भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि तथा फायदे [Bhastrika Pranayama karne ki vidhi/tarika ttha fayde in Hindi]

इस blog में भस्त्रिका प्राणायाम क्या है? (Bhastrika Pranayama meaning in hindi), भस्त्रिका प्राणायाम के लाभ (Bhastrika Pranayama benefits), भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि (Bhastrika Pranayama procedure), इस प्राणायाम करते समय बरती जाने वाली सावधानियां तथा किसको यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए, इसके बारे में जानेगे|

भस्त्रिका प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जो शरीर को गर्मी देता है| इस प्राणायाम का अभ्यास सर्दी के मौसम में करना उचित रहता है| इसको October से March तक करना फायदेमंद रहता है| इसका अभ्यास करने से शरीर में प्राण व गर्मी का प्रचूर मात्रा में संचार होता है|

भस्त्रिका प्राणायाम किसे कहते हैं (Bhastrika Pranayama kise kahte hain)

भस्त्रिका प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जो शरीर को गर्मी देता है| भस्त्रिका प्राणायाम में भस्त्रिका का अर्थ है धौकनी या Bellow जिस प्रकार सुनार धौकनी का प्रयोग करके सोने को शुद्ध करता है, उसी प्रकार भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर की शुद्धी होती है| इसलिए इसे bellow-breath या breath of fire भी कहते हैं|

Bhastrika Pranayama

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भस्त्रिका प्राणायाम करने की विधि (Bhastrika Pranayama karne ka tarika in Hindi)

भस्त्रिका प्राणायाम हम चार parts में करते हैं|

Part 1: केवल दाईं नासिका से

Step 1: किसी भी एक सुविधाजनक आसन में बैठें| पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन|

Step 2: बायां हाथ घुटने पर रखें और दाएं हाथ की प्राणायाम मुद्रा बनाएं|

Step 3: अंगूठा हटाकर केवल दाईं नासिका से शक्ति से सांस अंदर भरें व बाहर छोड़ें|

Step 4: 15-20 सांस अंदर भरने व बाहर छोड़ने के बाद धीरे-धीरे सांस अंदर भरें, सांस को अंदर रोककर रखें, यह आंतरिक कुंबक है| फिर धीरे-धीरे सांस बाहर निकालें, अब सांस को बाहर रोककर रखें| यह बाह्य कुंबक है, इसमें आंतरिक कुंबक से आधे समय तक रुकें|

Step 5: यह एक part हुआ| अब कुछ क्षण शांत बैठें|

Step 6: अभ्यास हो जाने पर अंदर व बाहर सांस रोककर रखते हुए तीनों बंध लगाएं| मूलबंध-निष्कासन मांसपेशियों को खींचें| उद्दियानबंध-पेट को पिचकाते हुए लगता है| जालंधरबंध-गर्दन की मांसपेशियों को दबाते हुए लगाया जाता है|

Part 2: केवल बाईं नासिका से

Step 7: इसी प्रकार की आवृतियां बाईं नासिका से करें, फिर शांत बैठें|

Part 3: दोनों नासिका से बारी-बारी से

Step 8: तीसरे प्रकार में दाईं नासिका से शक्ति से सांस अंदर भरें व बाईं नासिका से बाहर निकालें| बाईं से अंदर भरें व दाईं से बाहर निकालें|

Step 9: 15-20 आवृतियाँ करने के बाद दाईं नासिका से धीरे-धीरे सांस अंदर भरें, रोकें व तीनों बंध लगाएं| जब ना रुका जाए तो धीरे-धीरे बाईं नासिका से सांस को बाहर निकालें फिर तीनों बंध लगाएं| अब कुछ क्षण शांत बैठें|

Part 4: दोनों नासिका से एक साथ

Step 10: अब दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और दोनों नासिका से शक्ति से सांस अंदर भरें व बाहर निकालें|

Step 11: इस प्रकार 15-20 आवृतियाँ करने के बाद धीरे-धीरे सांस अंदर भरें, रोकें व तीनों बंध लगाएं| जब ना रुका जाए तो धीरे-धीरे सांस को बाहर निकालें, रोकें व फिर तीनों बंध लगाएं और आंतरिक कुम्बक से आधा समय तक बाह्य कुंबक में रुकें| अब कुछ क्षण शांत बैठें|

Step 12: यह एक आवृति पूरी हुई| अब शांत बैठें व मानसिक स्थिति का अवलोकन करें|

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भस्त्रिका प्राणायाम करने के फायदे (Bhastrika Pranayama fayde/ benefits in Hindi)

फेफड़े मजबूत बनते हैं: इस प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो सांस भरना व छोड़ना दोनों ही तेज गति से किए जाते हैं जिससे फेफड़े फैलते और सिकुड़ते हैं| ऐसा करने से फेफड़े मजबूत बनते हैं और फेफड़ों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है|

शरीर के दोष दूर होते हैं: भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से वात, पित, कफ सम्बंधी दोष दूर होते हैं| जैसे दमा, खांसी, शरीर पर पित निकलना, छाती में जलन आदि|

गले के दोष दूर होते हैं: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से गले की swelling ठीक होती है| खांसी, बलगम आदि से राहत मिलती है|

रक्तसंचार तीव्र होता है: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से शरीर में रक्त संचार की क्रिया तेज गति से होती है और सारे शरीर में शुद्ध रक्त पहुंचता है|

ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है: भस्त्रिका प्राणायाम करते समय जब तेज गति से सांस अंदर भरी जाती है तो ऑक्सीजन के रूप में शुद्ध हवा शरीर में प्रवेश करती है और जब तेज गति से सांस बाहर फैंकी जाती है तो कार्बन दाई ऑक्ससाइड के रूप में अशुद्ध हवा शरीर से बाहर निकलती है| जिससे शरीर में खून के द्वारा ऑक्सीजन पहुंचती है|

पाचन ठीक होता है: भस्त्रिका प्राणायाम करने से जठराग्नि तेज होती है| पाचन संस्थान मजबूत होता है और पाचन ठीक प्रकार से होता है|

इम्युनिटी बढ़ती है: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से इम्युनिटी बढ़ती है|

मोटापा कम करने में सहायक: भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास मोटापा कम करने में सहायक है| इस प्राणायाम में सांस जल्दी जल्दी लिया जाता है, इससे मोटापा कम होता है|

किस-किस को भस्त्रिका प्राणायाम नहीं करना चाहिए (kis-kis ko Bhastrika Pranayama nahi krna chahiye)

  • High B.P. के मरीज को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
  • हृदय रोगी को भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
  • गर्भवती महिला को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|

FAQ’s: भस्त्रिका प्राणायाम से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to Bhastrika pranayam)

कितनी बार भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए (How many times Bhastrika Pranayama should do)?

भस्त्रिका प्राणायाम की चार types हैं| हर प्रकार को करते समय कम से कम 15 बार अवश्य करें|

भस्त्रिका प्राणायाम कब करना चाहिए (When Bhastrika Pranayama should do)?

सुबह खाली पेट यह प्राणायाम करना उत्तम है| शाम के समय प्राणायाम करना चाहें तो खाना खाने और प्राणायाम करने के बीच कम से कम दो घंटे का अंतर होना चाहिए|

भस्त्रिका प्राणायाम करते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? (precautions during Bhastrika pranayama)

– यह प्राणायाम खाली पेट करना चाहिए| 
– यह प्राणायाम करने से पहले नाक साफ होनी चाहिए और नाक बंद नहीं होनी चाहिए|
– यदि पेट का ऑपरेशन हुआ हो तो यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
– B.P. high हो तो भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
– हृदय रोगी को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|

इस आसन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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