्या होती है|
  • तला हुआ, मीठा, चटपटा भोजन, खाने को मन करता है जोकि डॉक्टर ने मना किया हुआ है|
  • चलना फिरना आसान नहीं होता|
  • कई बार घुटनों में दर्द या कमर में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है|
  • गिरते स्वास्थ्य के कारण स्ट्रेस होता है|
  • वृद्ध व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को परेशानी का बड़ा कारण मानने लगता है|

ये सभी कारण व्यक्ति में स्ट्रेस उत्पन्न करते हैं| यदि व्यक्ति एक के बाद एक stress देने वाली situations को face करता रहता है तो धीरे-धीरे ये tension या depression का रूप ले सकता है|  

वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव के प्रकार ( Types of stress in old age)

स्ट्रेस जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया है| कोई खुशी की बात भी स्ट्रेस का कारण हो सकती है| कोई भी कार्य या घटनाएँ जो हमारे साथ होती हैं, वे हमारे जीवन पर शारीरिक या मानसिक रूप से प्रभाव छोड़ती हैं| हम अपने विचारों से, वातावरण से अच्छे या बुरे स्ट्रेस का अनुभव करते हैं| स्ट्रेस दो प्रकार के होते हैं|

  • Acute stress / positive stress यह स्ट्रेस कम समय के लिए होता है| यह किसी परिस्थति को मैनेज करने में मदद करता है| यह सामान्य है| यह तभी होता है जब हम कुछ नया करते हैं| सभी लोग कभी न कभी स्ट्रेस का अनुभव करते हैं| इसे धनात्मक (positive) स्ट्रेस भी कहते हैं|
  • Chronic stress / negative stress यह स्ट्रेस लम्बे समय तक रहता है| यह एक सप्ताह, एक महीना, या इससे भी अधिक समय तक रह सकता है| कई बार हम इस स्ट्रेस के इतने आदी हो जाते हैं कि हम इसको पहचान भी नहीं पाते| अगर स्ट्रेस अधिक रहने लगे तो यह समस्या का रूप ले सकता है |chronic stress में व्यक्ति की सोचने, याद रखने तथा सामान्य व्यवहार करने की क्षमता प्रभावित होती है| स्ट्रेस के कारण मोटापा बढ़ने लगता है, इम्युनिटी कम हो जाती है, शूगर तथा depression की समस्या बढ़ जाती है| ज्यादा स्ट्रेस होने पर बुढ़ापा जल्दी आता है, चेहरे पर झुरियां पड़ जाती है| अगर हम स्ट्रेस को मैनेज करने के तरीके नहीं अपनाते तो हमें शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है| इसे नकारात्मक (negative) स्ट्रेस कहते हैं|

वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव के लक्षण (Symptoms of stress in old age)

स्ट्रेस के जो लक्षण होते हैं, वृद्धावस्था में भी उसी प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं| स्ट्रेस व वृद्धावस्था के लक्षण काफी समान होते हैं, इसलिए कई बार ये पहचानना मुश्किल हो जाता है कि ये लक्षण स्ट्रेस के हैं या वृद्धावस्था के| स्ट्रेस के लक्षण अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं| हो सकता है जो एक व्यक्ति के लिए स्ट्रेस हो उसका दूसरे पर कोई प्रभाव ही न हो| स्ट्रेस के प्रति हर व्यक्ति का अपना नजरिया है| स्ट्रेस के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं| 

  • स्ट्रेस में सिरदर्द, पेट खराब रहने लगता है | 
  • बी.पी. बढ़ना, चेस्ट-पैन, जैसे शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं|
  • मन उदास रहता है|
  • कुछ करने को मन नहीं करता|
  • चिंता, नींद की कमी, कब्ज ही समस्या आदि हो सकती है|
  • शरीर में दर्द होने लगता है|
  • उठने बैठने में परेशानी होने लगती है|
  • चिड़चिड़ापन रहने लगता है|
  • गुस्सा आने लगता है|
  • व्यक्ति को याद कम रहता है|
  • आत्मविश्वास कम होने लगता है| 
  • स्ट्रेस ओर अधिक हानिकारक हो सकता है यदि व्यक्ति स्ट्रेस दूर करने के लिए शराब, सिगरेट, ड्रग्स का सहारा लेने लगे|
  • चिंता अधिक बढ़ने पर depression का रूप ले सकता है|

वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव को दूर करने के उपाय (Stress/Tanav ko dur karne ke upay)

स्ट्रेस/तनाव से हमें कभी न कभी गुजरना पड़ता है| परन्तु अगर ये पता हो कि स्ट्रेस को कैसे manage किया जाये, तो जीवन जीना आसन हो जाता है| स्ट्रेस को manage करने के कुछ तरीके हैं, जिनसे इसको manage किया जा सकता है| अगर हम स्ट्रेस में हों तो इनमें से कोई भी तरीका अपना कर स्ट्रेस को दूर कर सकते हैं|

  • भरपूर नींद लें : – वृद्धावस्था में ठीक से नींद न आना स्ट्रेस को बढ़ाता है| इस अवस्था में कई बार हम चलने के काबिल भी नहीं रहते, जिससे थकान कम होने के कारण भी नींद कम आती है, जिससे स्ट्रेस बढ़ता है| रात को सोने से पहले दो मिनिट का ध्यान करें| इस खूबसूरत दिन के लिए भगवान का धन्यवाद करें| अच्छी जिंदगी मिली है ये सोच कर जिंदगी का धन्यवाद करें| इससे अच्छी नींद आएगी और जिंदगी खुशहाल हो जाएगी| 
  • पौष्टिक आहार : – बहुत ज्यादा शूगर (मीठा) या बहुत ज्यादा नमक से भरा (युक्त) खाना न खाएं| यह शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है| अधिक शूगर मधुमेह को तथा अधिक नमक बी.पी. को बढ़ा सकता है| पौष्टिक आहार लें व थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार खाएं| मौसमी फल व सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं| ब्लू-बेरी, ब्रोकली, बदाम, हरी सब्जियां खाएं| चाय कॉफी की जगह ग्रीन-टी व दूध लेने की आदत डालें| तला हुआ भोजन कम खाएं| सुबह का खाना पौष्टिक व हेवी लें| दोपहर को दही, दाल, सब्जी, सलाद का सेवन करें| रात का भोजन हल्का, मात्रा में कम तथा सुपाच्च्य होना चाहिए|
  • चलने की आदत बनाएं : –  अपने सामर्थ्य के अनुसार टहलें| टहलते समय चेहरे तथा मन में खुशी के भाव होने चाहियें| सकारात्मक विचार मन में लायें| जिंदगी की खूबसूरती के बारे में विचार करें| जिंदगी में हमेशा अच्छा नहीं होता, फिर भी सोचें जिंदगी कितनी अच्छी है| आप को जिंदगी से क्या मिला है, यह सोचकर जिंदगी का आनंद लेना सीखें|
  • सामूहिक योगाभ्यास करें : – योग करना एक महान क्रिया है| वृद्धावस्था में योग करके स्ट्रेस को दूर किया जा सकता है| योग स्ट्रेस को दूर करने में धनात्मक रूप से जुड़ा है| सामूहिक योग करें| सामूहिक योग करने से नियमितता और सामाजिकता आती है| भाईचारा बढ़ता है|  योग की क्रियाओं से शरीर हल्का व चुस्त बनता है| योग से शारीरिक व मानसिक दोष दूर होते हैं|
Group practice
  • हंसी योग करें : –   हंसना सेहत के लिए अच्छा है| भागदौड़ भरी जिन्दगी से खुशियाँ कब दूर हो गई और उस की जगह तनाव ने ले ली पता ही नही चला| इस तनाव को हंसी – आसन से दूर किया जा सकता है| खुल कर हँसे| यह एक प्रकार की दवा है जो वृद्धावस्था में स्ट्रेस को कम कर देती है| हास्य योग करने से बीमारियाँ दूर होती हैं जैसे बी.पी., कम नींद आना, आदि| अकेले होने पर भी हंसना चाहिए| कोई joke सुनकर, कोई घटना याद करके, कोई फिल्म देखकर हंसा जा सकता है| हंसने से स्ट्रेस कम होता है|
Laughter yoga
  • गहरे लम्बे श्वास : – गहरे लम्बे साँसों का अभ्यास करें | सुविधापूर्वक बैठें| नीचे न बैठ पायें तो किसी कुर्सी या बेंच पर बैठें| गहरे लम्बे श्वास अंदर भर लें, समर्थ्य के अनुसार रोकें व धीरे-धीरे बाहर छोड़ें | अब श्वास को समर्थ्य के अनुसार बाहर रोक कर रखें| अपनी सामर्थ्य के अनुसार कई बार करें| इससे स्ट्रेस को दूर करने में आसानी होती है, मन शांत होता है और व्यक्ति स्ट्रेस से बाहर निकल पाता है| 
deep breathing
  • ॐ का उच्चारण  ॐ का उच्चारण करें| ॐ के उच्चारण के लिए अपनी सुविधा के अनुसार किसी एक आसन में शांत बैठें| कमर गर्दन सीधी, आँखें कोमलता से बंद करें| एक लम्बा गहरा श्वास भरें, होंठों को गोल करते हुए “ओ”  तथा होंठों को बंद करते हुए “म” की ध्वनी करते हुए धीरे-धीरे श्वास को  2:1 में बाहर निकालें| इस क्रिया को सुबह व शाम को करें| इस के करने से कपाल (head) में कम्पन महसूस होता है| जिससे मन को शांति मिलती है, तथा स्ट्रेस/तनाव दूर होता है|
om mantra
  • कुछ creative करें : –  कुछ नया करें| कोई नई स्किल सीखें जैसे पेंटिंग, कढ़ाई, कुछ नया खाना बनाना आदि और उसका दैनिक जीवन में प्रयोग करें| किसी की मदद करें| हर दिन किसी के चेहरे पर मुस्कान लायें| दूसरों को खुश देखकर मन को खुशी मिलती है|
  • मित्र बनाएं : –  किसी समय सब मित्र मिलकर बैठें| उन से खुलकर बातें करें| अपनी चिंताओं व परेशानियों को उनके साथ शेयर करके स्ट्रेस को कम किया जा सकता|
     
make friends

अपने लिए जियें कुछ बुजुर्ग हमेशा तनाव से घिरे रहते हैं| कभी परिवार के रूखे व्यवहार, कभी घर की चिंता या फिर कभी अपने जीवन के बारे में सोच-सोच कर तनाव ले लेते हैं| फिर गुस्सा और चिडचिडापन मन पर हावी होने लगता है| अपनी सोच को positive रखें| Stress न लें| इससे मन शांत होता है तथा जीवन की हर शिकायत दूर हो जाती है| 

Read: Stress Management in Hindi

FAQ’s : वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (Questions related to stress/Tanav in old age)|

वृद्धावस्था में स्ट्रेस/तनाव क्या है (What is stress/tension in old age)?

वृद्धावस्था में व्यक्ति  को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे पारिवारिक, शारीरिक, मानसिक आदि| जिनके कारण वह मानसिक दबाव (pressure) महसूस करने लगता है| यही तनाव है जिसके कारण व्यक्ति वृद्धावस्था में परेशान रहने लगता है|

वृद्धावस्था में स्ट्रेस को कैसे दूर करें (How to release stress in old age)?

अपने अनुभवों का फायदा उठाते हुए स्ट्रेस को कम करने पर ध्यान दें और सोचें कि किन तरीकों से हम अपने तनाव को कम कर सकते हैं| स्ट्रेस देने वाले विचारों को रोकना हमारे बस में नहीँ है लेकिन negative विचारों को हम positive में बदल सकते हैं| जो परिस्थितियाँ तनाव को बढ़ा रही हैं, उन के बारे में ज्यादा ना सोचें| अपने लिए जियें|अपनी रूचि का कार्य करें जैसे ड्राइंग, पेंटिंग, गार्डनिंग, आदि| सैर करें, योग, आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि करें| खाली न बैठें, किसी न किसी काम में लगे रहें ताकि नकारात्मक विचार मन में न आएं|

वृद्धावस्था में तनाव को दूर करने वाले योग (Yoga for stress management in old age)

तनाव को दूर करने में सैर, व्यायाम व योगाभ्यास का बहुत महत्व है| वृद्धावस्था में योग करके स्ट्रेस को दूर किया जा सकता है| सामूहिक योग करने से नियमितता और सामाजिकता आती है| अपने सामर्थ्य के अनुसार आसनों का अभ्यास करें| गहरे लम्बे श्वास, ॐ का उच्चारण, भ्रामरी, अनुलोम-विलोम आदि प्राणायाम करें| इनका नियमित अभ्यास करने से न केवल तनाव को कम किया जा सकता है बल्कि इससे छुटकारा पाया जा सकता है|

इस blog में हमने जाना कि वृद्धावस्था में होने वाला तनाव क्या है?(what is stress in old age)?, इसके कारण (causes), लक्षण (Symptoms of stress) तथा तनाव को दूर करने के क्या-क्या उपाय हैं (How to release stress in old age) |

इस विषय से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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