इस blog में सिंहासन/सिंहगर्जनासन क्या है (What is Simhasana?), सिंहासन करने की विधि (Simhasana yoga steps), सिंहासन के फायदे (Simhasana yoga benefits in hindi) और किसको सिंहासन नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानेगे|
फेफड़े, गले, आवाज और चेहरे को प्रभावित करने वाला सिंहासन बहुत ही महत्वपूर्ण और आरामदायक आसन है| इस आसन का अभ्यास करने से शारीरिक स्वास्थ्य को तो लाभ मिलता ही है साथ ही यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है|
Table of Contents
सिंहासन क्या है (What is Simhasana)?
सिंहासन दो शब्दों के मेल से बना है सिंह + आसन| इसमें सिंह का अर्थ है शेर और आसन का अर्थ है मुद्रा| जब हम आसन का अभ्यास करते हैं तो शरीर की आकृति बैठे हुए शेर के समान दिखाई देते हैं| इसलिए इसे सिंहासन (Simhasana) या Lion pose कहते हैं|
इस आसन को सिंहगर्जनासन भी कहते हैं| क्योंकि जब हम आसन का अभ्यास करते हैं तो चेहरे की आकृति दहाड़ते हुए शेर के समान दिखाई देती है| इसलिए इसे सिंहगर्जनासन या Roaring lion pose कहते हैं|
इस आसन को सिंह क्रिया भी कहते हैं| आसन का अभ्यास करते हुए जब हम जीभ बाहर निकालकर शेर की तरह दहाड़ते हैं तो जो आवाज निकलती है वह शेर की गर्जना के समान सुनाई देती है, इसलिए इसे सिंह क्रिया (Simha Kriya) कहते हैं|
सिंहासन करने का तरीका (Simhasana Steps in Hindi)
सिम्हागार्जनासन का अभ्यास करने का सही तरीका इस प्रकार है|
Step 1: सिंघासन करने के लिए किसी भी एक सुविधाजनक आसन में बैठें|
Step 2: अगर वज्रासन में बैठकर आसन कर रहे हैं तो अपने घुटनों में फासला करके बैठ जाएं|
Step 3: अब थोड़ा आगे की ओर झुकें और गर्दन को थोड़ा ऊपर उठाकर रखें|
Step 4: अब अपने दोनों हाथों को अपने सामने इस प्रकार रखें कि हथेलियाँ सामने की ओर हों तथा उँगलियाँ अपनी तरफ|
Step 5: पूरी जीभ बाहर निकालें ओर अपनी दृष्टि नाक की नोंक पर रखें|
Step 6: अब सांस भरें और गले से आवाज करते हुए सांस को बाहर निकालना है| आवाज जोर से शेर की दहाड़ के समान सुनाई दे|
Step 7: इस प्रकार कम से कम 3 से 5 बार दहाड़ना है|
Step 8: यह अभ्यास हो जाने पर वज्रासन में बैठें| अपने दोनों हाथों को आपस में रगड़ें और अपनी गर्दन को नीचे से ऊपर की ओर सहलाएं|
Step 9: इस तरह सिंहासन का अभ्यास हो जाने पर हररोज 10 से 15 बार किया जा सकता है|
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सिंहासन योग के फायदे (Simhasana yoga Benefits in Hindi)
Thyroid के लिए: सिंहगर्जनासन का नियमित अभ्यास करने से thyroid gland प्रभावित होती है| जिससे थाइरोइड की समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है|
गले के लिए: सिंहासन का नियमित अभ्यास गले की मांसपेशियों को उत्तेजित करता है जिससे गले के इन्फेक्शन, tonsil में आराम मिलता है|
आवाज के लिए: सिंहगर्जनासन का अभ्यास करने से वाणी सम्बंधी दोष दूर करने में मदद मिलती है तथा आवाज मधुर बनती है|
बलगम (Mucus) हटाने में सहायक: सिंहासन का नियमित अभ्यास करते हुए जब हम दहाड़ते हैं तो इससे गले में जमे हुए बलगम को हटाने में मदद मिलती है|
चेहरे के लिए: सिंहगर्जनासन करने से चेहरे का अच्छा व्यायाम हो जाता है| सिंहासन योग का अभ्यास करने से चेहरे की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है, जिससे चेहरे की झुरियां कम होती हैं और चेहरे पर चमक आती है|
फेफड़े मजबूत बनते हैं: सिंहासन का अभ्यास करते हुए जब हम आगे तनकर बैठते हैं तो फेफड़े (Lungs) खुलते हैं जिससे फेफड़ो में सांस लेने की क्षमता बढ़ती है और ये मजबूत बनते हैं|
इम्युनिटी बढ़ती है: सिंहगर्जनासन का अभ्यास करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है|
रीढ़ मजबूत बनती है: Simhagarjanasana का अभ्यास करने से रीढ़ मजबूत बनती है, जिससे कंधे, गर्दन की दर्द और कमर दर्द में आराम मिलता है|
Confidance बढ़ाने में सहायक: वज्रासन में बैठकर जब हम सिंहासन का अभ्यास करते हैं तो एक तो वज्रासन में बैठने से शरीर में स्थिरता आती है और दूसरा शेर की तरह आसन करने से confidence बढ़ता है| इसलिए यह आसन एकाग्रता और आत्मविश्वास के लिए लाभदायक आसन है|
हाथों व कंधों की मांसपेशियां मजबूत: सिंहासन का अभ्यास करते हुए हाथों को इस प्रकार रखा जाता है कि हथेलियाँ सामने की ओर और उँगलियाँ अपनी ओर होती हैं| इससे हाथों, गर्दन व कंधों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं| इससे सर्वाइकल के दोष दूर होते हैं|
पिंडलियां, जंघा व पैरों की मांसपेशियां मजबूत: सिम्हागर्जनासन का अभ्यास करने के लिए जब हम वज्रासन में बैठकर अभ्यास करते हैं तो पैरों, पिण्डलियों व जांघों की मांसपेशियों में खिंचाव आने से ये मजबूत बनती हैं|
पाचन शक्ति बढ़ती है: इस आसन को करते हुए हम वज्रासन में बैठते हैं, जिससे वज्रासन के लाभ भी प्राप्त हो जाते हैं| वज्रासन में बैठने से पेट की आंतों में उष्णता आने से पाचन-तंत्र सक्रिय होता है जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है|
तनाव, चिंता के लिए: सिंहगर्जनासन योग करने से मन को खुशी मिलती है| इसका नियमित अभ्यास करने से तनाव, चिंता और डिप्रेशन को दूर करने में मदद मिलती है|
सिंहासन योग करने की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
किन-किन को सिंहासन नहीं करना चाहिए? (Who should not do Simhasana)?
- जिनके गले का ऑपरेशन हुआ हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
- जिनके घुटनों या कमर सम्बन्धी कोई गम्भीर समस्या हो कि वे बैठ ही न सकें तो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
सिंहासन करते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? (Simhasana ki precautions kya hain)
- जिनके घुटनों में दर्द हो उन्हें यह आसन कुर्सी आदि पर बैठकर करना चाहिए|
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FAQ’s: सिंहासन के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (General Questions related to Simhasana
योग में लायन पोज़ के अन्य नाम क्या हैं? (What is the other name of lion pose in yoga?)
योग में लायन पोज़ (Lion pose) के अन्य कई नाम हैं जैसे सिंहासन (Simhasana), सिंहगर्जनासन (Simhagarjanasana), Roaring lion pose सिंह क्रिया (Simha Kriya)
सिंहासन की तकनीकें क्या हैं? (How to do Simhasana?)
सिंहासन करने के लिए सबसे पहले किसी सुविधाजनक आसन या स्थिति में बैठें जैसे वज्रासन| अपनी हथेलियाँ आगे की ओर इस प्रकार रखें कि उँगलियाँ अपनी तरफ हों, ताकि हाथों में पूरा खिंचाव आ सके| रीढ़ को तानते हुए जीभ को बाहर निकालें और दृष्टि नाक की नोंक पर टिकायें| अब सांस भरें और शेर के समान गर्जना करते हुए साँसों को इस प्रकार बाहर निकालें कि वे गले को छूती हुई बाहर निकले| 3 से 5 आवृतियाँ अपने सामर्थ्य के अनुसार करें| फिर हाथों को रगड़ें और गर्दन को नीचे से ऊपर की ओर सहलाएं| अब वज्रासन में विश्राम करें|
सिंहासन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|