इस blog में कटिचक्रासन क्या है (What is Katichakrasana)?, कटिचक्रासन की विधि (Katichakrasana steps) और कटिचक्रासन के लाभ (Katichakrasana benefits) के बारे में बताया गया है|
गर्दन व कंधों के दोष दूर करने, कमर व पेट की चर्बी को घटाने, कमर को लचीला बनाने वाला कटिचक्रासन बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है| कटिचक्रासन खड़े होकर किये जाने वाले आसनों में से एक है| इसी प्रकार का आसन यदि हम बैठकर करते हैं तो वह कमर चक्रासन कहलाता है|
योगासनों का स्वरूप रोग निवारक होता है| कुछ आसन फेफड़ों, गले आदि को स्वच्छ करते हैं| कुछ मांसपेशियों के विकास में अपना प्रभाव दिखाते हैं तो कुछ रीढ़ पर व कुछ मस्तिष्क पर अपना प्रभाव डालते हैं| इस प्रकार शरीर सम्पूर्ण रूप में विकसित,चुस्त व शक्तिवान हो जाता है| योगासनों में कटिचक्रासन का अपना ही महत्व है| यह रीढ़, पेट, कंधे, सर्वाइकल, फेंफडों आदि पर अपना प्रभाव डालता है|
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कटिचक्रासन क्या है (What is Katichakrasana)?
कटिचक्रासन तीन शब्दों से मिलकर बना है कटी+चक्र+आसन | कटी का अर्थ है कमर (waist), चक्र का अर्थ है पहिया (wheel), आसन का अर्थ है आकृति/मुद्रा (pose). अत: इस आसन में कमर के हिस्से को पहिये की तरह दाएं बाएं घुमाने के कारण इसे कटिचक्रासन कहते हैं|
कटिचक्रासन करने का तरीका (Katichakrasana steps)
कटिचक्रासन (katichakrasana) करने की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
कटिचक्रासन करने की पूरी विधि इस प्रकार है|
Step 1: कटिचक्रासन के लिए आसन पर सीधे खड़े हो जाएँ| दोनों पैरों में कंधों जितना फासला करें| दोनों हाथ शरीर के दाएं-बाएं सटा कर रखें|
Step 2: श्वास भरते हुए दोनों हाथ सामने की ओर उठायें व कंधों की सीध में लाएं| दोनों हथेलियाँ एक दूसरे के सामने रखें|
Step 3: श्वास छोड़ते हुए, कमर के भाग से दाईं ओर घूमते हुए, अपने दोनों हाथों को अपने दाईं तरफ ले जाएँ| पैरों को न घूमने दें अर्थात् एक जगह जमाकर रखें|
Step 4: बायां हाथ दाएं कंधे को छुए| दृष्टि दाएं हाथ के अंगूठे पर रखें| सामर्थ्य के अनुसार दाईं ओर अधिक से अधिक घूमें, हाथों को पीछे की ओर खींचने का प्रयास करें|
Step 5: जितनी देर श्वास को रोकना संभव हो उतनी देर तक आप इस अवस्था में रुकने का प्रयास करें|
Step 6: श्वास भरते हुए धीरे-धीरे वापिस मध्य में आयें|
Step 7: श्वास छोड़ते हुए अपने बाएं ओर घूमें, दायां हाथ बाएं कंधे को छुए व दृष्टि बाएं हाथ के अंगूठे पर रखें|
Step 8: श्वास भरते हुए धीरे-धीरे वापिस मध्य में आयें| दाएं–बाएं से हाथ नीचे करें|
Step 9: इस प्रकार आसन का एक चक्र पूरा हुआ| इसी तरह 2-3 चक्र करें, फिर विश्राम करें|
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कटिचक्रासन फायदे (Katichakrasana Benefits in Hindi)
इस आसन के अभ्यास से आलस्य दूर होता है|शरीर तथा मस्तिष्क तरोताजा रहता है|
- कमर लचीली बनती है: इस आसन के करने से जब हम दाएं-बाएं घूमते हैं तो कमर की मांसपेशियां खिंचाव में आती हैं जिससे कमर लचीली व मजबूत बनती है| कमर दर्द नहीं होता|
- चर्बी कम होती है: इस आसन के करने से पेट की, पेट के side की व कमर की चर्बी कम होती है| जिससे मोटापा कम होता है|
- ऑक्सीजन की अधिक मात्रा मिलती है: फेफड़ों के बार-बार श्वास भरने व छोड़ने के कारण फूलने व सिकुड़ने से ऑक्सीजन की अधिक मात्रा फेफडों में आती है तथा carbon dioxide बाहर निकलती है| फेफडों में सांस लेने की क्षमता बढ़ती है|
- सर्वाइकल(cervical) के दोष दूर: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से cervical के दर्द से राहत मिलती है| कंधों की stiffness दूर होती है तथा frozen-shoulder में आराम मिलता है|
- कब्ज से राहत: इस आसन के नियमित अभ्यास करने से कब्ज से राहत मिलती है तथा digestion को ठीक रखता है|
कटिचक्रासन की सावधानियां (For whom Katichakrasana Prohibited)?
किन-किन व्यक्तियों को ये आसन नहीं करना चाहिए|
- पीठ व रीढ़ में दर्द ज्यादा हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए|
- slip-disc की समस्या हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए|
- मासिक-धर्म के समय इस आसन को न करें|
- गर्भवती महिला को यह आसन नहीं करना चाहिए|
- पेट की सर्जरी हुई हो तो ये आसन नहीं करना चाहिए|
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FAQ’s: कटिचक्रासन से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to Katichakrasana)|
कटिचक्रासन कितनी बार करना चाहिए (How many times should we do Katichakrasana)?
कटिचक्रासन खड़े होकर किए जाने वाले आसनों में से एक महत्वपूर्ण आसन है| इसका अभ्यास करते समय दाएं व बाएं घुमने पर एक चक्र पूरा होता है| इस प्रकार आसन करते हुए 2-3 चक्र अवश्य करें| Trained हो जाने पर कटिचक्रासन को क्षमता के अनुसार 7 से 10 बार किया जा सकता है|
कटिचक्रासन की सावधानियां क्या हैं? (What are precautions of Katichakrasana)
कटिचक्रासन करते समय क्या सावधानियां रखें इसके बारे में जानना बहुत जरूरी है? कटिचक्रासन करते समय हम कमर के भाग से दाएं-बाएं घूमते हैं तो शुरुआत में कभी-कभी पेट के ऊपरी भाग में ribs के पास नस खिंचने की समस्या आती है इसलिए दाएं-बाएं घूमते हुए सावधानी बरतें|
कटिचक्रासन धीरे-धीरे व सावधानी से करना चाहिए| किसी भी प्रकार का झटका लगने से बचें| अगर कमर में दर्द हो या कंधों में दर्द हो तो आसन का अभ्यास न करें|
इस blog में कटिचक्रासन क्या है (What is Katichakrasana), कटिचक्रासन की विधि और लाभ (Katichakrasana steps and benefits) के बारे में जाना|
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