योगासनों का अभ्यास रोगनिवारक होने के साथ-साथ आरोग्यकर भी होता है| योगासनों का अभ्यास धैर्य व एकाग्रता के साथ करने से उसका आश्चर्यजनक प्रभाव शरीर पर पड़ता है| नियमित अभ्यास करने से शरीर की सभी मांसपेशियां प्रभावित होती हैं तथा मजबूत बनती हैं| इसलिए योग करें व स्वस्थ रहें|
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शलभासन क्या है (what is Shalabhasana)?
पेट के बल लेट कर किये जाने वाले असानों में शलभासन बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है| शलभासन दो शब्दों के मेल से बना है शलभ + आसन| यहाँ शलभ का अर्थ है पतंगा या टिड्डा तथा आसन का अर्थ है आकृति या मुद्रा| आसन करते हुए जब हम पूर्णता की स्थिति में आते हैं तो शरीर की आकृति एक पतंगे (Grass-hopper) के समान दिखाई देती है इसलिए इस आसन को शलभासन या locust pose कहते हैं|
शलभासन करने का तरीका (Procedure of Shalabhasana in Hindi)
शलभासन पहले हम एक-एक पैर से करेंगें|
Step 1: एड़ी-पंजे मिलाएं व पंजे बाहर की ओर ताने|
Step 2: ठोड़ी आसन पर लगायें| पूरे आसन के दौरान ठोड़ी आसन पर लगी रहेगी|
Step 3: अपने दोनों हाथ जंघाओं (Thighs) के नीचे रखें| हथेलियों का रुख ऊपर की ओर हो|
Step 4: श्वास भरें तथा दायां पैर बिना घुटना मोड़े ऊपर की ओर उठायें| (शुरुआत में पैर को ऊपर उठाने के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं)
Step 5: यह पूर्णता की स्थिति है| कुछ क्षण रुकें व सामान्य श्वास लेते रहें| फिर धीरे-धीरे वापिस आएं|
Step 6: अब यही क्रिया बाएं पैर से करेंगें| श्वास भरते हुए बाएं पैर को ऊपर की ओर उठायें| घुटना न मुड़ने दें|
Step 7: सामान्य श्वास लें, कुछ क्षण रुकें फिर धीरे-धीरे वापिस आयें|
Step 8: अब हम यही क्रिया दोनों पैरों से करेंगें| श्वास भरते हुए दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठायें| दोनों घुटने व टकने आपस में मिले रहें|
Step 9: शुरुआत में अपनी सहूलियत के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं या मुट्ठी बंद कर सकते हैं|
Step 10: यह पूर्णता की स्थिति है यहाँ कुछ क्षण रुकें| सामान्य श्वास लेते रहें| फिर धीरे-धीरे वापिस आयें|
Step 11: अब मकरासन में विश्राम करें|
शलभासन (Shalabhasana) करने की सही विधि व इसकी पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
शलभासन के फायदे (Shalabhasana benefits in Hindi)
पीठ दर्द में आराम मिलता है: शलभासन का नियमित अभ्यास करने से पीठ के निचले हिस्से के दर्द में आराम मिलता है|
साइटिका के दर्द में आराम मिलता है: शलभासन का नियमित अभ्यास hips तथा पैरों को प्रभावित करता है तथा मांसपेशियों को मजबूत बनाता है जिससे साइटिका के दर्द में राहत मिलती है|
रीढ़ लचीली बनती है: शलभासन करने से रीढ़ प्रभावित होती है तथा लचीली व मजबूत बनती है|
पेट के रोग दूर होते हैं: पेट के अंग सक्रिय होने से पाचन ठीक होता है, गैस की समस्या दूर होती है, कब्ज की समस्या से राहत मिलती है व पेट के अन्य रोग ठीक होते हैं|
चर्बी कम होती है: शलभासन के अभ्यास करने से hips, जंघा पैर व पेट पर पूरा खिंचाव आता है जिससे hips, thighs व पेट की चर्बी कम होती है|
वजन कम करने में सहायक: शलभासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर का वजन नियंत्रित (under- control) रहता है|
शलभासन किन-किन के लिए वर्जित है (For whom Shalabhasana is prohibited)?
- हृदय-रोगियों (Heart patients) को यह आसन नहीं करना चाहिए|
- हर्निया के रोगियों को तथा जिनके पेट की सर्जरी हुई हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें High B.P. की समस्या अधिक हो उस समय यह आसन नहीं करना चाहिए|
- कमर में दर्द अधिक हो तो यह आसन सावधानी से करना चाहिए तथा उस समय दोनों पैरों से यह आसन नहीं करना चाहिए|