शलभासन की विधि और लाभ (Shalabhasana benefits and steps in Hindi)

इस blog में शलभासन क्या है (What is Shalabhasana)?, शलभासन कैसे किया जाता है? (Shalabhasana procedure) और शलभासन के लाभ (Shalabhasana benefits) के बारे में बताया गया है|

मोटापा कम करने व वजन घटाने वाला, हाथों पैरों, जंघाओं और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने वाला, पीठ दर्द में रामबाण का काम करने वाला शलभासन बहुत महत्वपूर्ण आसन है|

योगासनों का अभ्यास रोगनिवारक होने के साथ-साथ आरोग्यकर भी होता है| योगासनों का अभ्यास धैर्य व एकाग्रता के साथ करने से उसका आश्चर्यजनक प्रभाव शरीर पर पड़ता है| नियमित अभ्यास करने से शरीर की सभी मांसपेशियां प्रभावित होती हैं तथा मजबूत बनती हैं| इसलिए योग करें व स्वस्थ रहें|

शलभासन क्या है (What is Shalabhasana/Locust pose)?

पेट के बल लेट कर किये जाने वाले असानों में शलभासन बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है| शलभासन दो शब्दों के मेल से बना है शलभ + आसन| यहाँ शलभ का अर्थ है पतंगा या टिड्डा तथा आसन का अर्थ है आकृति या मुद्रा| आसन करते हुए जब हम पूर्णता की स्थिति में आते हैं तो शरीर की आकृति एक पतंगे (Grass-hopper) के समान दिखाई देती है इसलिए इस आसन को शलभासन या locust pose कहते हैं|
शलभासन क्या है

शलभासन करने का तरीका (Shalabhasana procedure in Hindi)

शलभासन पहले हम एक-एक पैर से करेंगें|

Step 1: एड़ी-पंजे मिलाएं व पंजे बाहर की ओर ताने|

Step 2: ठोड़ी आसन पर लगायें| पूरे आसन के दौरान ठोड़ी आसन पर लगी रहेगी|

Step 3: अपने दोनों हाथ जंघाओं (Thighs) के नीचे रखें| हथेलियों का रुख ऊपर की ओर हो|

Step 4: श्वास भरें तथा दायां पैर बिना घुटना मोड़े ऊपर की ओर उठायें| (शुरुआत में पैर को ऊपर उठाने के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं)

shalabhasana benefits in Hindi

Step 5: यह पूर्णता की स्थिति है| कुछ क्षण रुकें व सामान्य श्वास लेते रहें| फिर धीरे-धीरे वापिस आएं|

Step 6: अब यही क्रिया बाएं पैर से करेंगें| श्वास भरते हुए बाएं पैर को ऊपर की ओर उठायें| घुटना न मुड़ने दें|

Step 7: सामान्य श्वास लें, कुछ क्षण रुकें फिर धीरे-धीरे वापिस आयें|

Step 8: अब हम यही क्रिया दोनों पैरों से करेंगें| श्वास भरते हुए दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठायें| दोनों घुटने व टकने आपस में मिले रहें|

Step 9: शुरुआत में अपनी सहूलियत के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं या मुट्ठी बंद कर सकते हैं|

Step 10: यह पूर्णता की स्थिति है यहाँ कुछ क्षण रुकें| सामान्य श्वास लेते रहें| फिर धीरे-धीरे वापिस आयें|

Step 11: अब मकरासन में विश्राम करें|

शलभासन (Shalabhasana) करने की सही विधि व इसकी पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|

शलभासन के फायदे (Shalabhasana benefits in Hindi)

शलभासन का अभ्यास करने से बहुत लाभ होते हैं जो निम्न प्रकार हैं:

कमर दर्द में आराम मिलता है: शलभासन का नियमित अभ्यास करने से कमर के निचले हिस्से के दर्द में आराम मिलता है|

साइटिका के दर्द में आराम मिलता है: शलभासन का नियमित अभ्यास hips तथा पैरों को प्रभावित करता है तथा मांसपेशियों को मजबूत बनाता है जिससे साइटिका के दर्द में राहत मिलती है|

रीढ़ लचीली बनती है: शलभासन करने से रीढ़ प्रभावित होती है तथा लचीली व मजबूत बनती है|

पेट के रोग दूर होते हैं: पेट के अंग सक्रिय होने से पाचन ठीक होता है, गैस की समस्या दूर होती है, कब्ज की समस्या से राहत मिलती है व पेट के अन्य रोग ठीक होते हैं|

चर्बी कम होती है: शलभासन के अभ्यास करने से hips, जंघा पैर व पेट पर पूरा खिंचाव आता है जिससे hips, thighs व पेट की चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है|

वजन कम करने में सहायक: शलभासन का नियमित अभ्यास करने से शरीर का वजन नियंत्रित (under- control) रहता है|

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शलभासन किन-किन के लिए वर्जित है (For whom Shalabhasana is prohibited)?

  • हृदय-रोगियों (Heart patients) को यह आसन नहीं करना चाहिए|
  • हर्निया के रोगियों को तथा जिनके पेट की सर्जरी हुई हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
  • जिन्हें High B.P. की समस्या अधिक हो उस समय यह आसन नहीं करना चाहिए|
  • कमर में दर्द अधिक हो तो यह आसन सावधानी से करना चाहिए तथा उस समय दोनों पैरों से यह आसन नहीं करना चाहिए|

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FAQ’s: शलभासन से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to Shalabhasana)|

शलभासन में शलभ का क्या अर्थ है? (What is the meaning of Shalabh in Shalabhasana?)

शलभासन में शलभ का अर्थ है कीट/पतंगा तथा आसन का अर्थ है मुद्रा| इस आसन को करते हुए जब हम पूर्णता की स्थिति में आते हैं तो शरीर की आकृति शलभ/कीट के समान दिखाई  देती है इसलिए इसे शलभासन कहते हैं| इस आसन का नियमित अभ्यास करने से शरीर को बहुत लाभ पहुंचता है|

शलभासन कब करना चाहिए? (When should Shalabhasana be done?)

शलभासन (Locust pose) का अभ्यास अन्य सभी आसनों तरह सुबह के समय खाली पेट ही करना चाहिए| यदि सुबह  ना किया जा सके तो शाम के समय भी शलभासन का अभ्यास किया जा सकता है| शाम के समय आसन करने व भोजन के बीच 3 से 4 घंटे का अंतर जरुर होना चाहिए|

शलभासन कौन नहीं कर सकता? (Who should not do Shalabhasana?)

हृदय-रोगी, हर्निया के रोगी तथा जिन्हें High B.P. की समस्या अधिक हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए| जिनके पेट की हाल ही में सर्जरी हुई हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए| पीठ के दर्द को आराम दिलाने में यह आसन लाभदायक है लेकिन पीठ में दर्द अधिक हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए|

क्या शलभासन पीठ दर्द में आराम करने के लिए अच्छा है? (Is Shalabhasana good for back pain?)

हाँ, शलभासन एक ऐसा आसन है जिसे करते समय हम पेट के बल लेटते हैं और पैरों को ऊपर की ओर खींचते हैं| इससे रीढ़ प्रभावित होती है तथा पीठ पर खिंचाव आता है| इसलिए यह आसन पीठ के दर्द को आराम दिलाने में सहायक है|

इस blog में शलभासन क्या है (What is Shalabhasana)?, शलभासन कैसे किया जाता है? (Shalabhasana procedure) और शलभासन के लाभ (Shalabhasana benefits) के बारे में जाना|

शलभासन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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