सूर्यभेदी प्राणायाम – विधि, लाभ और सावधानियां (Surya Bhedi Pranayama karne ki vidhi tthaa fayde in Hindi)

इस blog में सूर्यभेदी प्राणायाम के बारे में बताया गया है| सूर्यभेदी प्राणायाम क्या है? (What is Surya bhedi pranayama in hindi), सूर्यभेदी प्राणायाम के लाभ (Surya bhedi pranayama benefits), सूर्यभेदी प्राणायाम करने की विधि (Surya bhedi pranayama procedure), इस प्राणायाम को करते समय बरती जाने वाली सावधानियां (Precautions of Surya Bhedi pranayama) तथा किसको यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए, इसके बारे में जानेगे|

सूर्यभेदी प्राणायाम करने से पैर के नाख़ून से सिर की चोटी तक पूरा शरीर प्रभावित होता है| यह सर्दी के मौसम में किया जाने वाला प्राणायाम है| यह प्राणायाम शरीर के तापमान को संतुलित रखता है इसलिए इसे सर्दी के मौसम में करना उत्तम रहता है| इसका नियमित अभ्यास करने से सभी नाड़ियों में सूर्य के समान ताप पहुंचता है| इसका अभ्यास करने से शरीर में स्फूर्ति आती है और इम्युनिटी बढ़ती है|

Surya Bhedi Pranayama

सूर्यभेदी प्राणायाम क्या हैं? (Surya Bhedi pranayama kya hai?)

सूर्यभेदी प्राणायाम में सूर्यभेदी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है सूर्य+भेदी, इसमें सूर्य का अर्थ है सूरज और भेदी का अर्थ है भेदन करना| इसलिए इस प्राणायाम को सूर्यभेदन प्राणायाम भी कहा जाता है| जिस प्रकार सूर्य हमें उर्जा देता है उसी प्रकार इस प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर में उर्जा उत्पन्न होती है| दाईं नासिका यानि सूर्य नाड़ी से सांस अंदर भरने पर सूर्य नाड़ी प्रभावित होती है, जिससे हमें गर्मी मिलती है| सूर्य नाड़ी के प्रभावित होने के कारण ही इसे सूर्यभेदी प्राणायाम कहा जाता है|

सूर्यभेदी प्राणायाम करने का तरीका (Method to do Surya Bhedi pranayama in Hindi)

अब हम सूर्य भेदी प्राणायाम करने की विधि के बारे में जानेगे|

Step 1: किसी भी एक आसन में सुविधाजनक बैठें – पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन| कमर-गर्दन सीधी व आँखें कोमलता से बंद हों|

Step 2: बाएं हाथ की ज्ञान मुद्रा बनाकर बाएं घुटने पर रखें| दाएं हाथ की प्राणायाम मुद्रा बनाकर अंगूठा दाईं नासिका पर और अनामिका (ring finger) बाईं नासिका पर रखें|

Step 3: दाईं नासिका से धीरे-धीरे गहरा सांस अंदर भरें|

Step 4: कुछ क्षण रुकें व मूलबंध लगाएं|

Step 5: जब ना रुका जाए तो बाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस को बाहर निकालें व मूलबंध लगाएं|

Step 6: यह एक आवृति (Round) हुई| इस प्रकार शुरू में 5 से 10 round जरुर करें |

Step 7: अपनी क्षमता के अनुसार आवृतियों की संख्या बढ़ाएं|

सूर्यभेदी प्राणायाम के बारे में पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|

सूर्यभेदी प्राणायाम करने के फायदे (Surya Bhedi pranayama benefits in Hindi)

Low B.P. में लाभकारी: सूर्यभेदी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से low blood presure पर control हो जाता है इसलिए यह प्राणायाम Low B.P. के रोगी के लिए फायदेमंद प्राणायाम है|

फेफड़े स्वस्थ बनते हैं: इस प्राणायाम का अभ्यस करने से शुद्ध व गर्म हवा फेफड़ों में प्रवेश करती है जिससे फेफड़े स्वस्थ होते हैं|

पेट के कीड़े खत्म: सूर्यभेदी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से पेट के कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं|

शरीर में गर्मी का संचार: सूर्यभेदी प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसे करने से पुरे शरीर में गर्मी का संचार होता है| इसलिए इस प्राणायाम को सर्दियों में किया जाता है|

साइनस व कफ सम्बंधी रोग दूर: सूर्यभेदी प्राणायाम का हररोज अभ्यास करने से साइनस की समस्या में आराम मिलता है तथा कफ सम्बंधी अन्य रोग दूर होते हैं|

वात शांत: सूर्यभेदी प्राणायाम के अभ्यास द्वारा वात सम्बंधी रोग शांत होते हैं|

पित का बढ़ना: सूर्य भेदी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से पित बढ़ाने में मदद मिलती है| जिनमें पित की कमी हो उन लोगों को यह प्राणायाम करना चाहिए| जिन्हें पित की कमी होती है सूर्य भेदी प्राणायाम करने से वह पित बढ़ जाती है|

गले व जीभ के रोगों में लाभदायक: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से गले व जीभ के रोग दूर होते हैं|

कंठ व स्वर के दोष दूर: सूर्य भेदी प्राणायाम के अभ्यास से कंठ व स्वर के दोष दूर होते हैं|

पाचन ठीक होता: सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास करने से जठराग्नि तेज होती है, जिससे पाचन ठीक होता है और पेट के रोग दूर होते हैं|

त्वचा के लिए लाभकारी: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास त्वचा (Skin) की समस्याएं ठीक करने में लाभकारी है| इसके करने से चेहरे पर glow आती है और झुरियों व skin की अन्य समस्याओं से मुक्ति मिलती हैं|

तनाव कम होता है: सूर्यभेदी प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसे करने से शरीर को उर्जा मिलती है, शरीर में स्फूर्ति आती है, आलस्य दूर होता है और इम्युनिटी बढ़ती है| इसका नियमित अभ्यास करने से तनाव कम करने में मदद मिलती है|

मोटापा व वजन कम करता है: सूर्यभेदी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से शरीर को उर्जा मिलती है| इस प्राणायाम का असर आंतों पर भी पड़ता है| इसे करने से जठराग्नि तेज होती है| इसलिए मोटापा व वजन कम करने में सूर्यभेदी प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है|

रक्त का संचार: सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर में रक्त का संचार सही प्रकार से होता है, जिससे शरीर स्वस्थ व उर्जावान बनता है|

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किस-किस को सूर्यभेदी प्राणायाम नहीं करना चाहिए (kis-kis ko Surya Bhedi pranayama nahi karna chahiye)

  • यह प्राणायाम High B.P. के रोगी को नहीं करना चाहिए|
  • जिन्हें पित सम्बंधी समस्या हो उन्हें भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए जैसे अधिक गर्मी लगना, पसीना अधिक आना, मुंह व गले का पकना, बहुत ज्यादा गुस्सा आना, चक्कर आना आदि|
  • हृदय रोगी को भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
  • बुखार (Fever) हो तो भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|

सूर्यभेदी प्राणायाम की सावधानियां (Surya Bhedi pranayama Precaution)

  • जितनी देर आप सांस को अंदर रोक सकें केवल उतनी देर ही करे, जबर्दस्ती न करें|
  • गर्मी के मौसम में इसका अभ्यास न करें|

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FAQ’s: सूर्यभेदी प्राणायाम से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to Surya Bhedi Pranayama)

सूर्यभेदी प्राणायाम कितनी बार करना चाहिए (How many times Surya Bhedi pranayama should do)?

सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास कम से कम 10 से 15 बार करना चाहिए|

सूर्यभेदी प्राणायाम कब करना चाहिए (When Surya Bhedi pranayama should do)?

सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास सर्दी के दिनों में करना चाहिए| इसे सुबह के समय करना लाभकारी होता है| सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास शाम के समय भी किया जा सकता है| शाम के समय अभ्यास करें तो भोजन और अभ्यास के बीच तीन घंटे का अंतर रखें|

सूर्यभेदी प्राणायाम के क्या फायदे हैं? (What are the benefits of Surya Bhedi Pranayama?)

सूर्यभेदी प्राणायाम बहुत ही लाभदायक प्राणायाम है| सर्दियों में किया जाने वाला यह प्राणायाम हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है| वात और कफ को शांत करता है तथा पित को बढ़ाने में मदद करता है| यह प्राणायाम low B.P. के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है|

इस आसन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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