बच्चों में स्ट्रेस/तनाव के कारण, लक्षण व उपचार (Stress/Tension management in children in Hindi)

जब आस –पास का वातावरण अनुकूल न हो तो हर व्यक्ति तनाव का शिकार हो सकता है| अर्थात तनाव किसी को भी हो सकता है| इस प्रकार न केवल युवक बल्कि बूढ़े व बच्चे भी तनाव का शिकार हो जाते हैं|

एक limit में तनाव होना एक सामान्य बात है| कोई भी काम करने के लिए या problem solve करने के लिए brain पर मानसिक दबाव होना आवश्यक है| इसी दबाव के कारण हम काम करते हैं| जैसे routine के काम समय पर करना या कोई समस्या आने पर उस का समाधान करना आदि इसी तनाव या दबाव के कारण संभव हो पाता है| अगर हम ये सब समय पर नहीं कर पाते हैं तो हमारा stress ओर अधिक बढ़ जाता है| इसलिए एक limit में स्ट्रेस होना आवश्यक है| जिस प्रकार अधिक स्ट्रेस किसी मानसिक रोग का कारण हो सकता है, उसी प्रकार स्ट्रेस/दबाव की कमी भी मानसिक समस्या उत्पन्न कर सकती है| लेकिन अगर तनाव सदैव रहने लगे तो दिमाग व शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है|

आजकल जीवन बहुत भागदौड़ भरा हो गया है| एक समय था जब आस-पड़ोस और रिश्तेदार बच्चों व बुजुर्गो को संभाल लेते थे और किसी को कोई परेशानी नहीं होती थी| आजकल तो एक बच्चे को पालना भी बड़ा जतन का काम हो गया है| हर कोई तनाव में दिखाई देता है| बच्चे भी और बच्चे को तनाव  किसी भी स्थिति के कारण हो सकता है| 

आइए जाने कि आखिर क्यों होता है बच्चों में स्ट्रेस/तनाव (What is stress/tension in children)?, बच्चों में तनाव के क्या कारण हैं (Bachcho me tanav ke karan), बच्चों में तनाव के लक्षण क्या हैं? (Bachcho me tanav ke lakshan),  बच्चों में तनाव को दूर करने के लिए क्या करें?(How to release stress in children) तथा parents इसमें क्या मदद कर सकते हैं?

Stress in children in Hindi

बच्चों में तनाव क्या है (What is stress in children)

बच्चे बड़े कोमल मन के होते हैं| जिस प्रकार पांचों उँगलियाँ बराबर नही होती उसी प्रकार सभी बच्चे बराबर नही होते| हर बच्चा अपने आप में अलग होता है| बचपन से ही बच्चों को किसी न किसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है| जिससे उन में तुलना करनी शुरू कर दी जाती है जिस के कारण उनमें तनाव उत्पन्न होना एक सामान्य बात है| कई बार बच्चा सिर दर्द , पेट दर्द, आदि की शिकायत करके स्कूल न जाने के बहाने करता है| जोकि डॉक्टर की दवाई से भी ठीक नहीं होता| इसका कारण स्ट्रेस हो सकता है| घरेलू या आसपास के वातावरण में ज्यादा दबाव के कारण भी बच्चे में तनाव हो सकता है| यह तनाव ज्यादा समय तक रहने पर बच्चे में गुस्सा व रोष के लक्ष्ण दिखाई देते हैं|

बच्चों में स्ट्रेस/तनाव के कारण (Causes of stress in children)

  • प्रतिस्पर्धा के इस युग में बच्चों में पढ़ाई का दबाव भी तनाव का एक कारण है| इस तनाव के कारण उनकी पढ़ाई प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होने लगती है तथा उनके तनाव को ओर अधिक बढ़ा देती है| 
  • दिनचर्या के बिगड़ने से भी तनाव हो जाता है|
  • आत्मविश्वास कम होने से और मेहनत कम कर पाने से भी तनाव बढ़ता है|
  • क्षमता से अधिक काम करने पर भी अगर रिजल्ट ठीक न मिले, तब भी तनाव उत्पन्न हो सकता है|
  • बच्चों में नींद की कमी भी उनके तनाव को बढ़ा देती है| इससे उनमें चिड़चिड़ापन व गुस्सा बढ़ जाता है| बच्चा जिद्दी हो जाता है|
  • बच्चों में स्ट्रेस बढ़ने के कारण उस का असर मेटाबोलिज्म पर पड़ने लगता है, जिससे उन में digestion ठीक प्रकार से नही हो पाता| भोजन के सही पाचन से शरीर को जो उर्जा मिलती है, उससे इम्युनिटी बढ़ती है| लेकिन digest ठीक न होने के कारण बच्चों में सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, कब्ज, गैस आदि की समस्या उत्पन्न हो जाती है जोकि तनाव को ओर बढ़ा देती है|

बच्चों में स्ट्रेस/तनाव के लक्षण (Symptoms of stress in children) 

  • पढ़ाई में अरुचि,
  • स्कूल न जाने के बहाने बनाना 
  • बहुत अधिक TV देखना
  • शारीरिक रोगों की शिकायत करना
  • भूख में परिवर्तन  
  • वजन कम होना या बढ़ना
  • मोटापा बढ़ना   
  • डर, उदास रहना तथा चिड़चिड़ापन
  • गुस्सा आना व चिल्लाना 
  • सिरदर्द, पेटदर्द, आदि 
  • भूलना 
  • दूसरों को चिड़ाना

बच्चों में स्ट्रेस/तनाव को दूर करने के उपाय (Release of stress in children)  

  • भरपूर नीदं लें : –  बच्चों को काम के साथ-साथ 6- 8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है| पूरी नींद लें लेकिन जरूरत से ज्यादा न सोएं|
  • पौष्टिक आहार लें: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करें| कहा भी गया है “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है”| भोजन में मोटे अनाज का प्रयोग करें| बच्चों के भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम तथा प्रोटीन, कैल्शियम, पोटाशियम व मिनरल्स की मात्रा ज्यादा होनी चाहिए| ताकि उन को सभी पौषक तत्व मिलें और मोटापा भी न हो| इससे मन प्रसन्न व शरीर  स्वस्थ रहेगा तथा तनाव भी नहीं होगा|
  • काम को बांटें : – स्कूल के काम से दबाव महसूस न करें| याद करने में परेशानी हो तो स्कूल के काम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें तथा एक बार में एक छोटा हिस्सा याद करें या लिखें|
  • प्रतिस्पर्धा न करें : – पढ़ाई का pressure न लें| समय पर अपनी पढ़ाई करें| पढ़ाई को लेकर किसी से प्रतिस्पर्धा न करें| पढ़ाई से भयभीत होकर तनाव न बढनें दें|
  • बातें करें : – अपनी परेशानियों के बारे में अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को बताएं| निराशा या तनाव के समय ये आप को बेहतर तरीके से समझा सकते हैं| इससे आपको मानसिक शांति मिलेगी तथा तनाव को दूर रखने में आसानी होगी|
  • ध्यान करें : – ध्यान करना फायदेमंद है| इससे तनाव से बचा जा सकता है| तनाव में मानसिक संतुलन रखने के लिए किसी दवा की आवश्यकता नहीं होती| 10-15 मिनिट के  ध्यान के नियमित अभ्यास से तनाव को दूर करने में सहायता मिल जाती है|  ओम का उच्चारण करने से मन शांत होने लगता है| इससे शरीर व मन को अधिक उर्जा मिलती है तथा तनाव से मुक्त होने की क्षमता बढ़ती है|  
  • योगाभ्यास करें : – मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से योग के आसन तथा प्राणायाम का अभ्यास बहुत आवश्यक है| जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, तिर्यक ताड़ासन, त्रिकोणासन आदि बच्चों के लिए लाभदायक हैं| ध्यान केन्द्रित करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने और निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाने के लिए योग का सहारा लें| प्रतिदिन आसनों का अभ्यास करने से बच्चों के तनाव में कमी आने लगती है तथा बच्चे स्वस्थ रहते हैं| प्राणायाम में भ्रामरी प्राणायाम बच्चों के लिए सरल और लाभदायक है| इसे करने से जो गुंजन होता है उससे मस्तिष्क में कम्पन होता है, जिससे तनाव दूर करने में मदद मिलती है|

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माता पिता की जिम्मेदारी (Parents responsibility during stress in children)

बच्चों के लिए समय निकालें : – माता-पिता को अपने बच्चों के लिए समय जरूर निकालना चाहिए| उनसे उन की पढ़ाई के बारे में,स्कूल व घर के मित्रों के बारे में पूछें| उन का टाइम-टेबल बनाने में मदद करें|

योजना बनाएं : – माता-पिता को चाहिए की वे अपने बच्चे के काम की योजना बनाएं| जैसे क्या-क्या काम करने हैं, कितने समय में करने है आदि| यह भी योजना बनाएं कि अगर काम समय पर खत्म नहीं हुआ तो बचे हुए काम को कब और कैसे करवाना है| इस प्रकार काम करवाने से आप स्वयं भी तनाव मुक्त रहेंगे ओर बच्चे को भी तनाव मुक्त रख पाएंगे|  

मित्र की तरह व्यवहार : – माता-पिता को बच्चों के साथ मित्र की तरह व्यवहार करना चाहिए| जैसे उनके साथ खेलें, उनके साथ घुमने जाएँ, प्यार से उन की कठिनाइयों के बारे में बात करें, उन की प्रशंसा करें| इससे बच्चों का तथा माता-पिता का स्ट्रेस कम हो जाता है तथा दोनों को खुशियाँ मिलती हैं|

तुलना न करें : – कई माता पिता बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे से करने लगते हैं, जोकि गलत है| तुलना करने से बच्चे का मनोबल कम होता है| बच्चा खुद को कमजोर महसूस करने लगता है और स्ट्रेस में रहने लगता है| इसलिए तुलना न करें| 

सकारात्मक विकास : -दूसरों के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बच्चों की भावनाओं का सम्मान करें| उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति को बढ़ावा दें| उनकी रुचियों का विकास करें| उनको कहानियाँ व महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़ने की आजादी दें| इससे उनकी शब्द और भाषा की समझ बढ़ेगी| वे दूसरों के सामने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते समय या बात करते समय घबराएंगे नहीं| इससे वे प्रगति भी करेंगे तथा नया करने से भी नहीं हिचकेंगे|

प्रकृति की गोद में जाएँ : – बच्चों को पढ़ाई के कारण स्ट्रेस हो रहा हो तो प्रकृति की ओर लेकर जाएँ जैसे पार्क, या पहाड़ियों के आस-पास | इससे वे प्रकृति के साथ जुड़ते हैं| पक्षियों का चहकना, नदियों की लहरों की कलकल ध्वनि, सूर्य का उदय व अस्त होना, फूल व पौधों की सुन्दरता, ठंडी हवा का सहलाना आदि मन व शरीर को सुकून से भर देता है| इससे स्ट्रेस दूर हो जाता है|

ध्यान लगाने में मदद करें : – बच्चे active व creative होते हैं| खाली समय में उनको कोई creative काम करवाएं जैसे पेंटिंग, क्राफ्ट, ड्राइंग आदि| छोटे बच्चों को फूल, फल, आदि में रंग भरने को दें| चाहें तो color-book लाकर भी दे सकते हैं| बच्चे इन कामों को करने में रूचि लेते हैं| धीरे-धीरे वे बारीकी व सफाई से काम करना सीख जाते हैं| जब उनका पूरा ध्यान इस तरह के बारीक़ कामों में रहता है तो इससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है, दिमाग शांत रहता है तथा तनाव से मुक्त रहता है|    

लगन से काम करने में मदद करें : – पूरा प्रयास करने पर भी यदि बच्चे को सफलता न मिले तो परेशान न हों | उस के प्रयास में क्या कमी रह गई है, इस पर विचार करें| उस कमी को खोजें, उसे दूर करें और फिर से प्रयास करें| ऐसी कोशिश करें कि जो काम बच्चा कर रहा है उसे वह मन लगाकर लगन से करे| लगन से काम करने में मानसिक संतुलन बना रहेगा तथा स्ट्रेस भी नहीं होगा|

समय की पाबंदी : – बच्चों को शुरू से ही समय के पाबंद बनाएं| जब बच्चा 3-4 साल का होता है और बातों को समझने लग जाता है, तभी से उसके सोने, उठने, खाने, खेलने का समय निश्चित कर दें| ये आदतें बहुत सामान्य तरीके से विकसित हो जाती हैं| इससे बच्चा दिनचर्या का पालन करना तथा इच्छाओं पर control करना सीख जाता है| इससे आप दोनों ही तनाव से मुक्त रहते हैं|

दूसरों द्वारा प्रेरित : – कई बार बच्चे अपने माता-पिता की बजाए दूसरों को ज्यादा महत्व देते हैं| इसलिए parents को उस व्यक्ति से सलाह करके बच्चे को उस व्यक्ति से प्रेरित करवाना चाहिए जैसे teacher आदि| इससे बच्चे की सफलता पर इस का अच्छा प्रभाव पड़ता है तथा वह तनाव मुक्त रहता है|

परामर्श : – जब माता-पिता के सहयोग के बाद भी बच्चों में दैनिक कार्यों को करने में लगातार कठिनाई पैदा होने लगे तो परामर्श तथा चिकित्सा आवश्यक हो जाती है| इसलिए किसी मनोचिकित्सक से सुझाव लें व बच्चे को तनावमुक्त करने में मदद करें|

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FAQ’s : Stress management in children के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (Questions)|

बच्चों में स्ट्रेस/तनाव क्या है (What is stress/tension in children)?

हर बच्चे में अलग गुण होते हैं| कोई बच्चा पढ़ाई में आगे रहता है तो कोई sports में| कोई ड्राइंग-पेंटिंग में आगे रहता है तो कोई dance-music में| लेकिन कई बार teacher व parents बच्चों में comparison करने लग जाते हैं| कई बार बच्चा उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता| इससे बच्चे के दिमाग में दबाव/pressure बन जाता है| यदि ऐसा बार-बार हो तो बच्चे को तनाव/tension हो जाता है|

बच्चों में तनाव को कैसे दूर करें (How to release stress in children)?

competition व comparison आदि के कारण बच्चों में होने वाले stress को दूर करने के लिए दिनचर्या निर्धारित करें, जिसमें स्कूल के काम के साथ-साथ आराम, खेल, नींद, खानपान आदि के लिए भी समय दिया गया हो| खाने के लिए पौष्टिक व संतुलित आहार खिलाएं| Concentration बढ़ाने व memory sharp करने के लिए व्यायाम, हल्के योग व प्राणायाम भी करवाएं| बच्चों को सभी काम खेल-खेल में, हंसते हुए व बिना दबाव के करवाएं| इस प्रकार बच्चे मस्ती में आसानी से काम कर लेंगे और तनाव में नहीं आयेंगे|

माता-पिता बच्चों के तनाव को कैसे दूर कर सकते हैं? (How can parents reduce children’s stress)?

बच्चों के साथ मित्र की तरह व्यवहार करें| बच्चों में आपस में comparison ना करें| बच्चों को छोटे-छोटे creative काम करने के लिए motivate करें| बच्चों के पढ़ने, खेलने, खाने, सोने आदि का समय निर्धारित करें| कभी-कभी बच्चों को पिकनिक व trip आदि पर लेकर जाएं| उन्हें महापुरुषों की कहानियाँ सुनाएँ| बच्चों को कविता, song, भक्ति-गीत सुनाने के लिए प्रेरित करें, इससे उनकी hesitation खत्म होगी और confidence आएगा| ऐसा करने से बच्चों का तनाव दूर करने में मदद मिलेगी|
इस blog में बच्चों में होने वाला तनाव (What is stress in children)?, कारण (causes), लक्षण (Symptoms of stress), तनाव को दूर करने के उपायों (How to release stress in children) तथा Parents की जिम्मेदारी के बारे में जाना|

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