अनियमित जीवन शैली, physical movement की कमी, खानपान की गलत आदतें व तनाव/stress इन सभी के कारण कब्ज होने की समस्या बढ़ जाती है| जैसे अगर हमारा हर दिन का schedule बहुत busy है| हम रात को देर तक काम करते हैं और सुबह जल्दी नहीं उठ पाते, हमारी नींद भी पूरी नहीं होती| हम अपने खाने में पौष्टिक आहार, फल व सब्जियां, तथा फाइबरयुक्त आहार नहीं ले रहे हैं और पानी भी उचित मात्रा में नहीं पी रहे हैं, अगर हमारी physical movements कम हो रही हैं तो इन सभी कारणों से कब्ज की समस्या हो जाती है|
बहुत से लोगों के दैनिक जीवन में कब्ज एक समस्या बन गई है| अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो इससे अन्य बहुत सी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है| कब्ज की समस्या हो तो खानपान में बदलाव करके, कब्ज दूर करने के लिए घरेलू उपाय अपनाकर व योग का अभ्यास करके इस समस्या से राहत पाई जा सकती हैं| योग में लगभग हर समस्या का निदान है| आसनों व प्राणायाम में कब्ज का रामबाण इलाज छिपा है| इनका नियमित अभ्यास करके कब्ज की समस्या से जल्द ही राहत पाई जा सकती है|
इस blog में कब्ज को आसनों के अभ्यास से कैसे दूर करें (How to get rid of constipation/kabj by yoga asanas) इसके बारे में जानेगे|
Table of Contents
कब्ज दूर करने के लिए योग आसन (Kabj Dur Karne Ke Liye Yogasan)
योग का अभ्यास करने से कब्ज दूर करने में मदद मिलती है| योग में कई ऐसे आसन हैं जो कब्ज को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| इनका नियमित अभ्यास करने से मेटाबोलिज्म तेज होता है| ये पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं| इन्हें करने से जठराग्नि तेज होती है जिससे भोजन पचने में आसानी होती है और कब्ज के साथ-साथ पेट की अन्य समस्याएं भी दूर होती हैं|
कब्ज दूर करने के लिए बहुत से आसन हैं जिनका हमें नियमित अभ्यास करना चाहिए| जैसे:
1. मलासन (Malasana): मलासन मल त्याग करने का एक प्राकृतिक तरीका भी है| यह कब्ज की समस्या से आराम दिलाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण आसन है| इसका अभ्यास हम कभी भी कर सकते हैं| पहले लोग अधिकतर इसी आसन में बैठते थे और काम भी ऐसे ही बैठकर किया करते थे| यह बहुत ही आसान (Easy) आसन है|
मलासन करने की विधि (Malasana kaise kare): मलासन करने के लिए अपने पैरों में कंधों जितना फासला करके खड़े हो जाएं| अब धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ते हुए नीचे बैठने का प्रयास करें| जब आप पूरी तरह से नीचे बैठ जाएं तो ध्यान रखें कि एडियाँ भी आसन पर लगी हों| आप इसे दूसरे तरीके से भी कर सकते हैं, जैसे अगर आप पहले से नीचे आसन पर बैठे हैं तो वहीं से घुटनों को मोड़ते हुए भी मलासन में बैठ सकते हैं|
अगर आप शुरू में ऐसे ना बैठ सकें, तो थोड़ी-थोड़ी देर इस तरह बैठने का अभ्यास करें| अगर आपके घुटनों में हल्का दर्द हो या किसी कारण से आप नीचे पूरी तरह से ना बैठ पाएं तो आरंभ में ईट (yoga Block/Bricks) या किसी छोटी पटड़ी (जिसे नहाने के लिए use करते हैं) पर बैठने का अभ्यास कर सकते हैं| जबरदस्ती नहीं करनी अपने सामर्थ्य के अनुसार जितना आप आराम से कर सकें, उतना ही करें| इसे करने से पेट की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और मल त्यागने में आसानी होती है|
किनको मलासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Malasana)
- जिनके घुटनों में दर्द अधिक हो, आर्थराइटिस की समस्या हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
- जिनकी कमर में दर्द बहुत ज्यादा हो, या पेट में जख्म हों या हर्निया की problem हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
2. उत्तानपादासन (Uttanpadasana): उत्तानपादासन पेट के लिए बहुत लाभदायक आसन है| जब हम इसका नियमित अभ्यास करते हैं तो पेट पर खिंचाव आने से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और कब्ज, गैस, पेट-दर्द, बाई, अपच व पेट का मोटापा दूर करने में मदद मिलती है|
उत्तानपादासन करने की विधि (Uttanpadasana kaise kare): इसे करने के लिए आसन पर पीठ के बल लेटकर पैरों को 30 डिग्री तक ऊपर उठाते हैं और कुछ क्षण रुकते हैं (अपनी क्षमता के अनुसार) यह पूर्णता की स्थिति है, फिर धीरे-धीरे पैरों को वापिस नीचे लाते हुए आसन पर रखते हैं|
उत्तानपादासन का अभ्यास सुबह व शाम तो करना ही चाहिए| अगर दिन में समय मिले तो खाना खाने के दो तीन घंटे बाद किया जा सकता है| इसे करने से कब्ज की समस्या में जल्दी ही आराम मिलता है|
किनको उत्तानपादासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Uttanpadasana)
जिनकी कमर में दर्द अधिक हो या पेट का ऑपरेशन हुआ हो या हर्निया का दर्द हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
सावधानियां: गहरे तनाव से पीड़ित व्यक्ति को बिना सांस रोके, एक-एक पैर से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए|
उत्तानपादासन करने की सही विधि की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
3. पादोत्तानासन (Padottanasana): पादोत्तानासन का अभ्यास करने से बड़ी आंत पर प्रभाव पड़ता है| जिससे पूरानी से पूरानी कब्ज की समस्या ठीक होती है| जठराग्नि तेज होती है| नाभि अपने स्थान पर रहती है| हर्निया के दोष दूर होते हैं| यह महिलाओं में पीरियड्स को नियमित करने में सहायक है|
पादोत्तानासन करने की विधि (Padottanasana kaise kare): पादोत्तानासन करने के लिए आसन पर लेट जाएं| एड़ी-पंजे मिलाएं| दोनों हाथ सिर से पीछे रखें व हथेलियों का रुख आकाश की ओर हो| पुरे आसन के दौरान एडियाँ हवा में रहेंगी, आसन से 3”-4” ऊपर| सांस भरे और एडियाँ हवा में करें| अब दायां पैर व बायां हाथ ऊपर 90 डिग्री पर लाएं| कम से कम 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें| पेट पर खिंचाव को महसूस करें| धीरे-धीरे हाथ व पैर को नीचे लाएं| दोनों पैर हवा में रहेंगे| अब बायां पैर व दायां हाथ ऊपर 90 डिग्री पर लाएं| अपनी क्षमता के अनुसार रुकें| धीरे-धीरे हाथ व पैर को नीचे लाएं| दोनों पैर हवा में रहेंगे| अब दोनों पैर और दोनों हाथ 90 डिग्री पर लाएं| अपनी क्षमतानुसार रुकने के बाद धीरे-धीरे वापिस आएं| पैरों में फासला करें व हाथ शरीर के दाएं बाएं रखकर शवासन में विश्राम करें|
किनको पादोत्तानासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Padottanasana)
जिनकी कमर में अधिक दर्द हो, पेट में जख्म हों या सर्जरी हुई हो और जिन्हें हर्निया का दर्द हो, तो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
पादोत्तानासन करने की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
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4. हलासन (Halasana): कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक है| हलासन करने से पेट के सभी अंग अंदर की तरफ मुड़ते हैं, जिससे ये मजबूत बनते हैं| पेनक्रियाज activate होने से मधुमेह control में रहता है| पेट के अन्य सभी दोष दूर होते हैं जैसे गैस, बदहजमी, पेट का भारीपन, मोटापा आदि|
हलासन करने की विधि (Halasana kaise kare): आसन पर पीठ के बल लेटें और दोनों भुजाएं शरीर के साथ रखें| हथेलियों का रुख आसन की ओर हो| अब दोनों हाथों पर दबाव डालते हुए पैरों को बिना घुटना मोड़ें ऊपर की ओर 90 डिग्री पर उठायें| शुरुआत में सुविधा के लिए हाथों से कमर को सहारा देकर ऊपर उठायें और धीरे-धीरे सिर से पीछे ले जाते हुए पंजों को आसन पर लगाएं| अब दोनों हाथ आसन पर रखें| यह पूर्णता की स्थिति है| सामान्य श्वास लेते रहें व अपनी क्षमतानुसार कुछ क्षण रुकें| अब हाथों से सहारा देते हुए बहुत धीरे-धीरे वापिस आयें और एडियां आसन पर रखें| पैरों में फासला करें व हाथ शरीर के दाएं बाएं रखकर शवासन में विश्राम करें|
किनको हलासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Halasana)
जिनकी कमर में दर्द हो, पेट में जख्म हों या सर्जरी हुई हो और जिन्हें हर्निया का दर्द हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए|
हलासन करने की पूरी विधि आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
5. अर्ध हलासन (Ardha Halasana): पेट सम्बंधी समस्याओं को दूर करने में अर्ध हलासन का अभ्यास बहुत उपयोगी है| इसे करने से जठराग्नि तेज होती है| पाचन शक्ति बढ़ती है| पेट के विकार दूर करने में मदद मिलती है| इसका नियमित अभ्यास करने से कब्ज की समस्या तो दूर होती ही है पेट की अन्य समस्याओं जैसे बदहजमी, गैस, अपच से छुटकारा दिलाने में भी अर्ध हलासन बहुत महत्वपूर्ण आसन है|
अर्ध हलासन करने की विधि (Ardha Halasana kaise kare): अर्ध हलासन करने के लिए आसन पर पीठ के बल लेटकर पैरों को पहले 30 डिग्री तक ऊपर उठाते हैं और कुछ क्षण रुकते हैं (अपनी क्षमता के अनुसार) फिर पैरों को 60 डिग्री तक ऊपर उठाकर रुकते हैं और अन्त में 90 डिग्री पर रुकते हैं| यह पूर्णता की स्थिति है, फिर धीरे-धीरे पैरों को वापिस नीचे लाते हुए आसन पर रखते हैं|
किनको अर्ध हलासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Ardha Halasana)
जिनकी कमर में अधिक दर्द हो. पेट में जख्म हों या पेट का हल ही में operation हुआ हो और हर्निया से पीड़ित व्यक्ति को यह आसन नहीं करना चाहिए|
अर्ध हलासन करने की पूरी विधि की जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
6. पवनमुक्तासन (Pawanmuktasana): यह आसन करने से पेट पर गहरा दबाव पड़ता है जिससे पेट की समस्याएं दूर होती हैं| इसे करने से गैस से तो छुटकारा मिलता ही है साथ ही यह कब्ज को दूर करता है| पेट के फुलाव को कम करता है और पाचन में सहायता करता है|
पवनमुक्तासन करने की विधि (Pawanmuktasana kaise karen): पवनमुक्तासन करने के लिए आसन पर पीठ के बल लेटें और दोनों भुजाएं शरीर के साथ रखें| हथेलियों का रुख आसन की ओर हो| यहाँ हम दोनों पैरों से पवनमुक्तासन करेंगें| दोनों पैरों को घुटने से मोड़ें व एडियां hips के नजदीक रखें| अब पैरों को दोनों हाथों के grip में लें, सांस भरें व पैरों से पेट को दबाएं| श्वास छोड़ते हुए गर्दन को ऊपर उठाएं व नासिका दोनों घुटनों के बीच लेकर जाएँ| यह पूर्णता की स्थिति है, कुछ क्षण रुकें| अब श्वास भरते हुए गर्दन नीचे व श्वास छोड़ते हुए पैर सीधे करें| अब हाथ व पैरों में फासला करके शवासन विश्राम करें|
किनको पवनमुक्तासन नहीं करना चाहिए (Who should not do Pawanmuktasana)
जिन्हें साइटिका की दर्द हो, कमर-दर्द अधिक हो, सर्वाइकल की समस्या हो, slip disc की समस्या हो, पेट संबंधी समस्या हो या हर्निया की समस्या हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए और गर्भावस्था के समय भी यह आसन नहीं करना चाहिए|
पवनमुक्तासन करने की सही विधि की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
FAQ’s: कब्ज के बारे में कुछ सामान्य प्रश्न (General Questions related to Kabj/Constipation)
कब्ज क्या है? (Kabj kya hai?)
कब्ज एक ऐसी अवस्था है जिसमें मल कठोर हो जाता है तथा मल निष्कासन के समय जोर लगाना पड़ता है| कब्ज होने पर मल त्यागने की आवृति भी घट जाती है| कई बार लैट्रिन कई-कई दिन नहीं आती|
कब्ज की पहचान क्या है? (Kabj ki pahachaan kya hai?)
– कब्ज के लक्षण ही कब्ज की पहचान हैं| कब्ज की समस्या होने पर कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं| जैसे
– सांस से दुर्गंध आना
– जीभ सफेद होना
– मुंह में छाले होना
– मल का कठोर होना
– मल त्यागने में जोर लगना
– पेट में भारीपन या गैस होना,
– खट्टी डकारें आना
– सिर दर्द रहना
– दिनभर पेट में हल्का-हल्का दर्द रहना आदि|
कब्ज को प्रकृतिक रूप से कैसे कम करें? (How can soften constipation naturally?)
– कब्ज को कम करने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं| जैसे
– चौकर सहित आटे का प्रयोग करें|
– फाइबर युक्त खाद्यपदार्थों का सेवन करें जैसे फल, सब्जियां|
– भोजन में मोटे अनाज व दालों का प्रयोग करें|
– इनके साथ-साथ खूब पानी पिएं|
– कब्ज दूर करने के लिए घरेलू उपाय भी किए जा सकते हैं|
कब्ज दूर करने के लिए कौन सा योग करना चाहिए?
कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए योग में बहुत से आसन हैं जैसे मलासन, उत्तानपादासन, हस्तपादोत्तानासन, पादोत्तानासन, हलासन, अर्ध-हलासन, मंडूकासन, सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, वक्रासन, तिर्यक ताड़ासन आदि| इन आसनों का नियमित अभ्यास करने से कब्ज की समस्या दूर करने में मदद मिलती है| इसके साथ-साथ कब्ज दूर करने के लिए प्राणायाम का अभ्यास भी लाभदायक है|
कब्ज दूर करने के लिए योग आसनों की पूरी जानकारी आप मेरे इस youtube link पर भी देख सकते हैं|
कब्ज व योग से सम्बंधित कोई भी जानकारी चाहिए या कोई सुझाव आपके पास हो तो comment box में लिख सकते हैं|