वीरभद्रासन के फायदे, सही तरीका और सावधानियां [Virabhadrasana Benefits in Hindi, Steps and Precautions]

इस blog में वीरभद्रासन क्या है? वीरभद्रासन के लाभ (Virabhadrasana benefits), करने की विधि (Virabhadrasana Steps), आसन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां तथा किसको यह आसन नहीं करना चाहिए इसके बारे में जानेगे|

जब हम बैठते हैं तो हमारी गर्दन आगे की ओर स्वभाविक रूप से झुक जाती है| कई बार हम कंधे भी झुकाकर बैठते हैं| इन आदतों के कारण या इस pousture में लगातार व ज्यादा समय तक बैठने के कारण हमारी गर्दन व कंधों में दर्द होना शुरू हो सकता है| कुछ ऐसे योगासन हैं जिनकी मदद से हम अपने कंधों के दर्द व गर्दन की stiffness से छुटकारा पा सकते हैं| वीरभद्रासन भी उनमें से एक है, जिसे करने से कंधे, गर्दन, Hips, घुटने, भुजायें, पिंडलियाँ सभी मजबूत बनते हैं|

Virabhadrasana Benefits in Hindi

वीरभद्रासन क्या है (What is Virabhadrasana)?

खड़े होकर करने वाले आसनों में वीरभद्रासन एक महत्वपूर्ण आसन है| इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर की आकृति एक यौद्धा के समान दिखाई देती है इसलिए इसे वीरभद्रासन या warrior pose कहते हैं| वीरभद्रासन को तीन प्रकार से किया जाता है| हम यहाँ पहले भाग वीरभद्रासन 1 के बारे में जानेगे|

What is Virabhadrasana?

वीरभद्रासन कैसे करें (Virabhadrasana Steps in Hindi)

Step 1: आसन करने के लिए आसन पर सीधे खड़े हो जाएं| दोनों हाथ शरीर के दाएं-बाएं हों|

Step 2: श्वास भरते हुए दाएं पैर को अधिक से अधिक पीछे ले जाएं| श्वास सामान्य लें| अब दाएं पैर का पंजा दाएं ओर घुमाएं|

Step 3: अब श्वास भरते हुए दोनों भुजाओं को side से ले जाते हुए सिर से ऊपर हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में मिला लें|

Step 4: कमर से ऊपर के भाग को ऊपर की ओर खींचें|

Step 5: श्वास छोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने को 90 डिग्री तक मोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे आगे धकेलें| अब आकाश की ओर देखें|

Step 6: यह पूर्णता की स्थिति है, सामान्य श्वास लें| कुछ क्षण रुकें|

Step 7: धीरे-धीरे वापिस आएं| पहले हाथों व फिर पैरों की स्थिति ठीक करें|

Step 8: अब यही क्रिया दूसरी ओर से करें|

Step 9: श्वास भरते हुए बाएं पैर को अधिक से अधिक पीछे ले जाएं| श्वास सामान्य लें| अब बाएं पैर का पंजा बाएं ओर घुमाएं|

Step 10: अब श्वास भरते हुए दोनों भुजाओं को side से ले जाते हुए सिर से ऊपर हथेलियों को मिलाकर नमस्कार मुद्रा बनाएं|

Step 11: कमर से ऊपर के भाग को ऊपर की ओर खींचें|

Step 12: श्वास छोड़ते हुए दाएं पैर के घुटने को 90 डिग्री तक मोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर धकेलें| अब आकाश की ओर देखें|

Step 13: यह पूर्णता की स्थिति है, सामान्य श्वास लेते रहें| कुछ क्षण रुकें|

Step 14: धीरे-धीरे वापिस आएं| पहले हाथों व फिर पैरों को सामान्य स्थिति में लाएं व विश्राम करें|

Virabhadrasana Steps in Hindi

वीरभद्रासन के फायदे (Virabhadrasana Benefits in Hindi)

सर्वाइकल (Cervical) से राहत: वीरभद्रासन करने से कंधों व गर्दन के आसपास की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं तथा stiffness कम होती है, जिससे सर्वाइकल का दर्द नहीं होता और अगर हो गया हो तो उसे ठीक करने में मदद मिलती है|

फेफड़ों में श्वास लेने की क्षमता बढ़ती है: वीरभद्रासन करते समय सीना तनता है जिससे फेफड़ों के expand होने से उनमे ऑक्सीजन लेने की capacity बढ़ती है|

साइटिका के दर्द से राहत: इस आसन के करने से पुरे शरीर में खिंचाव आने के साथ-साथ hips तथा पैरों में भी खिंचाव आता है| इसलिए इस आसन को करने से साइटिका के दर्द में आराम मिलता है|

जोड़ मजबूत: वीरभद्रासन करने से पूरे शरीर में खिंचाव आता है| जिससे Hips, घुटनों तथा टखनों के जोड़ों को मजबूती मिलती है|

मांसपेशियां मजबूत होती है: वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास करने से भुजाओं, पिंडलियों व thighs में खिंचाव आने से मांसपेशियां मजबूत होती है|

Confidence बढ़ता है: वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास करने से ना केवल शरीर में खिंचाव आता है, दर्दों से छुटकारा मिलता है बल्कि इस आसन के करने से व्यक्ति में confidence भी बढ़ता है|

मोटापा घटता है: वीरभद्रासन करने से hips, thighs,पेट सभी पर खिंचाव आने से यहाँ की चर्बी घटती है तथा मोटापा कम करने में मदद मिलती है|

FAQ’s: वीरभद्रासन (Virabhadrasana) के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (Questions)

वीरभद्रासन (Warrior Pose) के विशेष लाभ (Virabhadrasana benefits) क्या हैं?

वीरभद्रासन करने से कंधे, गर्दन, भुजाएं, पिंडलियाँ, thighs आदि सभी अंग प्रभाव में आने के कारण मजबूत बनते हैं| जिससे सर्वाइकल, साइटिका आदि के दर्द में आराम मिलता है| फेफड़ों में श्वास लेने की क्षमता बढ़ती है| मोटापा कम होता है तथा confidence बढ़ता है|

वीरभद्रासन कितनी बार करना चाहिए? (How many times should one do Virabhadrasana)?

वीरभद्रासन का अभ्यास दोनों पैरों से बारी-बारी से किया जाने पर एक चक्र माना जाता है| पूरा अभ्यास हो जाने पर अपनी क्षमता के अनुसार 5 से 10 बार किया जा सकता है|

वीरभद्रासन आसन करते समय क्या -क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? (What precautions should be taken while doing Virabhadrasana)?

वीरभद्रासन आसन करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए| आसन को धीरे-धीरे करना चाहिए तथा किसी भी प्रकार का झटका लगने से बचना चाहिए| यदि पूरी तरह आसन न हो पाए तो जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए| अभ्यास करते-करते perfection आ जाएगी|

किसको वीरभद्रासन नहीं करना चाहिए? (Who should not do Virabhadrasana)?

– जिन्हें रीढ़ से सम्बंधित किसी भी प्रकार की अधिक समस्या हो जैसे सर्वाइकल, slip disc, lower back pain आदि तो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
– High B.P. की समस्या हो या कोई गंभीर बीमारी हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए|
– Heart सम्बंधी समस्या हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए|

वीरभद्रासन (Warrior Pose) करने की विधि और फायदे (Virabhadrasana benefits) की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|

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मेरे इस blog में हमने जाना कि वीरभद्रासन क्या है? वीरभद्रासन के लाभ (Virabhadrasana benefits), करने की विधि (Virabhadrasana Steps), आसन करते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और किसको यह आसन नहीं करना चाहिए|

इस आसन से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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