इस blog में नाड़ीशोधन प्राणायाम क्या है? (Nadi shodhana pranayama meaning), नाड़ीशोधन प्राणायाम के लाभ (Nadi shodhana pranayama benefits), नाड़ीशोधन प्राणायाम करने की विधि (Nadi shodhana pranayama steps), यह प्राणायाम करते समय बरती जाने वाली सावधानियां तथा किसको यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानेगे|
जिस प्रकार शरीर को ठीक रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए physical exercise, योगासन व प्राणायाम भी जरूरी हैं| नाड़ीशोधन प्राणायाम एक ऐसा ही प्राणायाम है जो शरीर को स्वस्थ व मस्तिष्क को शांत रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|यह प्राणायाम तनाव को कम करने, श्वसन प्रणाली को मजबूत करने, सिर दर्द को ठीक करने के लिए उपयोगी है|
Table of Contents
नाड़ीशोधन प्राणायाम क्या है (What is Nadi Shodhana Pranayama)?
नाड़ीशोधन प्राणायाम में सभी नाड़ियों की शुद्धि हो जाती है इसलिए यह प्राणायाम नाड़ीशोधन प्राणायाम कहलाता है| नाड़ीशोधन प्राणायाम की मुख्य विशेषता यह है कि बाएं व दाएं नाक से बारी-बारी से सांस भरा और निकाला जाता है तथा अंदर व बाहर रोका जाता है और यह कार्य एक विशेष अनुपात में किया जाता है|
पढ़ें और: अग्निसार प्राणायाम करने की विधि तथा फायदे
नाड़ीशोधन प्राणायाम करने की विधि (Nadi Shodhana Pranayama Steps in Hindi)
Step 1: किसी भी एक आसन में सुखपूर्वक बैठें| कमर-गर्दन सीधी व आँखें कोमलता से बंद करें|
Step 2: बाएं हाथ की ज्ञान मुद्रा बनाएं व उसे घुटनों पर रखें|
Step 3: दाएं हाथ की प्राणायाम मुद्रा बनाए| अंगूठे के साथ वाली पहली दो उंगलियों को मोड़कर अंगूठे के गद्दीमूल में रखें| अंगूठा दाई नासिका पर व ring finger बाई नासिका पर रखें|
Step 4: नाड़ीशोधन प्राणायाम करते समय श्वास की मात्रा व अनुपात की ओर विशेष ध्यान देना जरूरी है| जैसे 1:2:2 या 4:8:8 आदि|
Step 5: उंगली हटकर बाई नासिका से धीरे-धीरे गहरा सांस भरें| पूरा सांस भर जाने पर ring finger से नासिका बंद करें| अंदर श्वास को रोककर रखें| अंगूठा हटाते हुए धीरे-धीरे श्वास को बाहर करें|
Step 6: ध्यान रखें कि मन ही मन 4 की गिनती करते हुए श्वास अंदर भरें| 8 की गिनती तक रोक कर रखें और 8 की गिनती करते हुए धीरे-धीरे बाहर निकालें|
Step 7: अब यही क्रिया दूसरी तरफ से करें| दाई तरफ से धीरे-धीरे गहरा श्वास भरें 4 की गिनती तक, 8 की गिनती तक अंदर रोकें और 8 की गिनती तक बाई तरफ से धीरे-धीरे बाहर करें|
Step 8: यह अभ्यास पक्का हो जाने पर अपनी गिनती बढ़ाएं| लेकिन अनुपात का ध्यान रखें| जैसे 5:10:10 या 6:12:12 आदि|
Step 9: इस प्रकार अभ्यास हो जाने पर श्वास बाहर निकलकर भी रोकने का अभ्यास शुरू कर दें| जैसे 5:10:10:5 या 6:12:12:6 आदि|
Step 10 इस प्रकार यह अभ्यास करते हुए बाईं तरफ से श्वास भरें व दाईं तरफ से बाहर करें और दाईं तरफ से भरकर बाईं तरफ से बाहर करें इसको एक चक्कर या आवृति मानें| अपनी सामर्थ्य के अनुसार आवृतियां करते रहें|
Nadi Shodhana Pranayama Images
नाड़ीशोधन प्राणायाम के लाभ (Nadi Shodhana Pranayama Benefits in Hindi)
नाड़ियों की शुद्धी: नाड़ीशोधन प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसको नियमित रूप से किया जाए तो सभी नाड़ियों की शुद्धी हो जाती है|
रक्त का संचार: इस प्राणायाम को करने से पूरे शरीर में रक्त का संचार सही तरीके से हो जाता है|
तनाव से मुक्ति:- इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से तनाव, चिंता और सिरदर्द जैसी समस्या से राहत मिलती है|
फेफड़ों के लिए लाभदायक: यह प्राणायाम करने से फेफड़े मजबूत बनते हैं तथा फेफड़ों के रोग दूर होते हैं|
लम्बी आयु के लिए: इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय श्वास भरने, रोकने, बाहर निकालने व फिर रोकने आदि में लगभग 45 से 60 सेकंड का समय लगता है| इस प्रकार हमारी साँसों की लम्बाई बढ़ती है| इस प्रकार लम्बी आयु प्रदान करने में यह प्राणायाम सहायक है|
मस्तिष्क प्रभावित: नाड़ीशोधन प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से concentration बढ़ती है| अनिंद्रा की समस्या में आराम मिलता है|
Also Read: Gahre Lambe Shvas Pranayama Benefits
नाड़ीशोधन प्राणायाम किन-किन को नहीं करना चाहिए (Who should not do Nadi shodhana pranayama)?
- जिन्हें asthma (दमा) की समस्या हो उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें जुकाम हो या बुखार हो उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
- High B.P. व ह्रदय रोगी को यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए|
FAQ’s: नाड़ीशोधन प्राणायाम के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (General Questions Related to Nadi Shodhana Pranayama)
नाड़ीशोधन प्राणायाम के विशेष फायदे क्या हैं? (Specific benefits of Nadi shodhana pranayama)?
– नाड़ीशोधन प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जिसका नियमित अभ्यास करने से सभी नाड़ियों की शुद्धी हो जाती है|
– यह प्राणायाम खून को साफ करता है|
– इसके अभ्यास से श्वसन प्रणाली मजबूत बनती है|
– सिरदर्द से राहत मिलती है|
– तनाव व चिंता से मुक्ति मिलती है तथा नींद अच्छी आती है|
नाड़ीशोधन और अनुलोम विलोम में अंतर (What is the Difference Between Nadi Shodhana and Anulom Vilom Pranayama?)
नाड़ीशोधन और अनुलोम विलोम प्राणायाम एक जैसे दिखाई देते हैं लेकिन फिर भी इनमें काफी अंतर है| हालाँकि अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास हो जाने के बाद नाड़ीशोधन प्राणायाम करना आसन हो जाता है| इन दोनों प्राणायामों में ये अंतर है कि नाड़ीशोधन प्राणायाम में ताल या अनुपात का ध्यान रखा जाता है| यह कार्य एक विशेष अनुपात में किया जाता है जैसे 4:8:8 के क्रम में शुरू में बाईं तरफ से श्वास भरा जाता है, फिर रोका जाता है तथा फिर दाईं तरफ से निकला जाता है|
फिर यही दाईं तरफ से श्वास भरना, रुकना और बाईं तरफ से छोड़ना किया जाता है| शुरू में अनुलोम विलोम की तरह श्वास बाहर निकालने के बाद रोकने का अभ्यास नहीं करवाया जाता| लेकिन पूरा अभ्यास हो जाने पर इसको भी अनुपात के साथ किया जाता है जैसे 4:8:8:4 आदि|
नाड़ीशोधन प्राणायाम कितने समय तक करना चाहिए? (How Many Times Should We do Nadi Shodhana Pranayama?)
नाड़ीशोधन प्राणायाम करते समय पहले बाईं नासिक से श्वास भरकर दाईं नासिका से बाहर निकालें फिर दाईं नासिका से श्वास भरें और बाईं से बाहर निकालें| इसको एक चक्कर मानते हुए अगर हम प्राणायाम करते हैं तो 30 से 40 सेकंड का समय लगता है| और ऐसे चक्कर कम से कम 5 से 7 जरुर पूरे करें|
नाड़ीशोधन प्राणायाम के फायदे (Benefits of nadi shodhana pranayama) की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
इस blog में नाड़ीशोधन प्राणायाम क्या है? (Nadi shodhana pranayama kya hai?) नाड़ीशोधन प्राणायाम के लाभ (Nadi shodhana pranayam ke labh), नाड़ीशोधन प्राणायाम करने की विधि (Nadi shodhana pranayam krne ki vidhi), यह प्राणायाम करते समय बरती जाने वाली सावधानियां तथा किसको यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए इसके बारे में जाना|
इस आसन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|