Suryanamaskar steps and benefits in Hindi (सूर्यनमस्कार की विधि, फायदे तथा सावधानियां)

इस blog में सूर्यनमस्कार क्या है (What is suryanamaskar)?, सूर्यनमस्कार कैसे करते हैं? (suryanamaskar procedure) और सूर्यनमस्कार के लाभ (suryanamaskar benefits) के बारे में जानेगे|

शरीर, मन तथा आत्म-चेतना का सामंजस्यपूर्ण विकास ही व्यक्ति को पूर्ण बनाता है, जिससे व्यक्ति सफल व सुखी जीवन-यापन कर सकता है| और यह केवल नियमित योगाभ्यास द्वारा ही संभव हो सकता है| योगाभ्यास करने से शरीर के भिन्न-भिन्न हिस्सों पर प्रभाव पड़ता है|

योगासनों का नियमित अभ्यास करने से पैर, हाथ, भुजाएं, कंधे, पेट, रीढ़ आदि शरीर के सभी अंगों की मांसपेशियां प्रभावित होकर मजबूत बनती हैं| योग व्यक्ति की थकान, तनाव, चिंता व अवसाद को कम करने में सहायक है|

योगाभ्यास का प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक व सामाजिक स्वास्थ्य पर पड़ता है| इस प्रकार शरीर सम्पूर्ण रूप से विकसित, चुस्त व शक्तिवान हो जाता है|

रीढ़ व मांसपेशियों को मजबूत करने वाला, वजन कम करने वाला, मधुमेह (sugar) को control करने वाला, जोड़ों को मजबूत करने वाला, मासिक धर्म को नियमित करने वाला और पाचन व निष्कासन को ठीक करने वाला सूर्यनमस्कार बहुत महत्वपूर्ण है|

सूर्यनमस्कार क्या है? (What is Suryanamaskar)?

सूर्यनमस्कार आसनों के अभ्यास द्वारा सूर्य को प्रणाम करने का तरीका है| यह आसनों तथा प्राणायाम की मिश्रित प्रक्रिया है| यह आठ आसनों की मदद से बारह चरणों में किया जाता है| इसमें शरीर, पैर, वक्ष-स्थल, पृष्ठ-भाग को बार-बार आगे-पीछे झुकाया व मोड़ा जाता है जिससे शरीर लचीला व पुष्ट, श्वसन-प्रक्रिया दुरुस्त, हड्डीयां मजबूत व मांसपेशियां बलिष्ठ बनती हैं| सूर्यनमस्कार अपने आप में एक सम्पूर्ण आसन है| इस का अभ्यास करने से समर्पण की भावना उत्पन्न होती है|

सूर्यनमस्कार करने का तरीका/विधि (Suryanamaskar steps in Hindi)

सूर्यनमस्कार (Suryanamaskar) के लिए आसन पर इस प्रकार सीधे खड़े हो जाएँ कि एडियां मिली हुई हों व पंजे खुले हों| दोनों भुजाएं शरीर के साथ मिली हुई हों|

Step 1: अब श्वास भरते हुए अपने हाथ नमस्कार मुद्रा में ले आयें| आंखें कोमलता से बंद रखें| श्वास छोड़ते हुए अपनी स्थिति को बंद आँखों से देखे| अंगूठे का जड़मूल भाग सीने से लगा कर रखें| ठोड़ी आसन के समानांतर रखें| (प्रणाम मुद्रा)

Step 2: श्वास भरते हुए दोनों हाथ ऊपर लेकर जाएँ| हथेली का रुख सामने की ओर हो व भुजाएं कान के साथ लगी हुई हों| अब दोनों हाथ गर्दन सहित पीछे की ओर झुकाएं| (हस्त उत्तानासन)

Step 3: अब श्वास छोड़ते हुए कमर के निचले भाग से आगे झुकें| दोनों हथेलियां दोनों पैरों के दाएं-बाएं आसन पर रखें| माथा घुटने पर लगायें| (हस्त पादासन)

Step 4: श्वास भरें व दाएं पैर को शरीर से अधिकतम पीछे ले जाएँ| बाएं पैर व दोनों हथेलियों को आसन पर बिना हिलाए एक जगह पर स्थिर रखें| दायां घुटना थोडा ऊपर उठायें व पंजा खड़ा रखें| बायां घुटना मुड़ा हुआ दोनों हाथों के मध्य रहेगा| सिर ऊपर उठाएं व आसमान की ओर देखें| (अश्व संचालन आसन)

suryanamaskar benefits

Step 5: श्वास छोड़ते हुए बायां पैर पीछे करें व दाएं पैर के साथ मिला दें| शरीर को पीछे की तरफ इस प्रकार धकेलें कि दोनों एडियां आसन पर लगें| अपनी ठोड़ी से कंठ को दबाएं (कंठकूब से लगाएं)| पर्वतासन की स्थिति बनेगी| अब शरीर को इस प्रकार आसन के समानांतर लेकर आएं कि ये एक सीधी रेखा जैसा बन जाये| पूरा भार हाथों व पंजों पर रहे| कुछ क्षण रुकें| यह चतुरंग दंडासन की स्थिति है|

Step 6: अब श्वास छोड़ते हुए पहले घुटने, फिर छाती, फिर माथा आसन से लगे| नाभि का भाग थोड़ा उठा हुआ हो| इस अवस्था में केवल आठ अंग आसन को छूते हैं – दोनों पैरों के पंजे, दो घुटने, दो हाथ, छाती व माथा | यह अष्टांगासन की स्थिति है| (अष्टांग नमस्कार)

Step 7: अब श्वास भरते हुए शरीर को थोड़ा आगे खिसकाएँ| शरीर का भार दोनों हाथों पर डालते हुए धड़ को इस प्रकार ऊपर उठा दें, जिससे नाभि तक का भाग ऊपर उठ जाये| दोनों कोहनियों से भुजा सीधी रखें| सिर को पीछे करते हुए असमान की ओर देखें| यह भुजंगासन की स्थिति है|

Suryanamaskar benefits in Hindi

Step 8: अब श्वास छोड़ते हुए अपना सिर धीरे-धीरे नीचे लायें और शरीर के बीच (मध्य) के भाग से ऊपर उठें| शरीर को पीछे की ओर इस प्रकार धकेलें कि दोनों एडियां आसन पर लगें| अपनी ठोड़ी से कंठ को दबाएं| ये पर्वतासन की अवस्था है| इसे अधो मुख स्वानासन (Adho mukha svanasana) भी कहते हैं|

Suryanamaskar steps in Hindi

Step 9: श्वास भरें व दाएं पैर को दोनों हाथों के मध्य लायें| बायां घुटना थोड़ा ऊपर रहे आसन पर ना लगने दें व पंजा खड़ा रखें| सिर को ऊपर उठाते हुए आसमान की ओर देखें| (अश्व संचालन आसन)

Step 10: श्वास छोड़ें व बाएं पैर को भी आगे लायें| दोनों पैर दोनों हाथों के मध्य हों| माथे को घुटने पर लगायें| (हस्त पादासन)

Step 11: श्वास भरते हुए हाथों को धीरे-धीरे ऊपर ले जाएं, भुजाएं कानों के साथ मिली हुई रखें| अब गर्दन सहित भुजा पीछे करें| (हस्त उत्तानासन)

Step 12: श्वास छोड़ते हुए नमस्कार मुद्रा में आयें| (प्रणाम मुद्रा)

यह सूर्यनमस्कार की एक आवृति हुई | आप अपनी क्षमता के अनुसार इन आवृतियों को बढ़ा सकते हैं| बस ध्यान रखें की दूसरी आवृति में बाएं पैर से शुरू करें| दोनों पैरों से करने पर एक set पूरा होता है| फिर तीसरी आवृति में दाएं पैर से व चौथी आवृति में बाएं पैर से शुरू करें| इस प्रकार दाएं-बाएं पैर का क्रम बदलते रहें| सूर्यनमस्कार के बाद पीठ के बल लेट कर शवासन में विश्राम करें|

सूर्यनमस्कार (Suryanamaskar) करने की सही विधि व इसकी पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|

सूर्यनमस्कार के लाभ (Suryanamaskar benefits in Hindi)

समर्पण की भावना आती है: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से समर्पण की भावना उत्पन्न होती है| अहंकार घटता है तथा विनम्रता आती है| इससे भावनात्मक विकास होता है|

शरीर की थकावट दूर होती है: सूर्यनमस्कार करने से पूरा शरीर खिंचाव में आता है जिससे शरीर की थकावट दूर होती है तथा चुस्ती आती है|

Fat कम होता है: सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास करने से पेट, नितम्ब व जंघाओं की अतिरिक्त वसा घटती है| सूर्यनमस्कार वजन घटाने व मोटापा कम करने में लाभकारी है|

पाचन व निष्कासन ठीक होता है: सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास करने से पाचन व निष्कासन ठीक होता है| कब्ज व अपच की समस्या से राहत मिलती है|

शरीर में लचीलापन आता है: सूर्यनमस्कार का अभ्यास करते हुए जब शरीर कभी आगे की ओर झुकाया जाता है और कभी पीछे की ओर तो रीढ़ के साथ-साथ शरीर का प्रत्येक अंग लचीला बनता है|

फेफड़ों में श्वसन क्रिया सही होती है: सूर्यनमस्कार करते हुए जब हम पीछे की ओर मुड़ते हैं तो सीने के विस्तृत होने से फेफड़े फैलते हैं जिससे फेफडों में श्वसन लेने की क्षमता बढ़ती है|

पिण्डलियों के दोष दूर होते हैं: जब हम आगे की ओर झुकते हैं या एक पैर को पीछे लेकर जाते हैंया जब दोनों एडियों को आसन पर लगाते हैं तो पैरों में खिंचाव आने से पिण्डलियों के दोष दूर होते हैं|

रक्त का संचार: सूर्यनमस्कार का अभ्यास करने से पूरे शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है|

मांसपेशियां मजबूत/strong बनती हैं: सूर्यनमस्कार का अभ्यास करने से गर्दन, भुजाओं, पिण्डलियों तथा Hips की मांसपेशियां सुदृढ़ बनती हैं|

Joints strong बनते हैं: सूर्यनमस्कार का नियमित अभ्यास करने से कंधे, कलाई, हाथ-पैर व शरीर के अन्य जोड़ (joints) पुष्ट होते हैं| इसका नियमित अभ्यास करने से कमर दर्द व कंधों में दर्द की समस्या नहीं आती और अगर थोड़ी दर्द हो तो उसमें आराम मिलता है|

Hormonal balance: सूर्यनमस्कार करने से स्त्राव ग्रन्थियां प्रभावित होती हैं जिससे ग्रन्थियों से होने वाला स्त्राव नियंत्रित होता है| अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याओं को control करने में लाभकारी है|

सर्वाइकल के दोष दूर होते हैं: सूर्यनमस्कार का अभ्यास करते हुए जब हम गर्दन ऊपर उठाते हैं व कमर के भाग से पीछे की ओर मुड़ते हैं (भुजंगासन) तो सर्वाइकल के दोष दूर होते हैं|

मधुमेह की समस्या control: सूर्यनमस्कार करते हुए हम कई आसन करते हैं जो मधुमेह को control करने में मदद मिलती है|

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सूर्यनमस्कार किन-किन के लिए वर्जित है (Suryanamaskar is prohibited for whom)?

किन-किन लोगों को सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए|

  • कमर-दर्द व slip-disc के रोगियों को आगे की ओर झुककर तीसरा step नहीं करना चाहिए|
  • High B.P. के रोगी इस आसन को सावधानी से करें|
  • हर्निया के रोगी को सूर्यनमस्कार नहीं करना चाहिए|
  • साइटिका, cervical व कमर दर्द में दर्द अधिक हो तो उस समय यह आसन नहीं करना चाहिए|
  • गर्भावस्था व मासिक-धर्म के समय यह आसन नहीं करना चाहिए|

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FAQ’s: सूर्यनमस्कार से सम्बंधित सामान्य प्रश्न (General questions related to suryanamaska)|

सूर्यनमस्कार कितने मिनट करना चाहिए? (How long should we hold suryanamaskar?)

सूर्यनमस्कार खड़े होकर, झुककर, पेट के बल लेटकर किया जाने वाला आसन है| यह आठ आसनों की मदद से बारह चरणों (poses) में किया जाता है| इसका अभ्यास करते समय शुरू में हर pose पर अपने सामर्थ्य के अनुसार लगभग 30 सेकंड से 45 सेकंड तक रुकना चाहिए| अभ्यास करते हुए निपुण हो जाने पर धीरे-धीरे रुकने के समय को बढ़ाएं|

सूर्यनमस्कार से कौन सी बीमारी ठीक हो सकती है? (Which disease can be cured by suryanamaskar?)

सूर्यनमस्कार एक ऐसा योग है जिसे हम आठ आसनों की मदद से बारह चरणों में करते हैं| इसका अभ्यास करने से कई बीमारियों को control करने में मदद मिलती है| जैसे मधुमेह, liver व किडनी से सम्बंधित समस्याएं, कमर-दर्द, सर्वाइकल की समस्या, कब्ज की समस्या, बवासीर की बीमारी आदि|

इस blog में सूर्यनमस्कार क्या है (Suryanamaskar kya hai)?, सूर्यनमस्कार कैसे करते हैं? (Suryanamaskar kaise kare), सूर्यनमस्कार के फायदे (Suryanamaskar ke fayde) व किस-किस को यह नहीं करना चाहिए (Kis-kis ko suryanamaskar nahi karna chahiye) इसके बारे में जाना|

सूर्यनमस्कार से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|

Babita Gupta

M.A. (Psychology), B.Ed., M.A., M. Phil. (Education). मैंने शिक्षा के क्षेत्र में Assistant professor व सरकारी नशा मुक्ति केंद्र में Counsellor के रूप कार्य किया है। मैं अपने ज्ञान और अनुभव द्वारा blog के माध्यम से लोगों के जीवन को तनाव-मुक्त व खुशहाल बनाना चाहती हूँ।

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