मेरे इस blog में उज्जायी प्राणायाम क्या है? (Ujjayi pranayama in hindi), उज्जायी प्राणायाम के लाभ (Ujjayi pranayama benefits), उज्जायी प्राणायाम करने की विधि (Ujjayi pranayama steps) तथा किसको उज्जायी प्राणायाम नहीं करना चाहिए (Who should not do Ujjayi pranayama) इसके बारे में जानेगे|
यह प्राणायाम मस्तिष्क की गर्मी को कम करने, श्वास प्रणाली को मजबूत करने, गले व नाक के रोग ठीक करने के लिए उपयोगी है|
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उज्जायी प्राणायाम क्या है (What is Ujjayi pranayama)?
उज्जायी प्राणायाम में उज्जायी शब्द संस्कृत शब्द उद+जि से मिलकर बना है| यहाँ उज्जायी का अर्थ विजय से लिया गया है| इस प्रकार उज्जायी सांस का अर्थ हुआ विजयी सांस| अपनी साँसों पर विजय पाना ही उज्जायी श्वास है|
उज्जायी श्वास में खर्राटों जैसा स्वर सुनाई देता है जो समुन्द्र की ध्वनि जैसा विशिष्ट भी लगता है इसलिए इसे Ocean breath भी कहा जाता है|
उज्जायी प्राणायाम ENT Specialist भी कहलाता है|
उज्जायी प्राणायाम करने की विधि (Ujjayi pranayama steps in Hindi)
उज्जायी प्राणायाम करने का सही तरीका इस प्रकार है|
Step 1: उज्जायी प्राणायाम करने के लिए किसी एक आसन में बैठें पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन| कमर गर्दन सीधी व आँखें कोमलता से बंद हों|
Step 2: दोनों हाथ ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखें| ज्ञानमुद्रा के लिए अंगूठे व उसके साथ वाली उंगली को मिलाकर एक छल्ला बनाएं| बाकि तीन उँगलियाँ सीधी हों| हथेली का पृष्ठ भाग घुटनों पर रखें|
Step 3: जीभ को मोड़कर तालू से लगाएं व मुहं बंद कर लें|
Step 4: अब गले को हल्का सा दबाते हुए धीरे-धीरे नाक से सांस इस प्रकार अंदर भरें व बाहर छोड़ें कि मधुर खराटें का स्वर सुनाई दे| जब हम नाक से सांस इस प्रकार भरते हैं कि वो गले में घर्षण करते हुए जाए तो खराटें की आवाज आती है|
Step 5: इस प्रकार एक बार श्वास अंदर भरना व बाहर छोड़ने को एक आवृति माने और इस प्रकार की कम से कम 10 – 12 आवृतियाँ करें|
Step 6: इसके बाद धीरे-धीरे गले को सहलाएं| फिर शांत बैठें|
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उज्जायी प्राणायाम के फायदे (Ujjayi Pranayama Benefits in Hindi)
गले व नाक के रोगों में लाभ: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से टांसिल, खांसी, दमा, कफ, जुकाम, आदि रोग ठीक होते हैं|
थाइरोइड (Thyroid problem) की समस्या में आराम: उज्जायी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से थाइरोइड ग्रन्थि प्रभावित होती है जिससे थाइरोइड की समस्या में राहत मिलती है|
फेफड़े पुष्ट: उज्जायी प्राणायाम करने से फेफड़ों में सांस लेने की क्षमता बढ़ती है व फेफड़े मजबूत बनते हैं|
खराटें लेने की समस्या दूर: उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास करते समय जब हम नाक से सांस इस प्रकार भरते हैं कि वो गले में घर्षण करते हुए अंदर जाए और बाहर आए तो खराटें की आवाज आती है| इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से सोते हुए खराटें लेने की समस्या दूर होती है|
मस्तिष्क प्रभावित मस्तिष्क की गर्मी शांत होती है|
Concentration: उज्जायी प्राणायाम करने से concentration बनती है जिससे ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है|
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उज्जायी प्राणायाम किन-किन को नहीं करना चाहिए (Ujjayi Pranayama Kin-Kin Ko Nahi Karna Chahiye)?
- जिन लोगों को थाइरोइड की समस्या बहुत अधिक हो उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें Low B.P. की समस्या हो उन्हें भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
उज्जायी प्राणायाम की सावधानियां (Ujjayi Pranayama Precautions in Hindi)
- High B.P. के रोगी उज्जायी प्राणायाम सावधानी से करना चाहिए|
- हृदय रोगी को भी यह प्राणायाम सावधानी से करना चाहिए|
FAQ’s: उज्जायी प्राणायाम के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (General Questions Related to Ujjayi Pranayama)|
उज्जायी प्राणायाम कितनी बार करना चाहिए? (How many times should Ujjayi Pranayama be done?)
खराटें की आवाज करते हुए एक बार श्वास अंदर भरने व बाहर छोड़ने को एक आवृति माने तो इस प्रकार की कम से कम 10-12 आवृतियां एक बार बैठकर जरुर करें|
उज्जायी प्राणायाम कब करना चाहिए? (When should Ujjayi Pranayama be done?)
– उज्जायी प्राणायाम सुबह व शाम के समय योगासनों के अभ्यास करने के बाद, जब आप अन्य प्राणायाम करें उस समय यह प्राणायाम करना उचित माना गया है|
– उज्जायी प्राणायाम से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|