इस blog में भ्रामरी प्राणायाम क्या है? (What is bhramari pranayama?) भ्रामरी प्राणायाम कैसे करें (How to do bhramari pranayama?) भ्रामरी प्राणायाम के लाभ (bhramari pranayama benefits) के बारे में बताया गया है|
प्राणायाम का उपयोग आसनों से भी अधिक माना गया है| यह शरीर के सभी अंगों में उर्जा का संचालन करते हैं| साधारण श्वास लेने से शरीर के पूरे अंग प्रभावित नहीं हो पाते और न ही फेफड़े पूरी तरह से वायु से भर पाते हैं| परन्तु प्राणायाम द्वारा शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं जैसे श्वसन क्रिया, हृदय, निष्कासन मांसपेशियां, मस्तिष्क के अवयव, रक्त का भ्रमण, मांसपेशियों का फैलना व सिकुड़ना आदि|
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भ्रामरी प्राणायाम किसे कहते हैं (Bhramari pranayam kise kahte hain)?
भ्रामरी प्राणायाम में भ्रामरी का अर्थ भंवरे से लिया गया है| प्राणायाम करते समय जब हम धीरे-धीरे गुंजन करते हुए श्वास को बाहर निकालते हैं तो भंवरे की भिनभिनाहट के समान ध्वनी उत्पन्न होती है इसलिए इसे भ्रामरी प्राणायाम कहते हैं| मानसिक तनाव, थकान को कम करने तथा ध्यान लगाने के लिए भ्रामरी प्राणायाम एक महत्वपूर्ण प्राणायाम है|
भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि (Bhramari Pranayam Karne Ki Vidhi in Hindi)
Step 1: किसी भी एक आसन में सुविधानुसार बैठें| सुखासन, पदमासन, सिद्धासन|
Step 2: कमर व गर्दन सीधी तथा ऑखें कोमलता से बंद रखें|
Step 3: अब अपने दोनों हाथों की पहली दो उँगलियाँ आँखों पर रखें, उसके बाद की एक-एक ऊँगली नासिका के पास तथा फिर एक-एक ऊँगली ठोड़ी पर रखें|
Step 4: अंगूठे से कानों को बंद करें|
Step 5: लम्बा गहरा श्वास भरें तथा भंवरे की तरह मधुर गुंजन करते हुए धीरे-धीरे श्वास को नासिका से बाहर करें|
Step 6: इस प्रकार भ्रामरी प्राणायाम का एक चक्र पूरा होता है|
Step 7: इस प्रकार तीन-चार चक्र पूरे करें व क्षमता के अनुसार चक्रों की संख्या बढ़ाएं|
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भ्रामरी प्राणायाम करने की विधि (Bhramari pranayam karne ki vidhi) और फायदे/लाभ (fayde/benefits/labh) की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
भ्रामरी प्राणायाम करने के फायदे (Bhramari Pranayam Krne Ke Fayde)
तनाव व मानसिक विकारों से मुक्ति: भ्रामरी प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से भ्रामरी प्राणायाम करने से मन शांत होता है तथा तनाव, क्रोध व चिंता जैसे मानसिक विकारों से राहत मिलती है|
मस्तिष्क व तंत्रिकातंत्र पर प्रभाव: इस प्राणायाम की प्रतिध्वनी का प्रभाव मस्तिष्क व तंत्रिकातंत्र पर पड़ता है जिससे सिर दर्द में आराम मिलता है| यह प्राणायाम B.P. को भी संतुलित करता है|
नींद की समस्या में लाभकारी: यह प्राणायाम नींद की समस्या को ठीक करने में बहुत लाभकारी प्राणायाम है| इसे करने से नींद अच्छी आती है|
फेफड़े सुदृढ़ बनते हैं: इस प्राणायाम का अभ्यास करने से फेफडों में श्वास भरने की क्षमता बढ़ती है तथा ये मजबूत बनते हैं|
Concentration बढ़ती है: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से मन की चंचलता समाप्त होती है, मन स्थिर होता है तथा एकाग्रता बढ़ती है| यह प्राणायाम ध्यान की आरम्भिक अवस्था में उपयोगी है|
हृदय की धमनियां पुष्ट: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से हृदय की धमनियां पुष्ट होती हैं तथा उनमें रूकावट नहीं होती|
माइग्रेन को ठीक करने में सहायक: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास एक शांतिकारक अभ्यास है जिससे माइग्रेन को ठीक करने में सहायता मिलती है|
अल्जाइमर की समस्या से राहत: इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास अल्जाइमर की समस्या से राहत दिलाने के लिए भी बहुत अच्छा है| अल्जाइमर की समस्या बुढ़ापे में होने वाली एक भूलने की बीमारी है|
भ्रामरी प्राणायाम किस-किस के लिए वर्जित है (For whom Bhramari pranayam is prohibited)?
किन-किन को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
- नाक व कान में किसी प्रकार का संक्रमण हो तो यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
- अत्यधिक उच्च रक्तचाप व हृदय रोगी को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
FAQ’s: भ्रामरी प्राणायाम से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to bhramari pranayama)|
भ्रामरी प्राणायाम कितनी देर करना चाहिए? (How many minutes should we do bhramari pranayama?)
भ्रामरी प्राणायाम करते समय श्वास भरकर कम से कम 15 से 20 सेकंड तक भंवरे की तरह गुंजन करने का अभ्यास करना चाहिए| इस प्रकार की 7 से 10 आवृतियाँ तक की जा सकती हैं|
भ्रामरी प्राणायाम कब नहीं करना चाहिए? (Who should not do bhramari pranayama?)
कान व नाक में किसी प्रकार का संक्रमण होने पर भ्रामरी प्राणायाम नहीं करना चाहिए| जिन्हें High B.P.की समस्या हो उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए| हृदय रोगी को भी भ्रामरी प्राणायाम नहींकरना चाहिए|
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भ्रामरी प्राणायाम से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं