शरीर को स्वस्थ रखने तथा मांसपेशियों को विकसित करने के लिए योगाभ्यास बहुत महत्वपूर्ण हैं| योग के अभ्यास द्वारा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से भी स्वस्थ होता है| योगाभ्यास मनुष्य के न केवल शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है बल्कि सामाजिक, आध्यात्मिक व भावनात्मक रूप से भी स्वस्थ रखता है|
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What is Chakrasana in Hindi (चक्रासन क्या है)?
पेट, कमर व रीढ़ को प्रभावित करने वाला चक्रासन शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण आसन है| आसन करते समय जब हम पूर्णता की स्थिति में आते हैं तो शरीर की आकृति एक चक्र के समान दिखाई देती है इसलिए इसे चक्रासन (Chakrasana)कहते हैं| पूरा दिन काम करते हुए हम आगे की ओर झुकते हैं, कुछ ही आसन ऐसे हैं जिनमें हम पीछे की ओर झुकते हैं उनमें केवल यही एक आसन है जिसमें हम पूर्ण रूप से पीछे की ओर झुकते हैं|
Procedure of Chakrasana in Hindi (चक्रासन करने का तरीका/विधि)
Step 1: पीठ के बल लेटें| पैरों में थोड़ा फासला रखें|
Step 2: अब पैरों को घुटने से मोड़ें व एडियां Hips के नजदीक आसन पर रखें|
Step 3: दोनों हाथों को मोड़ते हुए हथेलियां कंधों के नजदीक इस प्रकार रखें कि उंगलियां अंदर की ओर हों|
Step 4: श्वास भरें व हाथों और पैरों पर दबाव डालते हुए शरीर के बीच के भाग से धीरे-धीरे ऊपर उठें| प्रारम्भ में सुविधा के लिए सिर का सहारा ले सकते हैं|
Step 5: इस प्रकार ऊपर उठकर रीढ़ को वक्र बनाएं|
Step 6: यह पूर्णता की स्थिति है अब सामान्य श्वास लेते रहें|
Step 7: कुछ क्षण रुकें| धीरे-धीरे रुकने की अवधि को बढ़ाएं|
Step 8: जब यह स्थिति बनने लगे तो इसकी advance stage के लिए पंजों के बल आएं|
Step 9: श्वास निकालते हुए धीरे-धीरे वापिस आएं|
Step 10: शवासन में विश्राम करें|
चक्रासन (Chakrasana) करने की सही विधि व इसकी पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
Chakrasana benefits in Hindi (चक्रासन के फायदे)
इस आसन के करने से शलभासन, भुजंगासन व धनुरासन सभी के लाभ प्राप्त हो जाते हैं|
रीढ़ के दोष दूर: पूरा दिन हम आगे की ओर झुकते हैं केवल यही एक आसन जिसमें हम पूरी तरह से पीछे की ओर झुक रहे हैं| इस से रीढ़ की सभी गोटियां प्रभाव में आती हैं और रीढ़ के सभी दोष ठीक होते हैं जैसे lower back pain, सर्वाइकल, slip-disc आदि|
रक्त का संचार: पूरे शरीर में रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है तथा मस्तिष्क में भी रक्त की पूर्ति होती है|
रीढ़ मजबूत: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से रीढ़ लचीली व मजबूत बनती है तथा रीढ़ के दोष दूर होते हैं|
फेफड़े पुष्ट होते हैं: आसन करते समय जब हम रीढ़ को वक्र करते हुए ऊपर की ओर उठते हैं तो फेफड़े फैलते हैं| जिससे फेफड़े पुष्ट होते हैं व उनमें श्वास लेने की क्षमता बढ़ती है|
हड्डियों का कड़ापन दूर होता है: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से पूरा शरीर खिंचाव में आता है जिससे हड्डियों का कड़ापन दूर होता है|
हृदय की धमनियां पुष्ट होती है: इस आसन का नियमित अभ्यास करने से हृदय की धमनियों में रुकावट नहीं होती|
चर्बी कम होती है: चक्रासन का नियमित अभ्यास करने से उदर के अंगों में खिंचाव आता है| पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है|
महिलायों के लिए बहुत अच्छा आसन: इस आसन का अभ्यास करने से महिलायों में अनियमित मासिक धर्म की परेशानी ठीक होती है तथा गर्भाशय की कमियां दूर होती हैं|
शरीर मजबूत: पूरे शरीर की कमजोरी दूर होती है तथा यह मजबूत बनता है तथा हाथ पैरों की कम्पन दूर होती है|
Chakrasana is prohibited for whom in Hindi (चक्रासन किन-किन के लिए वर्जित है)?
किन-किन को चक्रासन नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें हृदय-रोग हो या High B.P. हो उन्हें चक्रासन नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें back pain, सर्वाइकल, slip-disc आदि की समस्या अधिक हो उस समय यह आसन नहीं करना चाहिए|
- जिन्हें हर्निया हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
- गर्भावस्था में यह आसन नहीं करना चाहिए|
- जिनके पेट की सर्जरी हुई हो उन्हें भी यह आसन नहीं करना चाहिए|