इस blog में उत्तान मंडूकासन क्या है? उत्तान मंडूकासन के लाभ (Uttana Mandukasana benefits), करने की विधि (Uttana Mandukasana Steps) और किसको यह आसन नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानेगे|
पीठ, गर्दन तथा कंधों के दर्द दूर करने वाला उत्तान-मंडूकासन वज्रासन में बैठकर किया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है| वज्रासन में बैठने के कारण वज्रासन के लाभ भी प्राप्त हो जाते हैं| अत: इस आसन को करने से दोहरा लाभ प्राप्त होता है|
Table of Contents
उत्तान मंडूकासन क्या है (what is Uttana Mandukasana)?
उत्तान मंडूकासन में उत्तान का अर्थ है ऊपर की ओर (उधर्व दिशा) और मंडूक का अर्थ है मेंढ़क| आसन का अभ्यास करते हुए जब हम पूर्णता की स्थिति में आते हैं तो शरीर की आकृति उधर्व दिशा में या ऊपर की ओर उठे हुए मेढ़क के समान दिखाई देती है इसलिए इसे उत्तान मंडूकासन या Upright frog pose कहते हैं|
उत्तान मंडूकासन करने का तरीका (Uttana Mandukasana procedure in Hindi)
Step 1: उत्तान मंडूकासन करने के लिए वज्रासन में बैठें| वज्रासन के लिए दोनों घुटनों को मोड़कर पैर के अंगूठे मिलाएं, एडियाँ खुली रहें| एडियों के मध्य बैठें|
Step 2: हथेलियाँ घुटनों पर रखें|
Step 3: अब अपने घुटनों में अधिक से अधिक फासला करें|
Step 4: दाएं हाथ को ऊपर उठाते हुए हथेली को पीछे की ओर ले जाते हुए बाएं कंधे की तरफ रखें|
Step 5: भुजा कान के साथ सटी रहे तथा कोहनी सिर के पास हो|
Step 6: अब बाएं हाथ को ऊपर उठाते हुए हथेली को पीछे की ओर ले जाते हुए दाएं कंधे की तरफ रखें|
Step 7: दोनों हथेलियाँ कंधों के पीछे एक दूसरे को cross करते हुए रखी जाएँगी|
Step 8: इस प्रकार इस आसन में दोनों कोहनियों के सहारे सिर को थामा जाता है|
Step 9: यह पूर्णता की स्थिति है| कुछ क्षण रुकें|
Step 10: अब धीरे-धीरे बाएं हाथ को वापिस लाएं, घुटने पर रखें| फिर दाएं बाएं हाथ को वापिस लाएं, घुटने पर रखें|
Step 11: दोनों घुटनों को मिलाएं, वज्रासन में विश्राम करें|
उत्तान मंडूकासन करने की सही विधि व लाभ की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
उत्तान मंडूकासन के लाभ (Uttana Mandukasana benefits in Hindi)
पीठ-दर्द में आराम: उत्तान मंडूकासन का नियमित अभ्यास करने से पीठ-दर्द में आराम मिलता है|
सर्वाइकल में लाभदायक: यह आसन गर्दन व कंधों का दर्द को दूर करने में सहायक है जिससे सर्वाइकल की समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है|
थकान दूर होती है: इस आसन को करने से शरीर की थकान दूर होती है जिससे व्यक्ति relax महसूस करता है|
पेट की मांसपेशियां मजबूत: इस आसन को करने से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिससे ये मजबूत बनती हैं|
हाथ व पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं| वज्रासन में बैठने से पिण्डलियों व जांघों की मांसपेशियों में खिंचाव आने से ये मजबूत बनती हैं तथा हाथों में खिंचाव आने से हाथों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं|
फेफड़े सुदृढ़ बनते हैं: इस आसन का अभ्यास करते समय फेफड़े फैलने से फेफड़ों में श्वास लेने की क्षमता बढ़ती है| ये सुदृढ़ तथा मजबूत बनते हैं|
पाचन शक्ति बढ़ती है: इस आसन के करने से वज्रासन की स्थिति बनने से पाचन-तंत्र सक्रिय होता है जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है|
घबराहट व चिंता: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से घबराहट व चिंता से उबरने में सहायता मिलती है|
FAQs: उत्तान मंडूकासन (Uttana Mandukasana) के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (Questions)
उत्तान मंडूकासन कितनी बार करना चाहिए?
उत्तान मंडूकासन का पूरी तरह अभ्यास हो जाने पर इसे सामर्थ्य व आवश्यकता के अनुसार 5 से 10 बार किया जा सकता है|
Computer, laptop पर काम करने वाले या अधिक sitting का काम करने वाले लोग किसी भी समय पीठ, गर्दन व कंधों में खिंचाव देने या relax होने के लिए उत्तान मंडूकासन का अभ्यास कर सकते हैं|
थकान दूर करने में भी उत्तान मंडूकासन विशेष रूप से लाभकारी है|
उत्तान मंडूकासन के विशेष लाभ (Uttana Mandukasana benefits) क्या हैं?
उत्तान मंडूकासन का नियमित अभ्यास करने से कई विशेष लाभ मिलते हैं| जैसे यह आसन पीठ-दर्द, गर्दन व कंधों के दर्द को दूर करने में विशेष रूप से लाभदायक है|
इसे करने से रीढ़ के ऊपरी भाग में विशेष खिंचाव आने से यहाँ की मांसपेशियां तथा गर्दन व कंधों के जोड़ मजबूत बनते हैं|
किस-किस को उत्तान मंडूकासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Uttana Mandukasana)?
– जिन्हें घुटनों या कन्धों में दर्द अधिक हो उन्हें उत्तान मंडूकासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए|
– जिन्हें सर्वाइकल की समस्या बहुत अधिक हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
– जिन्हें आर्थराइटिस की समस्या हो उन्हें उत्तान मंडूकासन नहीं करना चाहिए|
उत्तान मंडूकासन करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए (precautions of Uttana Mandukasana)?
उत्तान मंडूकासन को सांसों के साथ धीरे-धीरे व सावधानी से करना चाहिए अर्थात् किसी भी तरह का झटका नहीं लगने देना चाहिए| उत्तान मंडूकासन का अभ्यास जबरदस्ती नहीं करना चाहिए| जितना कर पा रहे हैं, उसका अभ्यास हो जाने पर ही आगे बढ़ना चाहिए| जैसे अगर दोनों हथेलियाँ कंधों के पीछे एक दूसरे को cross करते हुए रखी जाती हैं, लेकिन यदि शुरू में ऐसे न रख पाएं तो दाईं हथेली दाएं कंधे पर व बाईं हथेली बाएं कंधे पर रखकर अभ्यास कर लें|
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इस blog में हमने जाना कि उत्तान मंडूकासन क्या है? उत्तान मंडूकासन के लाभ (Uttana Mandukasana benefits), करने की विधि (Uttana Mandukasana Steps) और किसको यह आसन नहीं करना चाहिए|
इस आसन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|