तनाव, चिंता व अवसाद/डिप्रेशन क्या है, इनके लक्षण व दूर करने के उपाय (Stress, Anxiety and Depression in Hindi)

इस blog में तनाव, चिंता व अवसाद/डिप्रेशन क्या है (Tanav, chinta v avasad/depression kya hai), तनाव, चिंता व अवसाद/डिप्रेशन के लक्षण (Tanav, chinta v avasad/depression Symptoms), तथा तनाव, चिंता व अवसाद/डिप्रेशन को कैसे नियंत्रित किया जाए (How to control stress/tanav, anxiety/chinta and depression/avasad) के बारे में जानेगे|

तनाव/stress एक मानसिक बीमारी है| हमेशा तनाव में रहने वाले व्यक्ति को चिंता (Anxiety) होने की संभावना बढ़ जाती है| चिंता (Anxiety) के कारण कभी-कभी अवसाद/डिप्रेशन (Depression) नामक मानसिक विकार होने की संभावना बढ़ जाती है| तनाव, चिंता और अवसाद क्या हैं| इनके विषय में जानना भी जरूरी है| ताकि इनके लक्षण देख – समझकर समय पर इलाज किया जा सके और कोई गम्भीर स्थिति आने से बचा जा सके|

तनाव (Stress), चिंता (Anxiety) व अवसाद/डिप्रेशन (Depression) क्या हैं|

तनाव, चिंता व अवसाद तीनों एक जैसे प्रतीत होते हैं| परन्तु इनके लक्षण, कारण तथा इलाज की दृष्टि से ये तीनों भिन्न-भिन्न हैं|

Stress, Anxiety and Depression in Hindi

तनाव/स्ट्रेस क्या है? (Tanav/Stress/Tension kya hai in hindi)

कोई भी कार्य या बात सामने आने पर एकदम से समाधान न मिल पाना ही तनाव है| यह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति किसी विषय के बारे में सोचता है| तनाव की कोई न कोई वजह होती है अर्थात् यह बिना वजह नहीं होता| या जब किसी समस्या का समाधान नहीं हो पाता तो व्यक्ति पर मानसिक तनाव बना रहता है| तनाव/stress positive भी होता है और negative भी| positive stress व्यक्ति को ध्यान केन्द्रित करने में मदद करता है| इसमें व्यक्ति समस्या का समाधान करने के लिए लोगों से मदद भी लेता है| negative stress अधिक समय तक बने रहने से व्यक्ति पर मानसिक दबाव बना रहता है और तनाव का असर उसके स्वास्थ्य पर पड़ने लगता है| कई प्रकार के तनाव एक साथ या एक के बाद एक लगातार आने व उनका समाधान न हो पाने से स्थिति अधिक बिगड़ जाती है|

तनाव/स्ट्रेस के लक्षण (Symtoms of Tanav/stress)

तनाव से व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं:

  • सिरदर्द रहना
  • घबराहट
  • नींद की कमी
  • नींद आने पर अचानक उठ जाना
  • किसी काम में मन न लगना
  • बैचेनी होना
  • त्वचा पर धब्बे दिखाई देना ज्यादातर चेहरे पर
  • कभी-कभी सीने में दर्द होना

यदि तनाव लम्बे समय तक बना रहे तो व्यक्ति को अन्य बीमारियाँ होने की संभावना बढ़ सकती है| जैसे

  • High B.P.,
  • मधुमेह,
  • मोटापा,
  • हृदय रोग आदि|

तनाव को दूर करने के उपाय

  • तनाव हो तो गहरी लम्बी श्वास तब तक लें, जब तक हल्का महसूस न होने लगे| गहरी सांस लेने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है जिससे तनाव कम करने में मदद मिलती है|
  • किसी काम को (जो कम महत्वपूर्ण हो) उसे कुछ समय के लिए टाल दें|
  • तनाव होने पर थोड़ा टहलें, चाहे कमरे में ही सही| इससे ध्यान को दूसरी ओर लगाने में मदद मिलेगी|
  • किसी दूसरे की गलती पर गुस्सा आता हो तो कुछ समय शांति देने वाला संगीत सुने|
  • 6 से 8 घंटे की पूरी नींद लें| कम नींद लेने से चिड़चिड़ापन आता है और तनाव बढ़ता है| पूरी नींद होने से तनाव कम होता है|
  • तनाव हो तो उसे कम करने के लिए हंसने की महान क्रिया का सहारा लिया जा सकता है| योग करते हुए खुलकर हंसे या आप कोई चुटकला सुनकर भी हंस सकते हैं| इस प्रकार हंसने का अभिनय करने से भी मन खुश रहता है तथा तनाव दूर होता है|
  • तनाव दूर करने के लिए योग का सहारा लें| कुछ आसन व प्राणायाम ऐसे हैं जिन्हें करने से तनाव दूर करने में मदद मिलती है| आसन जैसे भुजंगासन, शशकासन, सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्ध हलासन, शवासन| प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, कपालभाति आदि|

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चिंता/एंग्जायटी क्या है? (Anxiety kya hai in hindi)

जब व्यक्ति अधिक समय तक तनाव में रहता है तो इस स्थिति में वह दबा हुआ महसूस करता है| इस दबाव/तनाव के कारण उसमें चिंता/एंग्जायटी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है| या हम कह सकते हैं कि अधिक तनाव चिंता पैदा करता है| कई बार चिंता किसी अज्ञात व अनियंत्रित खतरे की संभावना से भी उत्पन्न होती है| चिंता में व्यक्ति समस्या का समाधान करने से डरता है, लोगों से दूर भागता है| चिंता अधिक होने पर बीमार भी हो सकता है|

चिंता की स्थिति में हृदय और पेट पर जोर पड़ता है और घबराहट भी होती है| ऐसी स्थिति में कुछ देर के लिए दिल की धडकन अनियंत्रित हो सकती हैं और गले व गर्दन में भी दर्द शुरू हो सकता है| इससे थकान और सांस की दिक्कत होने की संभावना बढ़ सकती है|

कई बार एंग्जायटी के कारण अवसाद होने की संभावना हो जाती है| वैसे एंग्जायटी और अवसाद अलग-अलग प्रकार के मनोवैज्ञानिक विकार हैं|

चिंता/एंग्जायटी के लक्षण (Symtoms of Anxiety)

चिंता के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं जैसे:

  • बैचेनी होना
  • घबराहट रहना
  • छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन
  • बार-बार बातें दौहराते रहना
  • नींद न आना या बहुत कम आना
  • भयभीत रहना
  • ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई होना
  • काम में मन न लगना
  • किसी एक ही विषय पर सोचते रहना
  • जिस विषय पर चिंता हो रही हो घुमा-फिर कर केवल उसी के बारे में बातें करना (खुद भी सोचना व दूसरों से भी उसी पर सवाल करना)
  • जरा सी आहट पर डर जाना
  • शारीरिक थकान महसूस होना
  • नकारात्मकता आदि|

चिंता को दूर करने के उपाय

  • चिंता होने पर इससे बचाव के लिए स्वयं प्रयास करें, क्योंकि चिंता किस कारण से हुई है यह केवल आप ही जानते हैं|
  • किसी बात के लिए प्रतिक्रिया देने या बोलने से पहले मन ही मन 10 तक गिनें
  • वर्तमान में जिएं, पिछली बातें सोच-सोच कर चिंतित न रहें|
  • खुद पर विश्वास रखें, ऐसा करने से आप जल्द ही चिंता से उभर पाएंगे|
  • कोई भी समस्या आए तो उसका समाधान करने के किए उसे एक ही बार में हल करने की बजाए parts में हल करें| इससे चिंता कम होती है|
  • अपने किसी नजदीकी से अपनी समस्या को साझा करें, इससे भी तनाव व चिंता दूर करने में मदद मिलती है|
  • 6 से 8 घंटे की पूरी नींद लें, पूरी नींद लेने से चिंता को दूर करने में मदद मिलती है|
  • सांस से सम्बंधित प्राणायाम करें| गहरे-लम्बे श्वास, अनुलोम-विलोम, ॐ का उच्चारण, भ्रामरी प्राणायाम आदि ऐसे प्राणायाम हैं जो आपको मानसिक शांति देकर तनाव व चिंता से मुक्त करने में मदद करते हैं|
  • ध्यान या मैडिटेशन करने से भी मन शांत होता है तथा चिंता दूर करने में मदद मिलती है|

चिंता/एंग्जायटी होने पर इसे ठीक होने में ज्यादा समय लगता है| अगर फिर भी अपनी चिंता पर काबू पाना संभव ना हो तो ऐसी स्थिति में मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए| क्योंकि अधिक चिंता मनोवैज्ञानिक विकारों का कारण बनती है|

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Depression

अवसाद/डिप्रेशन क्या है? (Depression kya hai in hindi)

अवसाद एक प्रकार का मानसिक विकार है| जिसके आगे भी तीन प्रकार होते हैं| कई बार कुछ अन्य प्रकार के मानसिक विकारों के होने पर भी अवसाद होने की संभावना हो जाती है| एंग्जायटी होने पर कई बार अवसाद हो सकता है| चिंता से हमेशा अवसाद होगा ही यह जरूरी नहीं है| जब व्यक्ति को चिंता/Anxiety होती है और अगर इसका समाधान न हो पाए तो यह स्थिति अवसाद का रूप ले सकती है| यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति पर मानसिक दबाव इस कदर बढ़ जाता है कि वह अपने आपको संभाल नहीं पाता और अवसाद/Depression का शिकार हो जाता है| किसी अपने को खोने का गम या कोई आर्थिक नुकसान भी इसके मुख्य कारण हो सकते हैं|

अवसाद/डिप्रेशन के लक्षण (Symtoms of Depression)

अवसाद/डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे:

  • सदा निराशा में दिखाई देना
  • किसी काम में मन न लगना
  • उदासी रहना
  • अपने आप में डूबे रहना
  • कभी-कभी बिना कारण रोने लगना
  • भूख न लगना
  • नींद न आना
  • किसी काम में रूचि न होना
  • छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन होना या गुस्सा आ जाना
  • व्यक्ति किसी से बात नहीं करना चाहता
  • परिवार के साथ होते हुए भी अकेलापन महसूस करना
  • लम्बे समय तक एक ही विषय पर ना जाने क्या सोचता रहता है
  • आत्महत्या जैसे विचार मन में आ सकते हैं

इस प्रकार के लक्षण कुछ दिनों से कुछ महीनों तक बने रहें तो यह स्थिति डिप्रेशन कहलाती है| इस प्रकार का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर आपको समझ जाना चाहिए कि व्यक्ति डिप्रेशन की ओर बढ़ रहा है| ऐसी स्थिति में परिवार का कर्तव्य है कि एक स्तंभ की तरह उसका हर समय साथ दें| डिप्रेशन की स्थिति आने से पहले ही उसको सम्भलने में मदद करें| अपनापन और आपका साथ पाकर वह ठीक भी रह सकता है|

डिप्रेशन से बचने के लिए उपाय

स्वयं प्रयास करें: अवसाद/डिप्रेशन जैसी स्थिति महसूस होने पर व्यक्ति को स्वयं बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि व्यक्ति अपनी समस्या के बारे में खुद ज्यादा जानता है और कोशिश करके इस समस्या से बाहर निकल सकता है|

अपनी सांसों पर ध्यान दें: अपनी आँखें बंद करके धीरे-धीरे सांस अंदर भरें और बाहर निकालें| सांस लेने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को महसूस करें| सांस नासिका से होते हुए मस्तिष्क में, फिर गले से होते हुए सीने और फिर पेट में जाती हुई महसूस करें| इससे धीरे-धीरे मन को शांति और सुकून महसूस होने लगता है| यह तरीका अवसाद/डिप्रेशन से निकलने में मददगार है|

खेल खेलें: जब आप भागने-दौड़ने वाले games खेलते हैं तो शरीर में एंडोर्फिन नामक रसायन का स्त्राव होता है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखता है बल्कि इससे चिंता व डिप्रेशन भी दूर होते हैं|

खुश रहने का प्रयास करें: जब आप खुश होते हैं, हंसते हैं तो अंदर से संवेदनाएं व positive भावनाएं जागृत होती हैं, जिससे चिंता व डिप्रेशन को दूर करने में मदद मिलती है|

अपने मन-पसंद काम करें: अध्यनों से पता चला है कि जब आप अपनी पसंद का काम करने में रूचि लेते हुए सक्रिय रहते हैं तो मनोदशा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है| मन संतुष्ट रहता है तथा चिंता व अवसाद से दूर रहने में मदद मिलती है|

नजदीकी व भरोसेमंद से बात करें: अपने प्रिय व्यक्ति या अपने किसी नजदीकी, जिस पर आप विश्वास करते हैं, से अपनी समस्या को साझा करें, इससे भी चिंता व अवसाद की स्थिति को दूर करने में मदद मिलती है|

लेकिन फिर भी यदि व्यक्ति डिप्रेशन या अवसाद में है और वह स्वयं अपनी मदद न कर सके तो परिवार को उसकी मदद करनी चाहिए जो इस प्रकार की जा सकती है|

उससे बातें करने का प्रयास करें: अवसाद/डिप्रेशन की ओर जाता हुआ व्यक्ति उदासी व निराशा में दिखाई देने लगता है और किसी से बात नहीं करना चाहता| लेकिन परिवार के किसी न किसी सदस्य जिस पर वह विश्वास करता हो उसे इस प्रकार के रोगी से बातें करने की कोशिश करनी चाहिए| ऐसी बातें करें जिसमें हम कम बोलें लेकिन रोगी को बातों का जवाब देने के लिए motivate करें, ताकि उसके मन में पड़ी गांठ या बोझ बाहर निकल सके|

हंसाने का प्रयास करें: परिवार का सदस्य रोगी को मुस्कुराने व हंसाने का प्रयास करे| इसके लिए हंसी-योग का सहारा लिया जा सकता है| हंसने से शरीर में प्लेजर हार्मोन बनता है| जिससे मन को ख़ुशी मिलती है तथा मन को परेशान करने वाली बातों में कमी आती है|

सैर करवाने ले जाएं: सुबह या शाम को उसके साथ सैर करने जाएं| खुली हवा में सैर करने से भी मन खुश होता है और अवसाद से बाहर निकलने में मदद मिलती है|

पूरी नींद: रोगी की नींद पूरी हो सके ऐसा वातावरण बनाएं| क्योंकि ऐसे व्यक्ति को नींद कम आती है और अगर आती भी है तो जरा सी आहट होने पर ही खुल जाती है| इसलिए ऐसा वातावरण बनायें जिससे वह सो सके| या उससे कहें कि हम आपके साथ बैठे हैं, ऐसा विश्वास दिलाकर नींद पूरी करवाने का प्रयास करें|

पौष्टिक आहार: ऐसे व्यक्ति को भूख कम लगती है और उसका खाने को कम मन करता है| इसलिए परिवार का कर्तव्य है कि बार-बार और थोड़ा-थोड़ा पौष्टिक आहार मनुहार करके खिलाएं| पौष्टिक आहार में प्रोटीन, फाइबर व ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त आहार दें| आहर में हरी-पत्तेदार सब्जियां, गाजर, citrus-food जैसे संतरा, स्ट्राबेरी आदि शामिल करें|

डिप्रेशन एक आम लेकिन गम्भीर मानसिक विकार है, इसका रोगी सही इलाज व परिवार के सहयोग द्वारा पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जीवन जी सकता है|

अवसाद एक मानसिक विकार या मानसिक बीमारी है| लेकिन कई बार यह रोगी को शारीरिक रूप से भी प्रभावित करती है| डिप्रेशन भी तीन प्रकार का होता है, जिनके लक्षण अलग-अलग हैं| इससे ग्रस्त व्यक्ति धीरे-धीरे अपने परिवार व समाज से कटने लगता है| कई बार इस स्थिति में उसे लगने लग सकता है कि दुनिया में कोई उसका नहीं है और आत्महत्या जैसे विचार उसके मन में आ सकते हैं| ऐसे व्यक्ति बाद में भूलने की बीमारी अल्ज़िमेर (Alzimer) का शिकार हो सकते हैं|

इसलिए अगर अवसाद की स्थिति पर control कर पाना संभव न लगे तो व्यक्ति का इलाज मनोचिकित्सक (psychiatrist) द्वारा करवाना चाहिए और उसकी सलाह पर दवा लेनी चाहिए तथा उसी के बताये अनुसार मनोवैज्ञानिक (Psychologist) व काउंसलर (Counsellor) को दिखाकर इलाज करवाना चाहिए ताकि समय रहते स्थिति को सम्भाला जा सके|

अंत में देखें तो इन सारी बीमारियों का एक ही इलाज है- अपने आपको व्यस्त रखें, entertain करें, हंसे, खुश रहें केवल इस तरह ही तनाव, चिंता व डिप्रेशन से बचा जा सकता है|

FAQ’s: तनाव, चिंता व डिप्रेशन से सम्बंधित सामान्य प्रश्न

तनाव, चिंता व डिप्रेशन में अंतर क्या है? (What is the difference between stress, anxiety and depression)?

– तनाव होने पर व्यक्ति थोड़े समय के लिए मानसिक दबाव महसूस करता है, चिंता की स्थिति में ज्यादा मानसिक दबाव होता है और डिप्रेशन की स्थिति में पूर्व घटना की सोच में डूबा रहता है|

– तनाव वह दबाव है जो कुछ समय में ठीक हो जाता है, चिंता को ठीक होने में समय ज्यादा लगता है और डिप्रेशन/अवसाद को ठीक होने में एक सप्ताह, महीना या इससे भी ज्यादा समय लग सकता है और ये भी हो सकता है कि इलाज की जरूरत पड़े|

यदि तनाव अधिक समय या बार-बार हो तो यह चिंता की स्थिति उत्पन्न कर सकता है| कभी-कभी अधिक चिंता डिप्रेशन का कारण बन सकती है|-

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तनाव, चिंता व अवसाद/डिप्रेशन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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